प्रवर्तन निदेशालय ने केडी सिंह के ख़िलाफ़ क़रीब 1900 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग के दो मामलों की जांच कर रही है. एजेंसी ने आरोप लगाया है कि उनकी कंपनी ने एक अवैध सामूहिक निवेश योजना शुरू की थी और 2015 तक करीब 1916 करोड़ रुपये लोगों से जमा करा लिए थे.
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद और कारोबारी केडी सिंह को गिरफ्तार किया है. इसके बाद दिल्ली की एक अदालत ने केडी सिंह को प्रवर्तन निदेशालय की तीन दिन की हिरासत में भेज दिया.
सिंह को मनी लॉन्ड्रिंग निषेध अधिनियम की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है. एजेंसी ने अदालत से सिंह की हिरासत प्रदान करने का अनुरोध किया था ताकि उनसे मामले में आगे पूछताछ की जा सके.
सिंह को मंगलवार रात गिरफ्तार किया गया. उन्हें विशेष न्यायाधीश अनुराधा शुक्ला भारद्वाज के समक्ष पेश किया गया. न्यायाधीश ने पूर्व सांसद से पूछताछ के लिए ईडी के हिरासत के अनुरोध को स्वीकार लिया.
ईडी के विशेष लोक अभियोजक एनके मट्टा ने अदालत को बताया कि पूछताछ के दौरान सिंह के बयान में विरोधाभास मिले और वह जवाब देने से भी बच रहे थे.
मट्टा ने अदालत को बताया कि मामले में सहयोग के लिए दो अनुरोध पत्र दो देशों को भेजे गए थे और उनके जवाब का इंतजार है.
मट्टा ने पूछताछ के लिए 14 दिन हिरासत प्रदान करने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘सिंह जवाब देने से बच रहे थे और उनका रुख सहयोग वाला नहीं था. बैंक के विवरण से देखा जा सकता है कि उन्होंने कोष को अपनी कंपनियों में लगाया.’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस की मुखिया हैं और कहा जा रहा है कि सिंह कुछ समय से पार्टी के कामकाज को भी देख रहे हैं.
केंद्रीय जांच एजेंसी ने मनी लॉन्ड्रिंग के दो मामलों में सिंह और उनसे जुड़े लोगों के परिसरों पर सितंबर 2019 में छापे मारे थे. अल्केमिस्ट समूह मामला और एक कथित आवासीय सोसाइटी घोटाला मामले में ईडी उनके परिसरों पर पहले भी कई बार छापा मार चुकी है.
सिंह ‘अल्केमिस्ट’ समूह के अध्यक्ष रह चुके हैं और 2012 में पद से इस्तीफा दे चुके हैं. कहा जाता है कि वह कारोबारी समूह के अध्यक्ष, एमरिटस और संस्थापक हैं.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, एजेंसी उनके खिलाफ करीब 1900 करोड़ रुपये के कथित पोंजी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के दो मामलों की जांच कर रही है.
जनवरी 2019 में एजेंसी ने उनके फर्म की 239 करोड़ की संपत्ति कुर्क की थी. एजेंसी ने आरोप लगाया है कि उनकी कंपनी ने एक अवैध सामूहिक निवेश योजना शुरू की थी और 2015 तक करीब 1916 करोड़ रुपये लोगों से लेकर जमा किए थे. मामले की जांच 2016 में शुरू हुई थी.
अप्रैल 2014 में वह तृणमूल कांग्रेस की ओर से राज्यसभा सदस्य चुना गया था, हालांकि यह घोटाला सामने आने के बाद वह साइडलाइन कर दिए गए. पिछले साल अप्रैल में उनका कार्यकाल खत्म हो गया.
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने कहा कि पार्टी के साथ केडी सिंह का कोई नाता नहीं है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)