भारत-चीन ने साझा बयान में कहा- पैंगोंग झील क्षेत्र से सैन्य वापसी की प्रक्रिया पूरी

भारतीय सैनिकों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी घुसपैठ का पता लगाए जाने के बाद पूर्वी लद्दाख में पिछले साल मई की शुरुआत से ही भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच कई बार झड़प हुई थीं.

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पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील इलाके से पीछे हटते भारतीय और चीनी सैनिक और उनके टैंक. (फोटो: पीटीआई)

भारतीय सैनिकों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी घुसपैठ का पता लगाए जाने के बाद पूर्वी लद्दाख में पिछले साल मई की शुरुआत से ही भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच कई बार झड़प हुई थीं.

पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील इलाके से पीछे हटते भारतीय और चीनी सैनिक और उनके टैंक. (फोटो: पीटीआई)
पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील इलाके से पीछे हटते भारतीय और चीनी सैनिक और उनके टैंक. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भारत और चीन ने 10वें दौर की सैन्य वार्ता के बाद रविवार को एक संयुक्त बयान में कहा है कि पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील क्षेत्र से सैन्य वापसी पश्चिमी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अन्य मुद्दों के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष अपने नेताओं के बीच बनी सहमति, अपना संवाद और संपर्क जारी रखने, जमीन पर स्थिति को स्थिर और नियंत्रित करने तथा शेष मुद्दों का संतुलित और व्यवस्थित तरीके से समाधान करने पर भी सहमत हुए हैं.

यह बयान दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की 16 घंटे तक चली दसवें दौर की वार्ता के बाद आया है, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की तरफ मोल्दो बिंदु क्षेत्र में शनिवार को सुबह दस बजे शुरू हुई थी और रात दो बजे तक चली.

बयान में कहा गया, ‘दोनों पक्षों ने पैंगोंग झील क्षेत्र से अग्रिम पंक्ति के सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया सुगमता से पूरी होने के बारे में एक-दूसरे को सकारात्मक रूप से अवगत कराया और उल्लेख किया कि यह पश्चिमी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अन्य मुद्दों के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.’

इसमें कहा गया, ‘उन्होंने (दोनों पक्षों) पश्चिमी सेक्टर में एलएसी से जुड़े अन्य मुद्दों पर विचारों का व्यापक आदान-प्रदान किया है.’

दोनों देशों द्वारा पैंगोंग झील क्षेत्र के उत्तरी और दक्षिणी छोर क्षेत्रों से अपने-अपने सैनिकों और आयुधों को हटाए जाने के दो दिन बाद सैन्य स्तर की दसवें दौर की वार्ता हुई.

ऐसा माना जाता है कि वार्ता में भारत ने तनाव कम करने के लिए हॉट स्प्रिंग्स, गोग्रा और डेपसांग क्षेत्रों से सैनिकों की जल्द वापसी पर जोर दिया.

सूत्रों ने शनिवार शाम कहा था कि क्षेत्र में तनाव कम करना वार्ता की शीर्ष प्राथमिकता है.

भारत हमेशा जोर देकर कहता रहा है कि क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए तनातनी के सभी बिंदुओं से सैन्य वापसी आवश्यक है.

भारतीय सैनिकों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सामान्य गश्त के बिंदु से परे चीनी घुसपैठ का पता लगाए जाने के बाद पूर्वी लद्दाख में पिछले साल मई की शुरुआत से ही भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच कई झड़पें हुई थीं.

दोनों देशों के बीच चल रही तनातनी के दौरान पहला संघर्ष गलवान घाटी में 5-6 मई, 2020 की रात हुआ था. इसके बाद ‘फिंगर्स 4’ के पास 10-11 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख के पेंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर संघर्ष हुआ था.

चीन ने ‘फिंगर 4 तक एक पक्की सड़क और रक्षात्मक पोस्टों का निर्माण किया था. भारतीय सैनिक पहले नियमित तौर पर ‘फिंगर 8’ तक गश्त करते थे, लेकिन चीन द्वारा किए गए अतिक्रमण के बाद भारतीय सैनिकों की गश्ती ‘फिंगर 4’ तक सीमित हो गई.

भारत दावा करता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा ‘फिंगर 8’ से होकर गुजरती है, जबकि चीन की दावा है कि यह ‘फिंगर 2’ पर स्थित है.

इसे लेकर सबसे गंभीर झड़प 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई थी. इस हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे.

गलवान घाटी में हिंसक झड़प के ढाई महीने बाद 29 अगस्त 2020 की रात पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित ठाकुंग में एक बार फिर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध देखने को मिला था.

भारतीय सेना ने बयान जारी कर कहा था कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने 29-30 अगस्त की रात को यथास्थिति को बदलने के लिए उकसाने वाली सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया था.

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी: राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि भारत और चीन के बीच नौ दौर की राजनयिक एवं सैन्य स्तर की वार्ता के बाद पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों द्वारा सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया ‘पूरी हो गई’ है. उन्होंने भारतीय सैनिकों की बहादुरी पर ‘संदेह’ जताने को लेकर कांग्रेस पर भी प्रहार किया.

उन्होंने चीन से लगी सीमा पर गतिरोध के बारे में कहा, ‘भारत और चीन के बीच नौ दौर की सैन्य एवं राजनयिक वार्ता के बाद एक समाधान निकला.’ उन्होंने पूर्वी लद्दाख में परस्पर सहमति से दोनों देशों के सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया का जिक्र करते हुए यह कहा.

उन्होंने कहा कि उस इलाके में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिक एवं हथियार हटाए गए हैं.

उन्होंने कहा, ‘नौ दौर की सैन्य एवं राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी हो गई है. लेकिन दुर्भाग्य से कांग्रेस भारतीय सेना की बहादुरी पर संदेह कर रही है. क्या यह उन सैनिकों का अपमान नहीं है, जो देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देते हैं?’

सिंह ने जोर देते हुए कहा कि भारत अपनी सीमा पर किसी भी तरह की ‘एकतरफा कार्रवाई’ की अनुमति नहीं देगा और इस तरह के प्रयासों को किसी भी कीमत पर विफल करेगा.

उन्होंने कहा, लेकिन कांग्रेस ने दावा किया है कि भारत ने पूर्वी पड़ोसी देश (चीन) को भू-भाग सौंप दिया है और पार्टी ने ‘हमें बदनाम’ करने की कोशिश की.

उन्होंने कहा, ‘इस शरीर में जब तक खून और जान है, भारत की एक इंच जमीन भी कोई हड़प नहीं सकता.’

उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘कभी भी देश की एकता, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता से समझौता नहीं किया’ और ऐसा कभी नहीं करेगी.

उन्होंने कहा कि अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों को वायुसेना के बेड़े में शामिल किए जाने से बल की ताकत बढ़ी है और अब यह (वायुसेना) किसी भी देश का सामना कर सकती है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)