साल 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का अपहरण कर लिया गया था. इस मामले 10 आरोपियों में से जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट प्रमुख मोहम्मद यासीन मलिक इस समय दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है.
श्रीनगर: 31 साल पहले तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण मामले में विशेष टाडा अदालत ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) प्रमुख मोहम्मद यासीन मलिक सहित 10 लोगों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मलिक के अलावा अली मोहम्मद मीर, मोहम्मद जमान मीर, इकबाल अहमद गांदरू, जावेद अहमद मीर उर्फ नाल्का, रफीक अहमद पहलू उर्फ नाना जी उर्फ सलीम, मंजूर अहमद सोफी, वजाहत बशीर, मेहराज-उद-दीन शेख और शौकत अहमद बख्शी के खिलाफ आरोप तय किए गए.
उनकी संलिप्तता और अन्य आरोपियों की भूमिका के बारे में सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने मोहम्मद जमान मीर और अली मोहम्मद मीर द्वारा स्वीकारोक्ति बयानों का जिक्र करते हुए जज सुनीत गुप्ता ने कहा कि उनका विचार है कि प्रथमदृष्टया इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं कि यासीन मलिक, अली मोहम्मद मीर, इकबाल अहमद गांदरू, मंजूर अहमद सोफी, मेहराज-उद-दीन शेख और रफीक अहमद पहलू ने आपराधिक साजिश में शामिल होने के अपराध किए हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘रुबैया का अपहरण हत्या के इरादे से किया गया था और उन्हें आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि (टाडा) अधिनियम और भारतीय शस्त्र अधिनियम के अलावा रणबीर दंड संहिता के प्रावधानों के तहत गलत तरीके से कैद में रखा गया था.’
अन्य अभियुक्तों- मोहम्मद जमान मीर, जावेद अहमद मीर, वजाहत बशीर और शौकत अहमद बख्शी पर आपराधिक साजिश रचने, रुबैया को गलत तरीके से कब्जे में रखने और टाडा एक्ट के प्रावधानों के तहत रखने के आरोप लगाए गए.
ये 10 आरोपी उन दो दर्जन आरोपियों में से हैं, जिनके खिलाफ सीबीआई ने टाडा अदालत में चार्जशीट दाखिल की है.
अन्य लोगों में से मोहम्मद रफीक डार और मुश्ताक अहमद लोन का निधन हो चुका है, जबकि 12 अन्य फरार हैं.
भगोड़ों में हलीमा, जावेद इकबाल मीर, मोहम्मद याकूब पंडित, रियाज अहमद भट्ट, खुर्शीद अहमद दार, बशारत रहमान नूरी, तारीक अशरफ, शफात अहमद शांगलू, मंजूर अहमद, गुलाम मोहम्मद तापलू, अब्दुल मजीद भट्ट और निसार अहमद भट्ट शामिल हैं.
सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार, आरोपियों ने विभिन्न जेलों में बंद अपने पांच सहयोगियों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए दिसंबर 1989 के पहले सप्ताह में रुबैया का अपहरण करने के लिए एक आपराधिक षड्यंत्र रचा था. उस समय रुबैया श्रीनगर के लाल डेड अस्पताल में रेजिडेंट रोटरी इंटर्नशिप प्रशिक्षण कर रही थीं.
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा था कि उन्होंने एक आरोपी गुलाम मोहम्मद से एक नीली कार उधार ली थी और 8 दिसंबर, 1989 को मुश्ताक अहमद लोन के घर में उसे तैयार किया. उन्होंने रुबैया का तब अपहरण करने की योजना तैयार की, जब वह अस्पताल से श्रीनगर के नौगाम बाई पास जाने के लिए निकलतीं.
सीबीआई के अनुसार, इसके बाद मोहम्मद जमान मीर को छोड़कर सभी आरोपी अस्पताल के गेट पर पहुंच गए और छोटे समूहों में बंट गए.
आरोप पत्र में कहा गया है कि आरोपी यासीन मलिक ने रुबैया की पहचान करने के लिए उनकी ओर इशारा किया. आरोपी ने बंदूक की नोक पर मिनी बस को रोका, जिसमें वह यात्रा कर रही थीं. वहां से रुबैया को एक कार में चढ़ने के लिए लाया गया था और तब तक कैद में रखा गया जब तक जेकेएलएफ के पांच आतंकवादी उनकी रिहाई के बदले में अलग-अलग जेलों से रिहा नहीं हो गए.
मलिक इस समय दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अप्रैल 2019 में आतंकवाद के वित्तपोषण के एक मामले में मलिक को गिरफ्तार किया था. इससे एक महीने पहले ही केंद्र सरकार ने मलिक के संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था.
मलिक के खिलाफ आरोप तय किए जाने के बाद सीबीआई ने अपनी वरिष्ठ वकील मोनिका कोहली को बतौर मुख्य अभियोजक नियुक्त किया है.
वरिष्ठ वकील कोहली पिछले सात वर्षों से सीबीआई की ओर से पेश हो रही हैं और वह घाटी में 1989-90 के दौरान हुए दो चर्चित मामलों में मलिक की जमानत याचिका का सफलतापूर्वक विरोध कर चुकी हैं.
अधिकारियों ने बताया कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने कोहली को बतौर वरिष्ठ विशेष अभियोजक और एसके भट को विशेष लोक अभियोजक के तौर पर नियुक्ति के लिए सक्षम प्राधिकारी को मंजूरी के बाबत सूचना दे दी है.
विशेष टाडा अदालत ने जनवरी 1990 में श्रीनगर के बाहरी इलाके में भारतीय वायु सेना के चार जवानों की हत्या से जुड़े एक अन्य मामले में पिछले साल मार्च में जेकेएलएफ प्रमुख और छह अन्य के खिलाफ आरोप तय किए थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)