प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में एक नए शब्द ‘आंदोलनजीवी’ का ज़िक्र करते हुए कहा था कि पिछले कुछ समय से देश में एक नई बिरादरी ‘आंदोलनजीवी’ सामने आई है. ये पूरी टोली है जो आंदोलनजीवी है, ये आंदोलन के बिना जी नहीं सकते और आंदोलन से जीने के लिए रास्ते ढूंढते रहते हैं.
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए एक नए शब्द आंदोलनजीवी का जिक्र किया.
मोदी ने राज्यसभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम लोग कुछ शब्दों से बड़े परिचित हैं, श्रमजीवी, बुद्धिजीवी. इन सभी शब्दों से परिचित हैं लेकिन मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है, एक नई बिरादरी सामने आई है और वो है आंदोलनजीवी.’
उन्होने कहा, ‘ये जमात आप देखेंगे, वकीलों का आंदोलन है, वहां नजर आएंगे, छात्रों का आंदोलन हैं, वहां नजर आएंगे, मजदूरों का आंदोलन है, वहां नजर आएंगे. कभी पर्दे के पीछे, कभी पर्दे के आगे. ये पूरी टोली है जो आंदोलनजीवी है, ये आंदोलन के बिना जी नहीं सकते और आंदोलन से जीने के लिए रास्ते ढूंढते रहते हैं.’
प्रधानमंत्री मोदी ने विदेशों से आंदोलन को प्रभावित करने के प्रयासों का जिक्र करते हुए उन्हें ‘विदेशी विध्वंसक विचारधारा’ (एफडीआई) करार दिया और कहा कि देश में आंदोलनकारियों की नई नस्ल पैदा हुई है जो बिना किसी हंगामे के नहीं रह सकती.
सोमवार को प्रधानमंत्री ने सदन में आरोप लगाया था कि कुछ लोग पंजाब के किसानों को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी की इस टिप्पणी पर विपक्षी दलों के कई नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आंदोलन से जुड़े कई लोगों ने कड़ी प्रतिक्रियाएं जताई हैं.
यह किसानों का अपमान हैः संयुक्त किसान मोर्चा
केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी के आंदोलनजीवी बयान पर रोष जताते हुए कहा कि यह किसानों का अपमान है.
किसान संगठनों के समूह ने कहा कि आंदोलनों के कारण भारत को औपनिवेशिक शासन से आजादी मिली और कहा कि उन्हें गर्व है कि वे ‘आंदोलन-जीवी’ हैं.
संगठन की तरफ से इसके नेता दर्शनपाल ने जारी बयान में कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा किसानों के अपमान की वह निंदा करते हैं.
भाजपा पर निशाना साधते हुए एसकेएम ने कहा, ‘भाजपा और उसके पूर्ववर्तियों ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन नहीं किया और वे हमेशा आंदोलनों के खिलाफ रहे. वे अब भी जन आंदोलनों से डरे हुए हैं.’
एसकेएम ने कहा, ‘सरकार अगर किसानों की वैध मांगों को मान लेती है तो किसानों को अपने खेतों में लौटने में खुशी होगी और सरकार के अड़ियल रवैये के कारण ज्यादा आंदोलन-जीवी पैदा हो रहे हैं.’
संगठन ने कहा कि एसकेएम सकारात्मक लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के साथ खड़ा है जिसमें दुनिया के किसी भी हिस्से में मूलभूत मानवाधिकार शामिल हों और उम्मीद है कि दुनियाभर में समान विचारधारा वाले लोग इससे सहमत होंगे क्योंकि कहीं भी अन्याय से न्याय को खतरा है.
हां, मैं आंदोलनजीवी हूं मोदी जीः योगेंद्र यादव
प्रधानमंत्री मोदी की इस टिप्पणी पर स्वराज इंडिया के अध्यक्ष और किसानों के आंदोलन से जुड़े योगेंद्र यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई.
हाँ, मैं "आन्दोलनजीवी" हूँ मोदी जी! #FarmersProtest #andolanjivi https://t.co/XtMj8fPEWV
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) February 8, 2021
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘हां, मैं आंदोलनजीवी हूं मोदी जी.’
किसान प्रधानमंत्री को याद दिलाना चाहेंगे कि वे आन्दोलनजीवी ही थे जिन्होंने भारत को औपनिवेशिक शासकों से मुक्त करवाया था और इसीलिए हमें आंदोलनजीवी होने पर गर्व भी है।
यह भाजपा और उसके पूर्वज ही है जिन्होंने कभी भी अंग्रेजों के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं किया।https://t.co/SvH0DzcFwz
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) February 9, 2021
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘किसान प्रधानमंत्री को याद दिलाना चाहेंगे कि वे आंदोलन-जीवी ही थे जिन्होंने भारत को औपनिवेशिक शासकों से मुक्त करवाया था और इसीलिए हमें आंदोलन-जीवी होने पर गर्व भी है.यह भाजपा और उसके पूर्वज ही है जिन्होंने कभी भी अंग्रेजों के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं किया.’
आंदोलनजीवी जैसे शब्द देश के क्रांतिकारियों का अपमानः अखिलेश यादव
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मोदी के आंदोलनजीवी बयान पर कड़ी प्रतिक्रया जताई.
आंदोलनों से स्वतंत्रता पाने वाले देश में आंदोलनरत किसानों-नागरिकों को ‘आंदोलनजीवी’ जैसे आपत्तिजनक शब्द से संबोधित करना हमारे देश के क्रांतिकारियों एवं शहीदों का अपमान है। आज़ादी के आंदोलन में दोलन करने वाले आंदोलन का अर्थ क्या जाने।
भाजपा शहीद स्मारक पर जाकर माफ़ी माँगे!
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 8, 2021
उन्होंने कहा, ‘आंदोलनों से स्वतंत्रता पाने वाले देश में आंदोलनरत किसानों-नागरिकों को ‘आंदोलनजीवी’ जैसे आपत्तिजनक शब्द से संबोधित करना हमारे देश के क्रांतिकारियों एवं शहीदों का अपमान है. आज़ादी के आंदोलन में दोलन करने वाले आंदोलन का अर्थ क्या जाने. भाजपा शहीद स्मारक पर जाकर माफ़ी माँगे.’
बिना आंदोलनकारियों के स्वतंत्रता ही नहीं मिलती: गैर सरकारी संगठन
मानवाधिकारों की पैरोकारी करने वाले गैर सरकारी संगठन ‘अनहद’ ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘आंदोलनजीवी’ टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा कि अगर आंदोलनकारी नहीं होते तो आजादी ही नहीं मिलती.
एक बयान में एक्ट नाउ फॉर हार्मनी एंड डेमोक्रेसी (अनहद) ने कहा, ‘हम देश को यह याद दिलाना चाहते हैं कि अगर आंदोलनकारी नहीं होते तो स्वतंत्रता नहीं मिलती.’
उसने कहा, ‘देश के आंदोलनकारियों ने एक ऐसे समाज की लड़ाई लड़ी जो न्यायसंगत, बहुलतावादी और विविधता के सिद्धांत पर आधारित था न कि उनके ब्रांड के आंदोलन के जैसा जिसने नफरत एवं अशांति फैलायी.’
Apart from the hypocrisy of Modi's barbs at 'Andolan jeevis', & the cheapness in his attempt to besmirch those who give up their comfort to agitate for rights of Farmers, workers, minorities, the weak &poor;
What do you call one who lives off the weakness of Opposition? Parasite? pic.twitter.com/LV691yX5Un— Prashant Bhushan (@pbhushan1) February 9, 2021
मोदी की टिप्पणी पर वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर कहा, ‘मोदी की आंदोलनजीवी टिप्पणी के दोहरेपन और अपनी आरामदायक ज़िंदगी छोड़कर किसानों के हक़ के लिए प्रदर्शन कर रहे मज़दूरों, अल्पसंख्यकों, ग़रीबों और कमज़ोर लोगों को बदनाम करने की कोशिशों से इतर आप उसे क्या कहेंगे जो विपक्ष की कमज़ोरी पर ज़िंदा रहता है? परजीवी?‘
हम सब आंदोलनजीवी हैं: शिवसेना सांसद संजय राउत
शिवसेना के सांसद संजय राउत ने ‘आंदोलनजीवी’ शब्द का इस्तेमाल करने को लेकर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि वह इस शब्द से अपने आप को जोड़ना चाहेंगे.
गर्वसे कहो..
हम सब आंदोलनजीवी है..
जय जवान
जय किसान! pic.twitter.com/8zSXztMUf2— Sanjay Raut (@rautsanjay61) February 8, 2021
राज्यसभा सदस्य ने ट्विटर पर किसान नेता राकेश टिकैत के साथ अपना फोटो साझा कर कहा, ‘गर्व से कहो, हम सब आंदोलनजीवी हैं, जय जवान जय किसान.’
प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन असत्य से भरा: येचुरी
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने संसद में प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन को लेकर उन पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि उन्होंने बहुत असत्य बातें कहीं.
PMs speech is full of untruths.
We have all along sought agri reforms for strengthening Indian agri, ensuring food security with healthy remuneration to farmers.
NOT for destroying Indian agri & annihilation of farmers, all to benefit crony corporates.
Repeal three black laws.— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) February 8, 2021
उन्होंने ट्वीट में कहा, ‘प्रधानमंत्री का भाषण असत्य से भरा था. हम सब भारतीय कृषि क्षेत्र को मजबूत करने, किसानों को बेहतर फायदे के साथ खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कृषि सुधारों का अनुरोध कर रहे हैं. भारतीय कृषि क्षेत्र को, किसानों को तबाह नहीं करें. ये कानून पूंजीपतियों को फायदे के लिए हैं. तीनों कानूनों को वापस लें.’
येचुरी ने राज्यसभा में आंदोलनकारियों के बारे में प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर भी आपत्ति जतायी.
आंदोलन जीवी?
FDI-Foreign Destructive Ideology?
आज़ाद भारत आंदोलन से ही प्राप्त हुआ“जय हिंद” आंदोलन का नारा है आधुनिक भारत आंदोलन की देन है । अपनी नाकामी छुपाने के लिए, आंदोलन की बे-इज़्ज़ती, भारत स्वीकार नहीं करेगा।https://t.co/LpY2pM6UhF pic.twitter.com/cmRUjbjqYN
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) February 8, 2021
माकपा महासचिव ने ट्वीट में कहा, ‘आंदोलनजीवी? एफडीआई- फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलाजी? आजाद भारत आंदोलन से ही प्राप्त हुआ. ‘जय हिंद’ आंदोलन का नारा है, आधुनिक भारत आंदोलन की देन है. अपनी नाकामी छुपाने के लिए, आंदोलन की बेइज्जती, भारत स्वीकार नहीं करेगा.’
‘आंदोलनजीवी’ शब्द का इस्तेमाल करना किसानों का अपमान है: अशोक चह्वाण
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के मंत्री अशोक चह्वाण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘आंदोलनजीवी’ शब्द के इस्तेमाल को किसानों का अपमान करार दिया है.
लोक निर्माण विभाग मंत्री चह्वाण ने ट्वीट किया, ‘मानवता को जिंदा रखने में किसान महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. किसानों के प्रदर्शन के लिए हास्यास्पद तरीके से ‘आंदोलनजीवी’ शब्द का इस्तेमाल करना किसानों का अपमान है. यह उनका अनादर हैं. इस तरह के शब्द का इस्तेमाल स्वीकार्य नहीं है.’
बता दें कि केंद्र सरकार के तीन नए विवादित कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्से के किसान दिल्ली की सीमाओं पर ढाई महीने से आंदोलन कर रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)