वकील अश्विनी उपाध्याय ने एक याचिका में मांग की है कि विधि आयोग को ‘सांविधिक संस्था’ घोषित कर एक महीने के भीतर इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की जाए. उपाध्याय का कहना है कि सितंबर 2018 से विधि आयोग नेतृत्वविहीन है और काम नहीं कर रहा है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार को एक जनहित याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया, जिसमें भारत के विधि आयोग को ‘सांविधिक संस्था’ घोषित करने और एक महीने के भीतर इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करने का निर्देश देने की मांग की गई है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने अधिवक्ता और भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है.
याचिका में कहा गया है कि 21वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त 2018 को समाप्त हो गया था और जबकि केंद्र ने 22वें आयोग के गठन को 19 फरवरी 2020 को मंजूरी दे दी थी, लेकिन इसे अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है और अध्यक्ष एवं सदस्यों के कार्यकाल को बढ़ाने को लेकर फैसला नहीं किया गया है.
उपाध्याय ने दावा किया कि विधि आयोग के कार्य नहीं करने के चलते कानून के विभिन्न पहलुओं सिफारिशें नहीं आ पा रही हैं.
उन्होंने अपनी दलील में कहा, ‘एक सितंबर 2018 से भारत का विधि आयोग नेतृत्व विहीन है और कार्य नहीं कर रहा है, जिसके चलते जनता को बहुत नुकसान हुआ है. आयोग सार्वजनिक मुद्दों की जांच करने में असमर्थ है. यहां तक कि विधि आयोग को भेजे गए संवैधानिक न्यायालयों के निर्देशों का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा.’