कोवैक्सीन का केवल पहले और दूसरे चरण का ट्रायल पूरा हुआ है, जबकि तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल का अध्ययन अभी किया जा रहा है. दिल्ली के आरएमएल अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने कहा कि उन्हें इसे लेकर कुछ संदेह है और उनमें से अधिकतर टीकाकरण अभियान में हिस्सा नहीं लेंगे.
नई दिल्ली: राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल के ‘रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ (आरडीए) ने शनिवार को चिकित्सा अधीक्षक से उन्हें ऑक्सफोर्ड द्वारा विकसित कोविड-19 का टीका कोविशील्ड लगाए जाने का अनुरोध किया.
आरडीए ने चिकित्सा अधीक्षक को लिखे एक पत्र में कहा कि रेजिडेंट डॉक्टरों को कोवैक्सीन को लेकर कुछ संदेह है और वे लोग बड़ी संख्या में टीकाकरण अभियान में हिस्सा नहीं लेंगे और इस कारण शनिवार से देश में शुरू हुए टीकाकरण अभियान के उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो सकेगी.
पत्र में कहा गया है, ‘हमें पता चला है कि आज अस्पताल द्वारा कोविड-19 टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. कोवैक्सीन को भारत बायोटेक ने बनाया है और इसकी जगह, सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित कोविशील्ड को हमारे अस्पताल में प्राथमिकता दी जा रही है.’
उल्लेखनीय है कि आरएमएल अस्पताल में कोविड-19 का पहला टीका एक सुरक्षा गार्ड को लगाया गया है.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण अभियान की शुरुआत की और कहा कि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के ‘मेड इन इंडिया’ टीकों की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त होने के बाद ही इसके उपयोग की अनुमति दी गई है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में टीकाकरण अभियान सभी 11 जिलों में 81 स्थानों पर किया जा रहा है.
छह केंद्रीय सरकारी अस्पतालों- एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, कलावती सरन चिल्ड्रन हॉस्पिटल और दो ईएसआई अस्पतालों को अभियान केंद्र के रूप में चुना गया है.
इनके अलावा, लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल, दिल्ली सरकार द्वारा संचालित जीटीबी अस्पताल, राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, डीडीयू अस्पताल, बीएसए अस्पताल, दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट, आईएलबीएस अस्पताल टीकाकरण स्थलों में से हैं.
निजी सुविधाओं – मैक्स अस्पताल, फोर्टिस अस्पताल, अपोलो अस्पताल और सर गंगा राम अस्पताल को भी टीकाकरण अभियान केंद्र के रूप में चुना गया है.
सरकार के मुताबिक, सबसे पहले एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों, अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले करीब दो करोड़ कर्मियों और फिर 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को टीके की खुराक दी जाएगी. बाद के चरण में गंभीर रूप से बीमार 50 साल से कम उम्र के लोगों का टीकाकरण होगा.
स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों पर टीकाकरण का खर्च सरकार वहन करेगी.
अगर कोवैक्सीन से प्रतिकूल प्रभाव पड़े तो भारत बायोटेक मुआवजा अदा करेगी
कोविड-19 के टीके कोवैक्सीन की 55 लाख खुराकों की आपूर्ति के लिए सरकार से ऑर्डर प्राप्त करने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कहा है कि अगर टीका लगवाने के बाद किसी को गंभीर प्रतिकूल प्रभाव होते हैं तो उसे कंपनी मुआवजा देगी.
टीका लगवाने वाले लोगों द्वारा जिस फॉर्म पर हस्ताक्षर किए जाने हैं, उस पर भारत बायोटेक ने कहा है, ‘किसी प्रतिकूल या गंभीर प्रतिकूल प्रभाव की स्थिति में आपको सरकारी चिह्नित और अधिकृत केंद्रों और अस्पतालों में चिकित्सकीय रूप से मान्यताप्राप्त देखभाल प्रदान की जाएगी.’
सहमति पत्र के अनुसार, ‘अगर टीके से गंभीर प्रतिकूल प्रभाव होने की बात साबित होती है तो मुआवजा बीबीआईएल द्वारा अदा किया जाएगा.’
कोवैक्सीन के पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण में कोविड-19 के खिलाफ एंटीडोट विकसित होने की पुष्टि हुई है.
टीका निर्माता के मुताबिक टीके के क्लीनिकल रूप से प्रभावी होने का तथ्य अभी अंतिम रूप से स्थापित नहीं हो पाया है तथा इसके तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल में इसका अध्ययन अभी किया जा रहा है.
इसमें कहा गया है, ‘इसलिए यह जान लेना आवश्यक है कि टीका लगाने का मतलब यह नहीं है कि कोविड-19 संबंधी अन्य सावधानियों को नहीं बरता जाए.’
इस क्षेत्र के एक विशेषज्ञ के मुताबिक चूंकि टीका अभी क्लीनिकल ट्रायल के चरण में ही है इसलिए यदि किसी को गंभीर दुष्प्रभाव होते हैं तो मुआवजा देना कंपनी की जिम्मेदारी बनती है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)