कृषि क़ानून: अमेरिका ने कहा- इंटरनेट की उपलब्धता, शांतिपूर्ण प्रदर्शन जीवंत लोकतंत्र की निशानी

यूएस स्टेट डिपार्टमेंट का यह बयान अमेरिकी गायिका रिहाना समेत कई हस्तियों के किसान आंदोलन के समर्थन पर भारतीय विदेश मंत्रालय की आलोचना पर आया है. विभाग ने यह भी कहा कि अमेरिका ऐसे कदमों का स्वागत करता है जो भारतीय बाज़ार को बेहतर बनाते हैं और बड़े स्तर पर निजी निवेश आकर्षित करते हैं.

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यूएस स्टेट डिपार्टमेंट का यह बयान अमेरिकी गायिका रिहाना समेत कई हस्तियों के किसान आंदोलन के समर्थन पर भारतीय विदेश मंत्रालय की आलोचना पर आया है. विभाग ने यह भी कहा कि अमेरिका ऐसे कदमों का स्वागत करता है जो भारतीय बाज़ार को बेहतर बनाते हैं और बड़े स्तर पर निजी निवेश आकर्षित करते हैं.

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किसानों को रोकने के लिए कटीले तार, बैरिकेडिंग और सीमेंटेड दीवार के जरिये बनाया जा रहा सुरक्षा घेरा. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: देशव्यापी किसान आंदोलन पर नामचीन विदेशी कलाकारों की टिप्पणी को लेकर भारत सरकार की प्रतिक्रिया और ऑनलाइन ट्रोलिंग के बाद अमेरिका ने कहा है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन और निर्बाध इंटरनेट तक पहुंच ‘एक जीवंत लोकतंत्र की निशानी होती है.’

अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल के सवाल का जवाब देते हुए यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने कहा, ‘हमारा मानना है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन किसी भी जीवंत लोकतंत्र की निशानी होती है, यही बात भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी कही है.’

इस बात जोर देते हुए कि सभी पक्षकारों को मिलकर इसका समाधान निकालना चाहिए, अमेरिकी विभाग ने कहा, ‘अमेरिका ऐसे कदमों का स्वागत करता है जो भारत के बाजार को बेहतर बनाते हैं और बड़े स्तर पर निजी निवेश को आकर्षित करते हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘हमारा मानना है कि सूचनाओं का निर्बाध प्रवाह, जिसमें इंटरनेट शामिल है, अभिव्यक्ति की आजादी का अभिन्न अंग है और जीवित लोकतंत्र का हॉलमार्क है.’

यूएस स्टेट डिपार्टमेंट का ये बयान भारत के विदेश मंत्रालय की उस प्रतिक्रिया को लेकर आया है जिसमें उन्होंने अमेरिकी गायिका रिहाना और अमेरिका की उपराष्ट्रपति की भतीजी मीना हैरिस की टिप्पणियों को लेकर आलोचना की थी.

भारत में अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने भी इसी तरह का बयान जारी किया और कहा, ‘ये निजी लोगों के अपने विचार हैं. मैं निजी लोगों के विचारों पर टिप्पणी नहीं कर सकता हूं.’

पॉपस्टार रिहाना ने ‘इंडिया कट्स इंटरनेट अराउंड न्यू डेल्टी एज प्रोटेस्टिंग फार्मर्स क्लैश विद पुलिस’ शीर्षक से प्रकाशित सीएनएन के एक लेख को शेयर कर किसान आंदोलन के प्रति समर्थन जताया.

रिहाना ने ट्वीट कर कहा, ‘हम किसानों के आंदोलन के बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं?’ ट्विटर पर रिहाना के 10 करोड़ से ज्यादा फॉलोवर्स हैं और वे इस मामले में दुनिया में चौथे स्थान पर हैं.

इसके अलावा पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन की दिशा में काम करने वाली ग्रेटा थनबर्ग ने भी सीएनएन का लेख शेयर किया और अधिक स्पष्ट तरीके से किसानों के आंदोलन के प्रति समर्थन जताया.

इसे लेकर दिल्ली पुलिस ने थनबर्ग के खिलाफ केस भी दायर कर लिया है. हालांकि पर्यावरण कार्यकर्ता ने एक और ट्वीट कर कहा कि वे अपने बयान पर कायम हैं और किसान आंदोलन का समर्थन करती रहेंगी.

अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी मीना हैरिस ने भी कहा कि सभी को भारत में इंटरनेट के बंद होने और किसान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अर्धसैनिक बलों की हिंसा से नाराज होना चाहिए. उन्होंने कहा कि दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र पर हमला हुआ है.

अमेरिकी प्रतिनिधि जिम अकोस्टा, ब्रिटिश सांसद क्लॉडिया वेब, कार्यकर्ता जेमी मार्गोलिन और अभिनेता जॉन कुसक ने भी किसान आंदोलन के प्रति समर्थन जताया है.

रिहाना और थनबर्ग के बाद जहां दुनियाभर की कई अन्य हस्तियों ने भी किसानों के समर्थन में अपनी आवाज दी, वहीं दोनों को भारत में ट्रोलिंग का शिकार भी होना पड़ा.

किसान आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिल रहे समर्थन के बीच विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर इसे गैर जिम्मेदाराना बताया.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बयान जारी कर कहा, ‘सनसनीखेज सोशल मीडिया हैशटैग और कमेंट्स से लुभाने का तरीका, खासकर जब मशहूर हस्तियों और अन्य लोगों द्वारा किया गया हो तो यह न तो सटीक है और न ही जिम्मेदाराना है.’

इस संबंध में विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘इस तरह के मामलों पर टिप्पणी करने से पहले हम आग्रह करते हैं कि तथ्यों का पता लगाया जाए और मुद्दों की उचित समझ की जाए. भारत की संसद ने पूर्ण बहस और चर्चा के बाद कृषि क्षेत्र से संबंधित सुधारवादी कानून पारित किए.’

मंत्रालय की इस टिप्पणी के बाद भारतीय कलाकारों, क्रिकेटरों, गायकों इत्यादि की एक पूरी फौज खड़ी हो गई, जिन्होंने करीब एक जैसा ट्वीट करके कहा कि ‘भारत अपने मसले खुद हल कर सकता है और वे किसी भी प्रोपेगैंडा के खिलाफ हैं.’

खास बात ये है कि इनमें से कई लोगों ने किसान आंदोलन पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की थी. इसमें सचिन तेंदुलकर, अक्षय कुमार, करण जौहर, कंगना रनौत जैसे लोग शामिल हैं.

वहीं कुछ कलाकारों/सेलिब्रिटीज ने इसका जवाब देते हुए कहा कि यदि किसी मसले पर विदेशियों के महज एक ट्वीट से भारत को खतरा महसूस होने लगता है, तो हमें किसी और की आलोचना करने से पहले खुद के गिरेबांन में झांकने की जरूरत है.

मालूम हो कि किसान आंदोलन ने उस समय अंतरराष्ट्रीय ध्यान खींचा है, जब दिल्ली की सीमाओं को किले में तब्दील कर दिया गया है. पुलिस ने वाहनों की आवाजाही को रोकने के लिए कई स्तरीय बैरिकेडिंग की और इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया.

केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए कृषि से संबंधित तीन विधेयकों– किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020- के विरोध में पिछले ढाई महीने से किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

इसे लेकर सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है.

किसान तीनों नए कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लिए जाने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दिए जाने की अपनी मांग पर पहले की तरह डटे हुए हैं.