उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मेडिकल कॉलेजों में दवा और गैस का कोई भी भुगतान बकाया न रखने को कहा है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में पांच दिनों में 60 से ज़्यादा बच्चों की दर्दनाक मौत के बाद प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि आॅक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत नहीं हुई है.
इस बीच चिकित्सा शिक्षा विभाग विशेष रूप से सतर्क हो गया है और उसने प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और बड़े चिकित्सा संस्थानों को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि वह अपने-अपने संस्थानों में किसी भी प्रकार की दवा और आॅक्सीजन की कमी न होने दें और यदि किसी गैस आपूर्तकिर्ता का कोई बकाया हो उसका भुगतान तुरंत किया जाए.
अपर मुख्य सचिव (चिकित्सा शिक्षा) अनीता भटनागर जैन ने बताया कि यह निर्देश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पहले भी सभी 21 संस्थानों को दिए गए थे लेकिन गोरखपुर के हादसे के बाद यह निर्देश एक बार फिर सभी संस्थानो के प्रमुखों को भेजे गए हैं.
गौरतलब है कि शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पत्रकारों को बताया था कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत आॅक्सीजन की कमी की वजह से नहीं हुई है.
अपर मुख्य सचिव (चिकित्सा शिक्षा) अनीता भटनागर जैन ने रविवार को कहा कि गोरखपुर के हादसे के बाद हमने प्रदेश के नौ सरकारी मेडिकल कॉलेजों और 12 अन्य बड़े चिकित्सीय संस्थानों के प्राचार्य और मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों को लिखित निर्देश दिए है कि वह यह सुनिश्चित करें कि उनके मेडिकल कालेज या चिकित्सीय संस्थान में दवा और आॅक्सीजन की कमी न होने पाए और यदि किसी गैस सप्लायर्स का कोई भी पैसा बाकी हो तो उसका भुगतान तुरंत कर दिया जाए. संस्थान में किसी भी तरह आॅक्सीजन की कमी न होने पाए और आॅक्सीजन का पर्याप्त स्टॉक सुरक्षित रखा जाए.
उन्होंने कहा, प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को व्यक्तिगत रूप से यह सुनिश्चित करना है कि दवाओं में कोई कमी न हो, जहां पर गैस की आपूर्ति होती है वहां सारे भुगतान तुरंत कर दिए जाएं, इसमें कोई ढिलाई न बरती जाए. व्यक्तिगत रूप से वह देखे कि किसी भी तरह के भुगतान में कोई देरी न हो और मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पतालों में दवाओं और गैस की सप्लाई में कोई कमी न हो.
उन्होंने कहा कि वैसे गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत आॅक्सीजन की कमी की वजह से नहीं हुई है, जांच में साफ हो गया है कि वहां बच्चों की मौत बीमारियों की वजह से हुई है.
उन्होंने कहा, जहां तक बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज गोरखपुर की बात है तो वहां तो गैस का भुगतान भी पहले ही कर दिया गया था. इसलिए सभी प्रिसिंपल और चिकित्सा संस्थानों के प्रमुखों से कहा गया है कि वह दवाओं और गैस की मॉनीटरिंग ख़ुद करें और भुगतान में किसी भी प्रकार की देरी न करें और इस बारे में शासन को भी अवगत कराएं. अगर कोई परेशानी होती है तो तुरंत शासन को उससे अवगत कराएं.
जैन ने कहा कि यह मौसम बीमारियों का मौसम है इसलिए सभी मेडिकल कॉलेजो के प्राचार्यों और चिकित्सा संस्थानों के प्रमुखों को पहले भी चिट्ठी भेजकर आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए थे अब एक बार फिर 12 अगस्त को इन सभी को चिट्ठी भेजकर हाई एलर्ट पर रहने को कहा गया है.
उत्तर प्रदेश में नौ सरकारी मेडिकल कॉलेज है. यह मेडिकल कॉलेज लखनऊ, कानपुर, आगरा, इलाहाबाद, मेरठ, झांसी, गोरखपुर, सैफेई और अंबेडकर नगर में हैं. इसके अलावा 12 बड़े चिकित्सीय संस्थान हैं जो राज्य सरकार के अंतर्गत आते हैं.
गोरखपुर में पिछले पांच दिनों में 60 से ज़्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. इसकी वजह आॅक्सीजन की कमी बताई जा रही है.
घटना के बाद शनिवार को उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने संवाददाताओं से कहा था, ‘बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को कार्य में ढिलाई के लिए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.’
सिंह ने ये बताया था कि मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक सात अगस्त से 11 अगस्त तक विभिन्न बीमारियों से 60 बच्चों की मौत हुई है. सिंह ने बच्चों की मौत के पीछे आॅक्जीजन की कमी से इंकार किया था. शनिवार को उन्होंने बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान होने वाली मौतों का आंकड़ा देते हुए कहा था कि हर साल अगस्त में बच्चों की मौतें होती ही हैं.
शनिवार को ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में आॅक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत की ख़बरों से इंकार करते हुए कहा कि राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति प्रकरण की जांच करेगी और किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)