घटना यवतमाल ज़िले के घाटानजी के भामबोरा स्वास्थ्य केंद्र की है, जहां एक से पांच साल तक के बच्चों के लिए राष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि जिन बच्चों को सैनिटाइज़र पिलाया गया, उनकी हालत ठीक है और उन्हें 48 घंटों के लिए निगरानी में रखा गया है.
नागपुरः महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के एक स्वास्थ्य केंद्र में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घाटानजी तहसील के भामबोरा स्वास्थ्य केंद्र के कापसी उपकेंद्र का मामला है. यहां स्वास्थ्यकर्मियों ने कथित तौर पर 12 बच्चों को पोलियो की खुराक की जगह सैनिटाइजर की ड्रॉप्स पिला दी.
इन बच्चों की उम्र एक से पांच साल के बीच बताई जा रही है. इन बच्चों को फिलहाल यवतमाल के गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीएमसीएच) में भर्ती कराया गया है.
जिला स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इन बच्चों की हालत ठीक है और इन्हें 48 घंटों के लिए निगरानी में रखा गया है.
अधिकारियों का कहना है कि इस घटना के लिए जिम्मेदार कर्मियों को जल्द सस्पेंड किया जाएगा और मामले की जांच की जा रही है.
यवतमाल के जिला स्वास्थ्य अधिकारी हरि पावर का कहना है, ‘बच्चे बिल्कुल ठीक हैं और उन्हें 48 घंटों के लिए निगरानी में रखा गया है.’
यवतमाल जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी कृष्णा पांचाल का कहना है, ‘घाटानजी तहसील के भामबोरा स्वास्थ्य केंद्र के कापसी उपकेंद्र में 12 बच्चों को सैनिटाइजर की दो बूंदे पिलाई गई. वहां मौजूद तीन कर्मचारियों सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी, एक आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविका को दोपहर लगभग दो बजे इस बात का एहसास हुआ कि बच्चों को पोलियो की जगह सैनिटाइजर पिलाया गया है इसलिए परिजनों को दोबारा बुलाया गया और पोलियो की खुराक दी गई.’
उन्होंने कहा, ‘स्थानीय सरपंच को इसका पता चला औऱ उन्होंने प्रशासन के समक्ष शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद बच्चों को यवतमाल जीएमसीएच लाया गया.’
यह पूछने पर कि क्या बच्चों में किसी तरह की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के लक्षण नजर आए?
इस पर पांचाल ने कहा, ‘सिर्फ एक बच्चा उल्टी कर रहा था लेकिन पोलियो की खुराक में भी ऐसा हो सकता है. लेकिन यह मुद्दा नहीं है. यह कर्मचारियों की लापरवाही का मामला है. हमने जांच शुरू कर दी है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.’
पांचाल ने कहा, ‘ऐसा नहीं होना चाहिए था क्योंकि पोलियो की खुराक एक बोतल में थीं, जिन पर लेबल लगा हो, जिससे एक विशेष रंग का पता चलता है, जो उचित तापमान को बनाए रखने का संकेत देता है. इसलिए हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या तीनों कर्मियों को पोलियो की खुराक पिलाने के लिए उचित रूप से प्रशिक्षित किया गया था. सामान्य तौर पर यह जिम्मेदारी पीएचसी के मेडिकल अधिकारी की होती है.’