एक नाबालिग लड़की से कई बार बलात्कार करने के आरोपी महाराष्ट्र के एक सरकारी कर्मचारी ने हाईकोर्ट से अग्रिम ज़मानत रद्द होने के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दी थी. सुनवाई के दौरान सीजेआई बोबडे ने उससे पूछा कि क्या वह पीड़िता से शादी करना चाहता है, जिस पर उसके वकील ने बताया कि वह विवाहित है.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोपी एक सरकारी कर्मचारी से पूछा कि ‘क्या वह लड़की से शादी करने को तैयार है.’
शीर्ष अदालत को बताया गया कि आरोपी पहले से विवाहित है तो पीठ ने उसे नियमित जमानत के लिए संबंधित अदालत का रुख करने को कहा.
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे के नेतृत्व वाली पीठ महाराष्ट्र राज्य बिजली उत्पादन कंपनी में कार्यरत एक टेक्नीशियन द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
आरोपी ने मामले में अग्रिम जमानत रद्द करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के पांच फरवरी के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था.
पीठ में जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यन भी थे. सुनवाई शुरू होने पर पीठ ने आरोपी से पूछा, ‘क्या तुम उससे (लड़की से) शादी करना चाहते हो.’
पीठ ने कहा, ‘अगर तुम शादी करने को इच्छुक हो तो हम इस पर विचार कर सकते हैं अन्यथा तुम्हें जेल जाना होगा.’ साथ ही पीठ ने जोड़ा, ‘हम शादी के लिए दबाव नहीं डाल रहे.’
यह मामला साल 2019 में दर्ज की गई एक एफआईआर से संबंधित है, जहां आरोपी पर आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 417 (धोखाधड़ी) और 506 (धमकाना) के तहत मामला दर्ज किया गया था. साथ ही यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत दंडनीय आरोप भी लगाए गए हैं.
बार एंड बेंच के अनुसार, एक युवती ने आरोप लगाया था कि जब वह 16 साल की थीं और स्कूल में पढ़ती थीं, तबसे आरोपी उसका पीछा किया करता था.
युवती ने अपने आवेदन में बताया था कि आरोपी दूर का रिश्तेदार था जो अक्सर उनके घर आया-जाया करता था. एक बार जब घर में कोई नहीं था तब उसने युवती के साथ बलात्कार किया. इसके बाद उसे इस घटना के बारे में किसी को बताने को लेकर धमकाया भी गया.
युवती ने यह भी आरोप लगाया है कि इसके बाद भी आरोपी उनका पीछा करता रहा और धमकाता रहा. वह घर आता और उनसे संबंध बनाता. वह डरी हुई थी, इसलिए उसनने यह बात कभी किसी को नहीं बताई.
यह भी बताया गया है कि इस व्यक्ति ने इन सबके बारे में किसी को बताने पर लड़की के ऊपर तेजाब फेंकने की धमकी भी दी. ऐसी धमकियां देकर युवती के साथ 10 से बारह बार बलात्कार किया गया.
जब पीड़िता और उसकी मां पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने गए तो आरोपी के परिवार ने उन्हें रोका. आरोपी की मां ने कहा कि लड़की के बालिग होने पर वे आरोपी से उसकी शादी करवा देंगी. हालांकि जब वह बालिग हुई तब आरोपी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट में पीठ द्वारा शादी के सवाल पूछे जाने पर याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील ने कहा कि आरोपी पहले लड़की से शादी करना चाहता था लेकिन उसने (लड़की ने) मना कर दिया, तो उसने किसी दूसरी लड़की से शादी कर ली.
वकील ने जब कहा कि आरोपी लोकसेवक है, इस पर पीठ ने कहा, ‘आपको (आरोपी को) लड़की को फुसलाने और दुष्कर्म करने से पहले यह सब विचार करना चाहिए था. आपको पता है कि आप एक सरकारी सेवक हैं.’
वकील ने कहा कि मामले में अभी आरोप तय नहीं हुआ है. पीठ ने कहा, ‘आप नियमित जमानत की अर्जी दे सकते हैं. हम गिरफ्तारी पर रोक लगाएंगे.’ शीर्ष अदालत ने आरोपी को चार सप्ताह के लिए गिरफ्तारी से राहत प्रदान की.
निचली अदालत द्वारा दी गयी अग्रिम जमानत को रद्द किए जाने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ आरोपी की याचिका पर शीर्ष अदालत सुनवाई कर रही थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)