धर्म का अधिकार जीवन के अधिकार से बड़ा नहीं: मद्रास हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी तमिलनाडु के प्राचीन श्रीरंगम रंगनाथस्वामी मंदिर में उत्सव और अनुष्ठानों के नियमित आयोजन संबंधी याचिका पर की. अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि मंदिर में कोविड-19 प्रोटोकॉल से समझौता किए बगैर धार्मिक रस्मों के आयोजन की संभावना तलाश की जाए.

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मद्रास हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)

हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी तमिलनाडु के प्राचीन श्रीरंगम रंगनाथस्वामी मंदिर में उत्सव और अनुष्ठानों के नियमित आयोजन संबंधी याचिका पर की. अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि मंदिर में कोविड-19 प्रोटोकॉल से समझौता किए बगैर धार्मिक रस्मों के आयोजन की संभावना तलाश की जाए.

मद्रास हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)
मद्रास हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)

चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय ने यह उल्लेख करते हुए कि धर्म का अधिकार जीवन के अधिकार से बड़ा नहीं है, राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह तमिलनाडु स्थित एक मंदिर में कोविड-19 प्रोटोकॉल से समझौता किए बिना धार्मिक रस्मों के आयोजन की संभावना तलाश करे.

मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी ने बुधवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से टिप्पणी की, ‘धार्मिक रीति-रिवाज जनहित तथा जीवन के अधिकार का विषय होने चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘धर्म का अधिकार जीवन के अधिकार से बड़ा नहीं है… यदि सरकार को महामारी की स्थिति में कदम उठाने हैं… तो हम हस्तक्षेप नहीं चाहेंगे.’

जस्टिस बनर्जी और जस्टिस सेंथिलकुमार राममूर्ति की प्रथम पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह तिरुचिरापल्ली जिला स्थित श्रीरंगम रंगनाथस्वामी मंदिर में कोविड-19 प्रोटोकॉल और जनस्वास्थ्य से समझौता किए बिना उत्सवों और रस्मों के आयोजन की संभावना तलाश करे.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, याचिकाकर्ता रंगराजन नरसिम्हन ने राज्य के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ विभाग को निर्देश देने की मांग की थी कि प्राचीन श्रीरंगम मंदिर में उत्सवों और अनुष्ठानों का नियमित रूप से आयोजन किया जाए.

साथ ही मद्रास हाईकोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व में दिए गए आदेश को याद दिलाते हुए कहा कि महामारी के दौरान भीड़ कम रखने के लिए दुर्गा पूजा त्योहार के नियमन का आदेश दिया गया था.

मंदिर प्रबंधन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील सतीश परासरन ने कहा कि महामारी के दौरान कुछ त्योहार मनाए गए, लेकिन अलग-अलग तारीख पर.

हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया कि वह यह पता लगाए कि लोगों के स्वास्थ्य से समझौता किए बिना उत्सव आयोजित करने की क्या संभावना है.

अदालत ने सरकार को इस संबंध में धार्मिक नेताओं के साथ विमर्श करने तथा एक विस्तृत रिपोर्ट दायर करने का भी निर्देश दिया और मामले की सुनवाई छह सप्ताह के लिए स्थगित कर दी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)