सेंट्रल विस्टा: विरासत संरक्षण समिति ने नए संसद भवन के निर्माण को मंज़ूरी दी

हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना को मिली पर्यावरण मंज़ूरी और भूमि उपयोग में बदलाव की अधिसूचना को बरक़रार रखते हुए राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर के क्षेत्र में फैली नए संसद भवन के निर्माण की इस महत्वाकांक्षी परियोजना का रास्ता साफ़ कर दिया था.

Construction workers walk past a hoarding featuring India's new parliament building outside its construction site in New Delhi, India, December 10, 2020. REUTERS/Adnan Abidi

हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने  ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना को मिली पर्यावरण मंज़ूरी और भूमि उपयोग में बदलाव की अधिसूचना को बरक़रार रखते हुए राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर के क्षेत्र में फैली नए संसद भवन के निर्माण की इस महत्वाकांक्षी परियोजना का रास्ता साफ़ कर दिया था.

Construction workers walk past a hoarding featuring India's new parliament building outside its construction site in New Delhi, India, December 10, 2020. REUTERS/Adnan Abidi
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: विरासत संरक्षण समिति ने सोमवार को सेंट्रल विस्टा पुनर्निर्माण परियोजना के तहत नए संसद भवन के निर्माण को मंजूरी प्रदान की. कुछ दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय ने इस समिति से मंजूरी के संबंध में सरकार को निर्देश दिया था.

आवास सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि समिति ने प्रस्ताव पर चर्चा की और इसे मंजूरी प्रदान की.

केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव विरासत संरक्षण समिति के अध्यक्ष हैं.

कुछ दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय ने  ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना को मिली पर्यावरण मंजूरी और भूमि उपयोग में बदलाव की अधिसूचना को बरकरार रखते हुए राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर के क्षेत्र में फैली इस महत्वाकांक्षी परियोजना का रास्ता साफ कर दिया था.

इससे पहले सात दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर हुई पिछली सुनवाई में काम शुरू न करने की शर्त पर सरकार को ‘सेंट्रल विस्टा परियोजना’ के शिलान्यास करने की मंजूरी दी थी.

इसके बाद 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन की नई इमारत की आधारशिला रखी थी.

इस परियोजना की घोषणा पिछले वर्ष सितंबर में हुई थी, जिसमें एक नए त्रिभुजाकार संसद भवन का निर्माण किया जाना है. इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा. इस परियोजना के तहत साझा केंद्रीय सचिवालय 2024 तक बनने का अनुमान है.

शीर्ष अदालत ने बहुमत के फैसले में कहा था कि नए स्थलों पर निर्माण कार्य आरंभ करने से पहले विरासत संरक्षण समिति तथा अन्य संबंधित प्राधिकारों से पूर्व अनुमति ली जाए.

यह योजना लुटियंस दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे दायरे में फैली हुई है. केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के मुताबिक नई इमारत संसद भवन संपदा की प्लॉट संख्या 118 पर बनेगी.

नई इमारत में ज्यादा सांसदों के लिए जगह होगी, क्योंकि परिसीमन के बाद लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है. इसमें करीब 1400 सांसदों के बैठने की जगह होगी. लोकसभा के लिए 888 (वर्तमान में 543) और राज्यसभा के लिए 384 ( वर्तमान में 245) सीट होगी.

बता दें कि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय की विशेष मूल्यांकन समिति (ईएसी) ने 22 अप्रैल को मौजूदा संसद भवन के विस्तार और नवीकरण को पर्यावरण मंजूरी देने की सिफारिश की थी.

इसके बाद देश के 60 पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर केंद्र की सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना पर चिंता व्यक्त की थी. उन्होंने कहा था कि ऐसे वक्त में जब जन स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए भारी भरकम धनराशि की जरूरत है तब यह कदम ‘गैर-जिम्मेदारी’ भरा है.

इससे पहले एक याचिका में सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए निर्धारित लैंड यूज को चुनौती दी गई थी, इसमें आरोप लगाया था कि इस काम के लिए लुटियंस जोन की 86 एकड़ भूमि इस्तेमाल होने वाली है और इसके चलते लोगों के खुले में घूमने का क्षेत्र और हरियाली खत्म हो जाएगी.

याचिका में ये दलील दी गई थी कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा 19 दिसंबर 2019 को जारी किए गए पब्लिक नोटिस को अमान्य करार देने के लिए सरकार द्वारा 20 मार्च 2020 को जारी किया गया नोटिफिकेशन कानून और न्यायिक प्रोटोकॉल के नियम का दमन है, क्योंकि 2019 वाले नोटिस को चुनौती दी गई है और खुद सुप्रीम कोर्ट इसकी सुनवाई कर रहा है.

हालांकि मई महीने में शीर्ष अदालत ने इस प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)