पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि देश में पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें एक अंतरराष्ट्रीय मूल्य प्रणाली के तहत नियंत्रित होती हैं और यह मिथ्या अभियान चलाने का प्रयास किया जा रहा है कि ईंधन की क़ीमतें अब तक के उच्च स्तर पर हैं.
नई दिल्लीः देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार दूसरे दिन बढ़ोतरी के साथ नई ऊंचाई पर पहुंच गईं हैं.
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों की अधिसूचना के मुताबिक, पेट्रोल की कीमत में 30 पैसे प्रति लीटर और डीजल की कीमत में 25 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई.
इस बढ़ोतरी के साथ ही दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 87.60 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में 94.12 रुपये प्रति लीटर हो गई.
राष्ट्रीय राजधानी में डीजल की कीमत बढ़कर 77.73 रुपये प्रति लीटर हो गई और मुंबई में कीमत 84.63 रुपये के उच्च स्तर पर पहुंच गई.
स्थानीय कर और भाड़े के आधार पर विभिन्न राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें अलग-अलग होती हैं.
राज्यसभा में तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार तेल कीमतों में राहत देने के लिए उत्पाद शुल्क घटाने पर विचार नहीं कर रही है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत पिछले एक साल में पहली बार 61 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गई है.
तेल कीमतों के उच्च स्तर पर होने के मिथ्या प्रचार का प्रयास किया जा रहा: प्रधान
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें एक अंतरराष्ट्रीय मूल्य प्रणाली के तहत नियंत्रित होती हैं और यह मिथ्या अभियान चलाने का प्रयास किया जा रहा है कि ईंधन की कीमतें अब तक के उच्च स्तर पर है.
प्रधान ने राज्यसभा मे प्रश्नकाल के दौरान विभिन्न पूरक सवालों के जवाब में कहा, ‘पिछले 300 दिनों में करीब 60 दिन कीमतों में वृद्धि हुई और करीब 7 दिन पेट्रोल तथा 21 दिन डीजल की कीमतों में हमने कमी की है. करीब 250 दिनों तक हमने कीमतों में वृद्धि या कमी नहीं की है इसलिए यह मिथ्या प्रचार है कि यह अब तक के सबसे उच्च स्तर पर है.’
प्रधान ने कहा कि केंद्र ने उत्पाद शुल्क बढ़ाया है जबकि राज्यों ने मूल्य वर्धित कर (वैट) में वृद्धि की है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कीमतों में कमी भी की है.
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत एक संकेतक है लेकिन अंतरराष्ट्रीय उत्पाद की कीमत मानक है.
प्रधान ने कहा, ‘हमारे देश में राज्य सरकारें और केंद्र सरकार अपने कर संग्रह को लेकर सतर्क हैं क्योंकि हर किसी की अपनी कल्याण प्रतिबद्धताएं और विकास संबंधी प्राथमिकताएं हैं, इसके लिए उन्हें इस तरीके से कुछ संसाधनों की आवश्यकता है. पेट्रोलियम कीमतों से कर संग्रह राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के लिए एक परखा हुआ और खासा संग्रह है.’
उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों को जून 2010 और अक्टूबर 2014 में बाजार से जोड़ दिया गया है. तब से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने अंतरराष्ट्रीय उत्पाद की कीमतों और बाजार की अन्य स्थितियों के अनुसार पेट्रोल और डीजल के मूल्य निर्धारण पर उचित निर्णय लिया है.
उन्होंने कहा कि तेल कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय कीमतों में परिवर्तन और रुपये की विनिमय दर के अनुरूप पेट्रोल और डीजल की कीमतों में केवल वृद्धि ही नहीं की बल्कि कमी भी की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)