जनजाति संगठन इंडीजीनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ ट्विप्रा का कहना है कि उनकी पार्टी के चार कार्यकर्ताओं को पिछले साल दिसंबर में ढलाई ज़िले के गांडाचेरा से गिरफ़्तार किया गया था, उन पर बिना किसी सबूत के उग्रवादियों की मदद करने का आरोप लगाया गया है.
अगरतलाः त्रिपुरा में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी-बीएम) के शीर्ष कमांडरों के आत्मसमर्पण के बीच इंडीजीनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ ट्विप्रा (आईएनपीटी) ने राज्य की भाजपा-आईपीएफटी सरकार पर आरोप लगाया है कि वह संगठन के सदस्यों के उग्रवादियों से संबंधों के झूठे आरोप लगा रही है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जनजाति संगठन आईएनपीटी का कहना है कि उनकी पार्टी के चार कार्यकर्ताओं को पिछले साल दिसंबर में ढलाई जिले के गांडाचेरा से गिरफ्तार किया गया था, उन पर बिना किसी सबूतों के उग्रवादियों की मदद करने का आरोप लगाया गया है.
आईएनपीटी के महासचिव जगदीश देबबर्मा ने शनिवार को कहा, ‘राज्य सरकार हमारी पार्टी को कमजोर करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर उग्रवादियों के साथ संबंधों के झूठे आरोप लगाए. मौजूदा समय में वे न्यायिक हिरासत में हैं. हमारी पार्टी के किसी भी कार्यकर्ता की उग्रवादी गतिविधियों में संलिप्तता नहीं रही.’
दो दिन पहले पार्टी ने त्रिपुरा जनजाति स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) के मुख्यालय खुमुलवांग में धरना दिया था और टीटीएएडीसी चुनाव कराने में देरी और सरकारी क्षेत्र में अनुसूचित जाति के पदों पर कम भर्तियों सहित कुछ अन्य स्थानीय मुद्दों पर निराशा जताई थी.
देबबर्मा ने कहा, ‘अगर अन्य राज्यों में चुनाव कराए जा सकते हैं तो त्रिपुरा में टीटीएएडीसी चुनाव क्यों नहीं कराए जा सकते? हम राज्य सरकार से जल्द से जल्द एडीसी चुनाव कराने की मांग करते हैं.’
रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी-बीएम) के चार शीर्ष कमांडरों के त्रिपुरा पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने के तीन हफ्ते बाद बीते 20 जनवरी को अधिकारियों ने ढलाई जिले के गांडाचेरा से चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें एक चरमपंथी भी शामिल है.
पिछले साल 24 दिसंबर को त्रिपुरा पुलिस के महानिदेशक वीएस यादव ने बताया था कि एनएलएफटी-बिस्वमोहन (बीएम) धड़े के शीर्ष दस में से चार कमांडरों में स्वयंभू सहायक विदेश सचिव रतन कलाई उर्फ रूबेन, स्वयंभू सहायक संगठन सचिव जॉय सधन जमातिया उर्फ जारा, स्वयंभू सूचना सचिव मधु रंजन नोटिया उर्फ याफुंग और स्वयंभू डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कुकिला त्रिपुरा उर्फ यारुंग ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया था.
खबरों के मुताबिक, यह संगठन कैडरों की कमी और वित्तीय संकट से गुजर रहा है. बता दें कि एनएलएफटी को यूएपीए के तहत 1997 में प्रतिबंधित कर दिया गया था और यह संगठन हिंसा में शामिल रहा है.