पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य देवांगना कलीता को दिल्ली दंगा संबंधी मामले में गिरफ़्तार किया गया था. दंगों से संबंधित तीन मामलों में उन्हें ज़मानत मिल चुकी है. कलीता के ख़िलाफ़ गै़रक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज है.
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने पिछले साल फरवरी में शहर के उत्तर-पूर्वी हिस्से में हुए दंगों के मामले में गिरफ्तार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की छात्रा एवं ‘पिंजरा तोड़’ संगठन की सदस्य देवांगना कलीता की जमानत याचिका खारिज कर दी है.
कलीता के खिलाफ सख्त गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने बृहस्पतिवार को पारित आदेश में कहा कि कलीता पर लगाए गए आरोप प्रथम दृष्ट्या सही प्रतीत होते हैं.
कलीता को दंगों की पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
अदालत ने कहा कि इतने बड़े स्तर पर साजिश के मामले में वीडियो क्लिप न होना सामान्य तौर पर बहुत महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि इस तरह की साजिश गुप्त रूप से रची जाती है और इस तरह की साजिश की वीडियो क्लिप न होना, संदेह करने की जगह बिलकुल स्पष्ट है.
अमर उजाला के मुताबिक, अदालत ने कहा कि दिसंबर 2019 से शुरू हुई पूरी कथित साजिश, जब सड़कों को जान-बूझकर आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति में असुविधा और व्यवधान पैदा करने के लिए सड़कों को अवरुद्ध कर दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप हिंसा हुई थी.
अदालत ने कहा, फरवरी 2020 के दंगों को ‘आतंकवादी कृत्य’ की परिभाषा के दायरे में लाया जाएगा.
कलीता की ओर से पेश वकील अदित एस. पुजारी ने कहा कि आरोपी हिंदू है, ऐसे में वह अपने ही समुदाय के खिलाफ मुसलमानों को भड़काकर हिंसा और दंगे क्यों कराएगी.
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि कलीता ने जहांगीरपुरी से महिला प्रदर्शनकारी जुटाने के लिए अन्य लोगों के साथ मिलकर साजिश की, जिन्होंने हिंसा की.
अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जमानत याचिका खारिज कर दी.
मालूम हो कि देवांगना कलीता और ‘पिंजरा तोड़’ की एक अन्य सदस्य नताशा नरवाल को मई 2020 में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा द्वारा गिरफ्तार किया गया था और उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता के विभिन्न धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं.
पिछले साल दिसंबर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुरानी दिल्ली के दरियागंज इलाके में और इस साल की शुरुआत में पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगों और हिंसा के संबंध में कलिता खिलाफ चार मामले दर्ज किए गए हैं.
कलीता को तीन मामलों में- दरियागंज, पूर्वोत्तर दिल्ली के जाफराबाद और जाफराबाद के ही एक अन्य मामले में जमानत मिल चुकी है.
मालूम हो कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी 2020 को सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे. इन दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 200 लोग घायल हुए थे.
पिंजरा तोड़ संगठन का गठन 2015 में किया गया था, जो हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं पर लागू तरह-तरह की पाबंदियों का विरोध करता है. संगठन कैंपस के भेदकारी नियम-कानून और कर्फ्यू टाइम के खिलाफ लगातार अभियान चलाता रहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)