जम्मू कश्मीर: शोपियां स्कूल मामले में अदालत का पत्रकारों को अग्रिम ज़मानत देने से इनकार

जम्मू कश्मीर के न्यूज़ पोर्टल द कश्मीर वाला के दो पत्रकारों के ख़िलाफ़ यह मामला सेना की शिकायत पर उनकी एक रिपोर्ट के लिए दर्ज किया गया है. रिपोर्ट में बताया गया था कि शोपियां ज़िले के एक मदरसे को गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित करने के लिए सेना द्वारा मजबूर किया गया था.

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द कश्मीर वाला के संपादक फहाद शाह और रिपोर्ट यशराज शर्मा. (फोटो: फेसबुक/ट्विटर)

जम्मू कश्मीर के न्यूज़ पोर्टल द कश्मीर वाला के दो पत्रकारों के ख़िलाफ़ यह मामला सेना की शिकायत पर उनकी एक रिपोर्ट के लिए दर्ज किया गया है. रिपोर्ट में बताया गया था कि शोपियां ज़िले के एक मदरसे को गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित करने के लिए सेना द्वारा मजबूर किया गया था.

द कश्मीर वाला के संपादक फहाद शाह और रिपोर्ट यशराज शर्मा. (फोटो: फेसबुक/ट्विटर)
द कश्मीर वाला के संपादक फहाद शाह और रिपोर्ट यशराज शर्मा. (फोटो: फेसबुक/ट्विटर)

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर की एक अदालत ने स्थानीय न्यूज़ पोर्टल द कश्मीर वाला के प्रधान संपादक फहाद शाह और रिपोर्टर यशराज शर्मा को उनके खिलाफ दर्ज मामले में अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है.

स्क्रॉल डॉट इन की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि शोपियां जिले के एक धार्मिक स्कूल को 26 जनवरी पर गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित करने के लिए सेना द्वारा मजबूर किया गया था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि शोपियां में एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने 2 फरवरी को आदेश दिया था कि पत्रकारों को अग्रिम जमानत देने के लिए कोई ‘असाधारण कारण और पर्याप्त आधार’ नहीं है.

स्क्रॉल डॉट इन की रिपोर्ट पर ट्वीट करते हुए फहाद शाह ने कहा कि उनका प्रकाशन रिपोर्ट के साथ है.

रिपोर्टर यशराज शर्मा ने अदालत के फैसले और साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी जमानत नियम है में भारी अंतर होने का उल्लेख किया.

बता दें कि धार्मिक स्कूल जामिया सिराज उल उलूम में एक गणतंत्र दिवस समारोह का एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसमें पुरुषों और युवा लड़कों को तिरंगा पकड़े हुए देखा गया और उसमें भारतीय राष्ट्रगान बज रहा था.

इसे एक दुर्लभ घटना के रूप में देखा गया था क्योंकि कश्मीर के कुछ ही धार्मिक स्कूल गणतंत्र दिवस मनाते हैं.

इसके बाद दो न्यूज पोर्टल द कश्मीर वाला और द कश्मीरियत ने अपनी न्यूज रिपोर्ट में दावा किया था कि स्कूल के संस्थापक और अध्यक्ष मोहम्मद युसूफ मंटो ने उनके रिपोर्टरों को रिकॉर्ड पर बताया था कि सेना के 44वें राष्ट्रीय राइफल्स करीब एक महीने से स्कूल प्रशासन पर गणतंत्र दिवस मनाने के लिए दबाव डाल रहा था.

द कश्मीर वाला ने सबसे पहले यह रिपोर्ट की थी. बाद में स्कूल प्रशासन ने एक सर्कुलर जारी किया जिसमें समाचार रिपोर्टों में लगाए गए आरोपों से इनकार किया गया था.

स्कूल प्रशासन की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि सेना या पुलिस की ओर से कोई बाध्यता नहीं थी.

भारतीय सेना की शिकायत के आधार पर आईपीसी की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से भड़काऊ बयान देना) और 505 (सार्वजनिक उपद्रव के लिए बयान करने वाले बयान) के तहत कश्मीर वाला  के पत्रकारों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. एफआईआर में उन पर फर्जी खबरें फैलाने का आरोप लगाया गया.

स्क्रॉल डॉट इन की रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने उसी तरह की रिपोर्ट प्रकाशित करने पर द कश्मीरियत के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है.