इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, त्रिपुरा, मिज़ोरम, मणिपुर और मेघालय के प्रमुख समाचार.
असम में बाढ़ की स्थिति और भी ख़राब हो गई और वहां पांच लोगों के मारे जाने की खबर है जबकि त्रिपुरा के तीन जिलों में अचानक बाढ़ आने से कम से कम 4,500 परिवार बेघर हो गए हैं. असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के अनुसार धेमाजी में दो लोगों की मौत हो गई जबकि लखीमपुर, कोकराझार और मोरीगांव में एक-एक व्यक्ति की मौत हो गई.
इन मौतों के बाद राज्य में इस साल बाढ़ की वजह से मरने वालों की संख्या 89 तक पहुंच गई है. एएसडीएमए ने बताया कि असम के विभिन्न जिलों में बाढ़ से 11 लाख लोग प्रभावित हुए हैं.
संस्थान की रिपोर्ट के मुताबिक धुबरी में बाढ़ का सर्वाधिक असर हुआ है जहां 1.92 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. इसके बाद धेमाजी में 1.51 लाख लोग इस आपदा से प्रभावित हैं. एएसडीएमए ने बताया कि मौजूदा समय में 1,752 गांव जलमग्न हैं और एक लाख से हेक्टेयर से अधिक की फसल भूमि प्रभावित हो चुकी है.
अधिकारिक सूत्रों के अनुसार, त्रिपुरा के तीन जिलों में लगातार हुई बारिश के बाद अचानक बाढ़ आ गई जिससे यहां के 4,500 परिवार बेघर हो गए हैं. राज्य के राजस्व मंत्री बादल चौधरी ने बताया कि दो हजार से ज़्यादा परिवारों को विभिन्न सरकारी इमारतों में शरण लेने को मजबूर होना पड़ा, क्योंकि राज्य की राजधानी का बड़ा हिस्सा और निचले बाहरी इलाके जलमग्न हैं.
चौधरी ने कहा कि हावड़ा नदी में पानी ख़तरे के निशान से ऊपर बह रहा है. सिपाहीजाला के जिला मजिस्ट्रेट प्रदीप चक्रवर्ती ने कहा कि जिले में बाढ़ की वजह से कम से कम 2,500 परिवार प्रभावित हुए हैं और उन्होंने सरकारी इमारतों में बनाए गए 60 राहत शिविरों में शरण ली है.
मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल के उपहिमालयी जिलों में भारी बारिश जारी है जिससे कुछ जगहों के जलमग्न होने की स्थिति पैदा हो गई है. पश्चिम बंगाल सरकार ने 12 अगस्त को कहा कि वह राज्य के उत्तरी क्षेत्र में आई बाढ़ से युद्धस्तर पर निपट रही है, जहां पांच जिले प्रभावित हुए हैं और तकरीबन 100 चाय बागान जलमग्न हो गए हैं.
राज्य के सिंचाई मंत्री राजीव बनर्जी ने कहा, ‘हमने पहले ही नियंत्रण कक्ष खोल दिए हैं और मैं निजी तौर पर निगरानी और प्रबंधन में शामिल हूं. राज्य भारी बारिश का सामना कर रहा है और क्षेत्र में आई बाढ़ से निपटने के लिए युद्धस्तर पर काम हो रहा है.’
उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्थिति की निगरानी कर रही हैं. साथ ही राहत सामग्री भेजने समेत सभी ज़रूरी कदम उठाए जा रहे हैं. ज्ञात हो कि राज्य में बाढ़ से प्रभावित पांच जिलों में कूचबिहार, उत्तरी दिनाजपुर, अलीपुरदुआर, जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग शामिल हैं.
त्रिपुरा में बाढ़ की स्थिति पर केंद्र की नज़र
असम और पश्चिम बंगाल के अलावा त्रिपुरा के बाढ़ प्रभावित इलाकों में चल रहे राहत एवं बचाव कार्यों पर केंद्र सरकार की पूरी नज़र है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने समाचार एजेंसी भाषा से बात करते हुए जानकारी दी कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में राज्य सरकार को राहत एवं बचाव कार्य में मदद के लिये राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के जवानों को रवाना कर दिया गया है.
रिजिजू ने बताया कि राज्य में बाढ़ की स्थिति पर केंद्र सरकार पूरी नज़र रखे हुये है और एनडीआरएफ के दलों के साथ लगातार संपर्क में है. उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ का एक दल अगरतला से बाढ़ प्रभावित गांव आश्रम चमानी कॉलोनी के लिये रवाना कर दिया गया है. पश्चिमी त्रिपुरा जिले के इस गांव में होआरा नदी के जलस्तर में इजाफे के बाद राहत एवं बचाव दल को भेजा गया है.
उन्होंने बताया कि राहत एवं बचाव अभियान के दौरान 11 अगस्त को बाढ़ में फंसे 357 लोगों को जलमग्न क्षेत्रों से सुरक्षित निकाला गया. इस दौरान 372 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. एनडीआरएफ दल अब बाढ़ से घिरे प्रतापगढ़ गांव के लिये रवाना हो गया है. रिजिजू ने बताया कि 11 अगस्त की रात से हो रही लगातार बारिश के कारण अगरतला के अधिकांश इलाकों में जलभराव होने से सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है.
भारी बारिश के कारण बाढ़ से घिरे अधिकतर इलाकों में स्थानीय लोगों और वाहनों की आवाजाही थम गयी है. सरकारी दफ्तरों, बैंक और शिक्षण संस्थाओं में लोगों की उपस्थिति भी काफी कम हो गयी है.
मेघालय: बाढ़ से तीन की मौत
शिलांग: मेघालय में लगातार हो रही बारिश के कारण कई नदियां ख़तरे के निशान के ऊपर बह रही हैं और राज्य के निचले इलाकों में बाढ़ आ गयी है. पूर्वी खासी हिल्स जिले के पुलिस अधीक्षक डेविस माराक ने बताया कि 12 अगस्त को राज्य में बाढ़ जनित घटनाओं में तीन लोगों की मौत हो गई और दो अन्य जख्मी हो गए.
पुलिस ने बताया कि राजभवन परिसर में यूक्लिप्टस का पुराना पेड़ एक टैक्सी के ऊपर गिर गया जिससे तीन लोगों की मौत हो गई और दो अन्य जख्मी हो गए. उन्होंने बताया कि पेड़ के साथ बिजली का एक खंभा, दूरसंचार केबल भी गिर पड़े जिससे चार वाहन चकनाचूर हो गए.
माराक ने यह भी बताया, ‘तीन लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई और दो अन्य मामूली रूप से जख्मी हो गए.’ उन्होंने कहा कि राहत कर्मियों को मलबा हटाने के लिए लगाया गया है और यातायात का मार्ग बदल दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस कारण राज्य की राजधानी में यातायात बाधित हो गया है.
पुलिस ने बताया कि लगातार बारिश के कारण पेड़ गिर गया जबकि जिले भर में छोटे भूस्खलन की भी खबरें हैं. अधिकारियों ने बताया कि बहरहाल दक्षिण गारो हिल्स जिले में एक हजार से ज़्यादा परिवारों को ऊंचाई वाले इलाके में जाने के लिए कहा गया है जबकि पश्चिम गारो हिल्स जिले में मूसलाधार बारिश के कारण निचले इलाकों में बाढ़ आने से सैकड़ों अन्य लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.
दक्षिण गारो हिल्स की उपायुक्त एस.माराक ने बताया कि बाढ़ के कारण प्रभावित परिवारों में राहत वितरण किया जा रहा है. स्कूलों और बाजार सहित आधे शहर में पानी भरा हुआ है. उन्होंने कहा कि स्थिति काफी ख़राब है और प्रभावित परिवारों को सहायता दी जा रही है.
मिज़ोरम: बीफ फेस्टिवल में लिया सैकड़ों लोगों ने हिस्सा
आइजोल: 11 अगस्त को मिज़ोरम के लुंगलेइ शहर में बीफ फेस्टिवल का आयोजन किया गया जिसमें सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया और बीफ खाया. लुंगलेइ बीफ फेस्टीवल कमिटी के अध्यक्ष लालरमजौवा ने बताया कि महोत्सव में सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया और बीफ खाया.
बीफ फेस्टिवल में बड़ी संख्या में तख्तियां और बैनर प्रदिर्शत किए गए थे. वहां एक तख्ती पर लिखा था, ‘हमें टुकड़ों में नहीं, शांति से जीने दें.’
बीफ फेस्टिवल में कई वक्ताओं ने चेताया कि अगर कुछ धर्मांध लोगों ने सरकार के माध्यम से अपना धार्मिक और सांप्रदायिक एजेंडा थोपने की कोशिश की तो भारत टूट जाएगा. ज्ञात हो कि इससे पहले 12 जून को भी आइज़ॉल में बीफ फेस्टिवल आयोजित किया गया था.
असम: आफ्सपा की अवधि एक महीने बढ़ाई गई
केंद्र सरकार ने असम को अशांत क्षेत्र मानते हुये राज्य में लागू सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ्सपा) की अवधि को एक महीने के लिये बढ़ा दिया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस आशय की विशेष गजट अधिसूचना जारी करते हुये राज्य में सक्रिय उल्फा और एनडीबीएफ सहित अन्य अलगाववादी संगठनों की हिंसक गतिविधियों के मद्देनज़र पूरे असम को आफ्सपा के तहत अशांत क्षेत्र घोषित किया है.
गत तीन अगस्त से प्रभावी एक अन्य अधिसूचना में असम से सटे मेघालय के सीमावर्ती क्षेत्रों और अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों को भी अशांत क्षेत्र घोषित करते हुये इन इलाकों में अगले दो महीने के लिये आफ्सपा की अवधि को बढ़ा दिया गया. अधिसूचना के तहत असम में आफ्सपा की अवधि तीन अगस्त से 31 अगस्त तक प्रभावी रहेगी जबकि असम से लगे मेघालय के 23 किमी के क्षेत्र में आफ्सपा की अवधि 30 सितंबर तक रहेगी.
इस अधिसूचना के तहत अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लांगडिंग जिलों के अलावा राज्य के नौ अन्य जिलों के 14 पुलिस थानों को अशांत क्षेत्र घोषित करते हुये इनमें चार अगस्त से 30 सितंबर तक आफ्सपा लागू किया गया है. ज्ञात हो कि इन तीनों जिलों में जनवरी 2016 से आफ्सपा लागू है.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि साल 2016 में असम में दर्ज की गयी हिंसा की 75 वारदातों में सुरक्षा बल के चार जवानों सहित 33 लोगों की मौत हुई थी और 14 अन्य का अपहरण किया गया था. हिंसा प्रभावित इलाकों में सुरक्षा एवं क़ानून व्यवस्था की नियमित समीक्षा के बाद आफ्सपा की अवधि बढ़ाने का फैसला किया गया. असम में नवंबर 1990 से आफ्सपा लागू है.
अरुणाचल प्रदेश: भाजपा इकाई ने पीपीए के साथ संबंध तोड़े
ईटानगर: भाजपा की अरुणाचल प्रदेश इकाई ने नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस (नेडा) के साझेदार अरुणाचल पीपुल्स पार्टी (पीपीए) के साथ अपने संबंध समाप्त कर दिये है. पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष तापिर गाओ ने 10 अगस्त को पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक के दौरान इस संबंध में घोषणा की.
पार्टी ने 11 अगस्त को एक विज्ञप्ति में बताया कि नेडा के संयोजक हिमंत बिस्व शर्मा ने गाओ के पीपीए के साथ संबंध तोड़े जाने के फैसले की जानकारी भाजपा के केंद्रीय नेताओं को दे दी हैं. विज्ञप्ति में कहा गया, ‘भाजपा पीपीए को विपक्षी पार्टी कांग्रेस के जैसा ही समझेगी.
गौरतलब है कि राज्य विधानसभा में भाजपा के 47 विधायक हैं और दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ यह संख्या 49 हो जाती हैं. पीपीए के नौ विधायक है और कांग्रेस का एक विधायक है.
पूर्वोत्तर भारत में नागा पीपुल्स फ्रंट,सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट,अरुणाचल पीपुल्स पार्टी,असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट जैसी क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों के साथ मिलकर भाजपा ने 24 मई 2016 को क्षेत्र के लोगों के हितों की रक्षा और पूर्वोत्तर में ग़ैर कांग्रेसी दलों को एकजुट करने के उद्देश्य से नेडा का गठन किया था.
असम: महात्मा गांधी की मूर्ति हटाने पर पर नाराज़गी
गुवाहाटी: असम में कामरूप मेट्रो जिला प्रशासन द्वारा यहां गांधी मंडप से महात्मा गांधी की मूर्ति को हटाने के फैसले पर कलाकारों और स्वतंत्रता सेनानियों ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए नाराज़गी ज़ाहिर की है.
जिला प्रशासन की एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, उपायुक्त एम अंगामुथू की अध्यक्षता में 7 अगस्त को हुई एक बैठक में गुवाहाटी स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत गांधी मंडप का विकास करने और सरनिया हिल्स से अतिक्रमण हटाने के लिए महात्मा गांधी की मूर्ति हटाने का फैसला किया है.
हेरिटेज कान्सर्वेशन सोसाइटी ऑफ असम के अध्यक्ष माणिक बोरा ने 9 अगस्त को समाचार एजेंसी भाषा से बात करते हुए कहा, ’47 वर्ष पुरानी मूर्ति को रामकिंकर बैज जैसे बेजोड़ मूर्तकिार ने बनाया था. कांस्य की यह मूर्ति असम का गौरव है और हम भाग्यवान हैं कि यह हमारे राज्य में है.’
जाने माने कला आलोचक और फिल्मकार बोरा ने यह भी कहा कि मूर्ति को हटाना अपराध और दुर्भाग्य होगा. हम मूर्ति हटाने के प्रशासन के कदम की कड़ी निंदा करते हैं और इसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन करेंगे.
बोरा ने कहा, ‘अगर मूर्ति को तोड़ने के लिए हथौड़ा उठाया जाता है तो हम कलाकर एवं समान विचारधारा वाले लोग इसके आगे अपना सिर रख देंगे. सरकार को मूर्ति की अहमियत का अहसास नहीं है… पश्चिम इस मूर्ति के लिए करोड़ो डॉलर देगा.
असम फ्रीडम फाइटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जतिन गोस्वामी ने भी कदम का विरोध करते हुए कहा, ‘मूर्ति राज्य का गौरव है. हम सरकार को महात्मा गांधी की मूर्ति को हटाने नहीं दे सकते हैं. हम सरकार के कदम को मंजूरी नहीं देते हैं और हम प्रशासन को उसका फैसला वापस लेने के लिए एक ज्ञापन देंगे ताकि मूर्ति को उसके वास्तविक स्थान पर कायम रखा जा सके.’
वहीं कस्तूरबा गांधी नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट की असम शाखा के एक प्रवक्ता ने कहा, यह अच्छा कदम नहीं है… इसे इजाज़त नहीं दी जा सकती है. हमने प्रशासन के फैसले के विस्तृत कागजात का आग्रह किया है.’ इस ट्रस्ट के प्रवक्ता ने दावा किया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने मूर्ति का निर्माण कराया था और भाजपा नीत सरकार कांग्रेस द्वारा स्थापित की गईं सभी मूर्तियों को हटाना चाहती है.
मूर्ति हटाने को लेकर हुई इस चर्चा पर पूर्व केंद्रीय शिक्षा और संस्कृति मंत्री रेणुका देवी बोरकातकी ने कहा, ‘मुझे जानकारी नहीं है कि मूर्ति को किसने बनाया है. मूर्ति गांधी की सही तस्वीर पेश नहीं करती है.’
हालांकि इस विरोध के बाद मुख्यमंत्री सोनोवाल ने मूर्ति हटाने की बात का खंडन किया था.
मेघालय: भाजपा का दावा, इस बार होगी ग़ैर कांग्रेस सरकार
शिलॉन्ग: भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता नलिन कोहली ने दावा किया कि मेघालय में अगले साल विधानसभा चुनाव के बाद ग़ैर कांग्रेस सरकार का गठन होगा.
8 अगस्त को शिलॉन्ग में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘आज जब हम स्थिति का आकलन करते हैं तो ग़ैर कांग्रेस सरकार निश्चित प्रतीत होती है. अब केवल सवाल यह है कि ग़ैर कांग्रेस सरकार में कौन शामिल होने जा रहा है और उन पार्टियों के पास कितनी सीटें होंगी.’
यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा चुनाव से पहले चुनाव पूर्व गठबंधन की ओर देख रही है, कोहली ने कहा कि कोई गठबंधन चुनाव पूर्व या चुनाव बाद हो सकता है, लेकिन गठबंधन होने तक हर पार्टी अपना आधार मजबूत करने के लिए काम करेगी.
असम: मुख्यमंत्री ने किया पूर्वोत्तर में राष्ट्रपति प्रवास स्थल बनाने का आग्रह
गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से पूर्वोत्तर में एक राष्ट्रपति प्रवास स्थल की स्थापना करने का आग्रह किया, जो देश की एकता का प्रतीक होगा.
मुख्यमंत्री कार्यालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार सोनोवाल ने राष्ट्रपति भवन में कोविंद के साथ हुई अपनी हालिया बैठक में शिमला के मशोबरा और हैदराबाद के बोलारम में स्थित राष्ट्रपति प्रवास स्थलों का ज़िक्र किया और उनसे उत्तर और दक्षिण में पहले से मौजूद प्रवास स्थलों के अलावा पूर्वोत्तर में भी राष्ट्रपति के ठहरने के लिए विशेष व्यवस्था करने का आग्रह किया, जो देश की एकता का प्रतीक होगा.
रामनाथ कोविंद ने इस विचार के लिए सोनोवाल की सराहना की और आासन दिया कि वह इस पर पूरी गंभीरता से विचार करेंगे.
विज्ञप्ति के मुताबिक मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति को असम आने का निमंत्रण भी दिया जिसे उन्होंने खुशी से स्वीकार करते हुए कहा कि वे अक्टूबर-नवंबर में असम तथा पूर्वोत्तर की यात्रा के बारे में सोच रहे हैं.
त्रिपुरा: तृणमूल कांग्रेस के छह बर्खास्त विधायक भाजपा में शामिल
अगरतला: तृणमूल कांग्रेस से बर्खास्त किए गए त्रिपुरा के छह विधायक 7 अगस्त को औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल हो गए. इन लोगों ने 17 जुलाई के राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार राम नाथ कोविंद को वोट दिया था.
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, भाजपा के उत्तर पूर्व डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) संयोजक हिमंत बिस्वा शर्मा, प्रदेश भाजपा प्रमुख बिप्लब कुमार देब और प्रदेश पार्टी पर्यवेक्षक सुनील देवधर ने इन छह विधायकों का स्वागत किया, जिनका नेतृत्व त्रिपुरा विधानसभा में विपक्ष (कांग्रेस) के पूर्व नेता सुदीप रॉय बर्मन कर रहे थे.
सुदीप के अलावा अन्य विधायकों में आशीष कुमार साहा, दीबा चंद्र ह्रंगखॉल, बि बंधु सेन, प्राणजीत सिंह रॉय और दिलीप सरकार शामिल हैं. इन विधायकों ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से पांच अगस्त को दिल्ली में मुलाकात की थी.
तृणमूल कांग्रेस महासचिव पार्थ चटर्जी ने तीन जुलाई को कहा था कि पार्टी इन छह विधायकों से कोई संबंध नहीं रखेगी. गौरतलब है कि 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का वाम दल से चुनावी गठजोड़ करने के विरोध में ये छह विधायक कांग्रेस छोड़ तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे
बर्मन ने कहा कि जब कांग्रेस ने वाम मोर्चा की सरकार हटाने में हमारे आंदोलन में हमसे दगा किया तब हमने सोचा कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी हमारे मिशन में मदद करेगी. लेकिन हमने पाया कि वह सोनिया गांधी और सीताराम येचुरी की करीबी हो गई.
प्रधान ने कहा कि त्रिपुरा में क़ानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है और महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध बढ़ गये हैं. वाम मोर्चा सरकार को एक क्षण भी सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है.
मणिपुर: सरकार कर रही है फ्लाइंग डॉक्टर योजना पर विचार
इंफाल: मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने 7 अगस्त को बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने द्वारा तैयार फ्लाइंग डॉक्टर योजना विचार के बारे में अवगत कराया है, जिसके बारे में उनका कहना है कि इससे मणिपुर और पड़ोसी राज्यों के लोगों को मदद मिलेगी .
रक्षाबंधन के पर्व पर प्रधानमंत्री से मिलने पहुंची राज्यपाल का कहना है कि यह योजना अनूठी है और पूर्वोत्तर क्षेत्र में समान भौगोलिक बनावट वाले अन्य पहाड़ी राज्यों के लिए काफी मददगार होगी. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री से इसके आधिकारिक और अन्य जरूरी ज़रूरतें पूरा होने के बाद उद्घाटन करने का आग्रह किया है .
त्रिपुरा: चटगांव से त्रिपुरा तक गैस पाइपलाइन के लिए विचार-विमर्श जारी
अगरतला: पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय पूर्वोत्तर राज्यों में रसोई गैस की कमी का संकट दूर करने के लिए बांग्लादेश के बंदरगाह शहर चटगांव से त्रिपुरा तक प्राकृतिक गैस पाइपलाइन बनाने पर विचार कर रहा है. इस सिलसिले में बांग्लादेश के साथ बातचीत जारी है.
केंद्रीय तेल मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने 7 अगस्त को अगरतला में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘हम पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी से बांग्लादेश के पार्वतीपुर तक डीजल के लिए पाइपलाइन बिछा रहे हैं. असम के नुमालीगढ़ तेल शोधन संयंत्र से सिलिगुड़ी डीजल ले जाने के लिए पाइपलाइन बिछी हुई है. इसके बदले में हमने चिटगांव से त्रिपुरा तक के गैस पाइपलाइन का प्रस्ताव दिया है. हम इस मामले में कूटनीतिक तरीके से आगे बढ़ रहे हैं और मैं जल्दी ही इस संबंध में बांग्लादेश का दौरा भी करूंगा.’
प्रधान ने कहा कि बांग्लादेश से इसकी मंजूरी मिलने पर रेल पटरियों के किनारे पाइपलाइन बिछाई जाएगी जो भारत-बांग्लादेश सीमा के पास से गुजरती है.
प्रधान ने त्रिपुरा में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत करते हुए गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले 20 परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन वितरित किया. त्रिपुरा में 9.22 लाख परिवारों के पास रसोई गैस कनेक्शन है तथा आने वाले दिनों में हर घर में रसोई गैस कनेक्शन के लिए प्रयास किये जा रहे है.
केंद्रीय मंत्री ने इस मौके पर 60,000 टन वार्षिक क्षमता के गैस-बॉटलिंग क्षमता संयंत्र का उद्घाटन किया. इसे वर्ष 2019 तक तैयार कर लिया जाएगा तथा इसपर 143 करोड़ रुपये खर्च होंगे. उन्होंने कहा, ‘पुराने बॉटलिंग संयंत्र से 9.22 लाख कनेक्शनों में से 4.5 लाख उपभोक्ताओं की ज़रूरतें पूरी की जा रही हैं. नये संयंत्र की शुरुआत के बाद इसकी आपूर्ति क्षमता दो गुना हो जाएगी और अधिकांश घरों की ज़रूरतों को पूरा किया जा सकेगा.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)