गुजरात के अरवल्ली ज़िले का मामला है. पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने बारात में शामिल दलित पुरुषों और महिलाओं के परंपरागत साफा पहनने पर आपत्ति जताई थी. राजपूत समुदाय के नौ लोगों के ख़िलाफ़ दंगा, हमला, आपराधिक धमकी देने और एससी/एसटी एक्ट के तहत के तहत मामला दर्ज किया गया है.
बायद: गुजरात के अरवल्ली जिले में दलित व्यक्ति की बारात में शामिल लोगों पर कुछ लोगों ने कथित तौर पर पथराव किया. एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि ये लोग दूल्हे के कुछ रिश्तेदारों के सिर पर परंपरागत साफा पहनने और संगीत बजाए जाने से नाराज थे.
अंबालियारा पुलिस थाने के निरीक्षक आरएम दामोर ने बताया कि यह घटना तब हुई जब मंगलवार (23 फरवरी) शाम को बायद कस्बे के निकट लिंच गांव में बारात शादी के लिए जा रही थी. उन्होंने बताया कि घटना के बाद राजपूत समुदाय के नौ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.
दुल्हन के एक रिश्तेदार द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत को उद्धृत करते हुए अधिकारी ने कहा कि बारात जब गांव में पहुंची तो लिंच गांव के कुछ लोगों ने कथित तौर पर उस पर पथराव किया.
अधिकारी ने कहा, ‘आरोपियों ने बारात में शामिल दलित पुरुषों और महिलाओं के साफा पहनने पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने कथित तौर पर बारात पर पथराव किया और जातिगत टिप्पणियां भी कीं.’
प्राथमिकी के मुताबिक शिकायतकर्ता और परिवार के अन्य सदस्यों ने आरोपियों से इसकी वजह जाननी चाही और पथराव रोकने का अनुरोध किया, एक आरोपी ने इस पर कथित तौर से दुल्हन के एक रिश्तेदार पर हमला कर दिया.
दामोर ने कहा, ‘आरोपियों ने कथित तौर पर वर पक्ष को शादी के दौरान साफा न बांधने और डीजे सिस्टम पर संगीत न बजाने को लेकर चेतावनी दी. उन्होंने शिकायतकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों को जान से मारने की धमकी भी दी.’
उन्होंने कहा कि नौ लोगों के खिलाफ दंगा, हमला, आपराधिक धमकी देने का मामला आईपीसी और अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है.
उन्होंने कहा कि मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.
बता दे कि पिछले साल फरवरी में गुजरात के बनासकांठा जिले में दलित सैन्यकर्मी को घोड़ी चढ़ने से रोकने के लिए बारात पर पथराव किया गया था.
पुलिस सुरक्षा के बीच दलित युवक को घोड़ी चढ़ने से रोकने के लिए कथित तौर पर ऊंची जाति के कुछ लोगों ने बारात पर पथराव किया था, जिसमें महिलाओं सहित तीन लोग घायल हो गए थे.
फरवरी 2019 में गुजराज के अरावल्ली जिले में ही उच्च जाति के पाटीदार समुदाय के लोगों ने एक दलित व्यक्ति की बारात रोक दी थी. इसे लेकर खमबिअसर गांव में दोनों पक्षों के बीच लाठी चलने के साथ पथराव भी हुआ था.
इसी तरह साल 2019 में ही गुजरात के साबरकांठा जिले के एक गांव में ठाकोर समुदाय के लोगों ने दलित समुदाय के दूल्हे को स्थानीय मंदिर में पूजा करने पर आपत्ति जताई थी. ठाकोर समुदाय में गांव से बारात गुजरने और दूल्हे के घोड़ी पर चढ़ने का भी विरोध जताया था.
मई 2019 में गुजरात के मेहसाणा जिले के एक गांव में दलित व्यक्ति के अपनी शादी में घोड़ी पर बैठने के कारण पूरे गांव ने समुदाय के लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है.
इसके अलावा समुदाय के लोगों से बात करने या उनके साथ किसी तरह का मेलजोल रखने वालों पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाए जाने की भी घोषणा की गई.
साल 2018 में गुजरात के गांधीनगर के मनसा तालुका के परसा गांव में उच्च जाति के कुछ लोगों ने दलित दूल्हे के घोड़ी पर सवार होने को लेकर आपत्ति जताते हुए बारात को रोक दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)