सरकार ने वैश्विक ऑनलाइन सेमिनारों के लिए विवादित नियम को वापस लिया

बीते 15 जनवरी को जारी आदेश में सार्वजनिक रूप से पोषित शैक्षणिक संस्थानों और यूनिवर्सिटी सहित सभी सरकारी इकाइयों से किसी भी तरह के ऑनलाइन एवं वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस या सेमिनार का आयोजन करने के लिए संबंधित प्रशासनिक सचिव से मंज़ूरी लेने को कहा गया है.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: पीआईबी)

बीते 15 जनवरी को जारी आदेश में सार्वजनिक रूप से पोषित शैक्षणिक संस्थानों और यूनिवर्सिटी सहित सभी सरकारी इकाइयों से किसी भी तरह के ऑनलाइन एवं वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस या सेमिनार का आयोजन करने के लिए संबंधित प्रशासनिक सचिव से मंज़ूरी लेने को कहा गया है.

(प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: पीआईबी)
(प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: पीआईबी)

नई दिल्ली: भारत के आंतरिक मामलों से संबंधित वेबिनार के लिए सार्वजनिक रूप से पोषित शैक्षणिक संस्थानों को अनिवार्य रूप से सरकार की मंजूरी लेने के अपने हालिया आदेश को वापस लेते हुए विदेश मंत्रालय ने अपने विवादित दिशानिर्देश के लिए कोविड-19 को जिम्मेदार ठहराया है.

मंत्रालय ने कहा कि यात्रा और लोगों के इकट्ठा होने को लेकर प्रतिबंधों में ढील देने का अर्थ है लगाए गए प्रतिबंध अब लागू नहीं होते हैं.

यह आदेश 15 जनवरी को जारी किया गया. इसे पिछले साल नवंबर महीने में विदेश मंत्रालय ने नई प्रक्रिया अधिसूचित की थी, जिसमें सार्वजनिक रूप से पोषित शैक्षणिक संस्थानों और यूनिवर्सिटी सहित सभी सरकारी इकाइयों से किसी भी तरह के ऑनलाइन एवं वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस या सेमिनार का आयोजन करने के लिए संबंधित प्रशासनिक सचिव से मंजूरी लेने को कहा गया है.

यह भी कहा गया कि इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन की मंजूरी देते हुए मंत्रालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस कार्यक्रम का विषय राज्य, सीमा, पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू कश्मीर, लद्दाख जैसे केंद्रशासित प्रदेशों या किसी अन्य मुद्दे जो स्पष्ट रूप से भारत के आंतरिक मामलों से जुड़े हुए हों, उनसे संबंधित नहीं होने चाहिए.

इससे पहले आयोजकों को नॉन वर्चुअल सेमिनार में विदेशी वक्ताओं के तौर पर विदेशी अतिथियों को भारत बुलाने के लए राजनीतिक मंजूरी की जरूरत होती थी, लेकिन जिस विषय पर वे बोलने जा रहे हैं, इसके लिए पूर्व में मंजूरी की जरूरत नहीं थी. इसके साथ ही भारत के आंतरिक मामले जैसी कोई विशेष श्रेणी प्रतिबंधित नहीं थी.

सरकार के इस फैसले के बाद देश की दो सबसे बड़ी और सबसे पुरानी विज्ञान अकादमियों– द इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेस और द इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस- ने शिक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा था कि सभी संस्थानों के लिए वेबिनार के लिए अनिवार्य रूप से सरकार की मंजूरी लेने के मंत्रालय के हाल के आदेश से सभी वैज्ञानिक चर्चा पूरी तरह से रुक सकती हैं.

दोनों संस्थानों ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को अलग-अलग पत्र लिखकर इन प्रतिबंधों को वापस लेने की मांग की थी.

अब अपना फैसला वापस लेते हुए विदेश मंत्रालय ने एक नया ऑफिस मेमोरंडम (ओएम) जारी किया है और कहा है कि नवंबर, 2020 का आदेश अब लागू नहीं है.

 

ऑनलाइन सेमिनारों पर लगाए गए प्रतिबंधों को वापस लेने वाला विदेश मंत्रालय का ऑफिस मेमोरंडम.
ऑनलाइन सेमिनारों पर लगाए गए प्रतिबंधों को वापस लेने वाला विदेश मंत्रालय का ऑफिस मेमोरंडम.

नए आदेश में कहा गया, ‘भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा लोगों की यात्रा और इकट्ठा होने पर प्रतिबंधों में ढील को देखते हुए कोविड-19 महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों/ सेमिनार/प्रशिक्षण आदि के लिए राजनीतिक मंजूरी के बारे में ओएम नं, एए/551/22/2020 में जारी किए गए दिशानिर्देश अब लागू नहीं होते हैं.’

आगे कहा गया, इस तरह के सभी आयोजन कोविड-19 महामारी से पहले राजनीतिक मंजूरी के लिए लागू समान नियमों और विनियमों द्वारा शासित होते रहेंगे.

नए आदेश में यह भी कहा गया है कि महामारी से पहले ली जाने वाली राजनीतिक मंजूरी को गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर देखा जा सकता है.

हालांकि वेबसाइट पर फिजिकल सम्मेलनों के लिए पहले से मौजूद नियमों को सूचीबद्ध किया गया है और यह ऑनलाइन सेमिनारों का कोई उल्लेख नहीं करती है.

दिलचस्प बात यह है कि पहले के विदेश मंत्रालय के ज्ञापन और शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रसारित दिशानिर्देशों में ऑनलाइन सम्मेलनों और सेमिनारों के लिए राजनीतिक मंजूरी की आवश्यकता के पीछे  महामारी का उल्लेख नहीं किया गया था.

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