दिल्ली हाईकोर्ट की वरिष्ठ वक़ील रेबेका जॉन ने वो बातें साझा की हैं, जो उन्होंने बलात्कार के मामलों की अदालती कार्यवाही के दौरान सुनीं.
चंडीगढ़ छेड़छाड़ मामले में वर्णिका कुंडू के आरोपी विकास बराला के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करवाने के बाद कुछ उंगलियां वर्णिका के चरित्र और उनके काम पर उठने लगी. भाजपा के एक नेता ने कहा कि उन्हें देर रात घर से बाहर रहने की क्या ज़रूरत थी. सोशल मीडिया पर उनकी पुरानी तस्वीरों को उनके कैरेक्टर सर्टिफिकेट के बतौर उछाला जाने लगा. इस तरह की किसी घटना के बाद महिला पर उठते सवाल उस मानसिकता को दिखाते हैं, जहां महिला के साथ हुई घटना के लिए उसे ही ज़िम्मेदार ठहराया जाता है.
21वीं सदी के दूसरे दशक में भी अपने साथ हुई किसी ज़्यादती की दोहरी सज़ा महिला को भुगतनी पड़ती है.
दिल्ली हाईकोर्ट की वरिष्ठ वक़ील रेबेका जॉन ने कुछ ऐसी बातें साझा की हैं, जो उन्होंने बलात्कार के मामलों की अदालती कार्यवाही के दौरान सुनीं.
- उसे देखकर ऐसा लगता नहीं कि उसके साथ बलात्कार हुआ है.
- वो एकदम शांत और सामान्य लग रही थी और अपने बाल ठीक कर रही थी.
- चोटें कहां हैं?
- हे भगवान! वो ऐसा होने के बाद घर नहीं गई बल्कि एक लड़के के साथ इंडिया गेट पर घूम रही थी.
- उसने इस घटना के बारे में चुपचाप किसी महिला दोस्त या रिश्तेदार को नहीं बताया.
- उसके कई संबंध हैं. वो पागल है. उसे वहम होता रहता है, वो बदला ले रही है.
- वो पैसा उगाहने वाली है और उसने बहुत सारे पैसे की मांग भी की है.
- उसे जितना विरोध करना चाहिए था उसने नहीं किया.
- वो देर रात तक बार में थी. और क्या उम्मीद थी उसे?
- वो तलाक़शुदा है.
- उसे इतनी रात को अकेले ड्राइव करने की क्या ज़रूरत थी?
- मां-बाप को अपनी 29 साल की लड़की को काबू में रखना चाहिए.
- उसके कपड़े देखिए. वो ख़ुद मुसीबत बुला रही है.
- हमने औरतों को कुछ ज़्यादा ही आज़ादी दे रखी है.
- वो वेश्या है, बदचलन है.
- वो समझौता क्यों नहीं कर सकती? उसमें क्या बड़ी बात है यार!
ये वो तर्क हैं जो मैंने कोर्ट में बार-बार सुने हैं. ये समाज में हो रही बातों का हिस्सा भी हैं. स्पष्ट तौर पर मथुरा मामले के बाद से कुछ नहीं बदला है.
(रेबेका जॉन के फेसबुक से साभार)