कर्नाटक: 68 मीडिया हाउसों को छह मंत्रियों के ख़िलाफ़ अपमानजनक सामग्री प्रसारित करने पर रोक लगाई

कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा सरकार में मंत्री रमेश जारकिहोली ने एक आपत्तिजनक सीडी बरामद होने और यौन उत्पीड़न के आरोपों के बीच इस्तीफ़ा दे दिया था. इसके बाद भाजपा सरकार के छह अन्य मंत्रियों ने अदालत का रुखकर मीडिया को उनके ख़िलाफ़ कोई भी अपमानजनक सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करने से रोकने का अनुरोध किया था.

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Bengaluru: BJP leader B S Yeddyurappa during his swearing in ceremony as Karnataka Chief Minister, at Raj Bhavan in Bengaluru, Friday, July 26, 2019. (PTI Photo/Shailendra Bhojak)(PTI7_26_2019_000212B)
Bengaluru: BJP leader B S Yeddyurappa during his swearing in ceremony as Karnataka Chief Minister, at Raj Bhavan in Bengaluru, Friday, July 26, 2019. (PTI Photo/Shailendra Bhojak)(PTI7_26_2019_000212B)

कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा सरकार में मंत्री रमेश जारकिहोली ने एक आपत्तिजनक सीडी बरामद होने और यौन उत्पीड़न के आरोपों के बीच इस्तीफ़ा दे दिया था. इसके बाद भाजपा सरकार के छह अन्य मंत्रियों ने अदालत का रुखकर मीडिया को उनके ख़िलाफ़ कोई भी अपमानजनक सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करने से रोकने का अनुरोध किया था.

Bengaluru: BJP leader B S Yeddyurappa during his swearing in ceremony as Karnataka Chief Minister, at Raj Bhavan in Bengaluru, Friday, July 26, 2019. (PTI Photo/Shailendra Bhojak)(PTI7_26_2019_000212B)
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा. (फोटो: पीटीआई)

बेंगलुरु: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु की एक सिटी सिविल अदालत ने शनिवार को 68 मीडिया हाउसों के खिलाफ एक अस्थायी निषेधाज्ञा जारी की और उन्हें सुनवाई की अगली तारीख तक वादी/आवेदकों (कर्नाटक के बीएस येदियुरप्पा सरकार के छह मंत्री) के खिलाफ किसी भी असत्यापित समाचार आइटम/मानहानि सामग्री/सीडी के प्रसारण या प्रकाशन से रोक दिया.

मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के जिन छह मंत्रियों ने शुक्रवार को अदालत का रुख किया, उनमें राज्य के श्रम मंत्री शिवराम हेबर, कृषि मंत्री बीसी पाटिल, सहकारिता मंत्री एसटी सोमशेखर और परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री के सुधाकर शामिल हैं.

दो अन्य मंत्रियों में युवा सशक्तिकरण एवं खेल मंत्री केसी नारायण गौड़ा और शहरी विकास मंत्री भयारथी बासवराज शामिल हैं.

ये छह मंत्री उन 17 विधायकों में शामिल थे, जिन्होंने कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ बगावत की थी, जिससे जुलाई 2019 में सरकार गिर गई थी और भाजपा के सत्ता में आने का रास्ता खुला था.

अपनी संबंधित पार्टियों से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद ये विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे और दिसंबर 2019 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और चुनाव जीतने के बाद मंत्री बने थे.

दरअसल बीते तीन मार्च को कर्नाटक के जल संसाधन मंत्री रमेश जारकिहोली ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद पद से इस्तीफा दे दिया था.

एक अज्ञात महिला के साथ अंतरंग होने के कथित वीडियो क्लिप के साथ दोनों बीच बातचीत की कथित ऑडियो क्लिप के सामने आने के जारकिहोली ने यह कदम उठाया था.

जारकिहोली 16 बागी विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हुए थे ओर मंत्री बने थे.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, एडिशनल सिटी सिविल जज डीएस विजया कुमार ने यह आदेश दिया.

उन्होंने आदेश में कहा, ‘मामले की अगली सुनवाई तक प्रतिवादियों/विरोधियों को कोई भी अपमानजनक समाचार सामग्री या कथित सीडी से संबंधित फुटेज या तस्वीरों को दिखाने और किसी भी असत्यापित सामग्री के आधार पर वादियों का चरित्रहनन करने वाला कोई कार्य- प्रसारण, टेलीकास्टिंग या प्रकाशन से अस्थायी निषेधाज्ञा के एक अंतरिम-आदेश द्वारा नियंत्रित किया जाता है.’

बता देंकि गोकक से विधायक रमेश जारकिहोली पहले कांग्रेस में थे. राज्य में कांग्रेस-जेडीएस सरकार को गिराने और भाजपा के सत्ता में आने में रमेश जारकिहोली की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी.

जारकिहोली चार भाइयों में से हैं, जो बेलगावी क्षेत्र से कर्नाटक की राजनीति में सक्रिय हैं. 2019 में कांग्रेस और जेडीएस के 17 विधायकों को भाजपा में शामिल कराने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी.

बहरहाल कर्नाटक सरकार के इन छह मंत्रियों द्वारा यह दावा किया गया था कि हाल ही में कर्नाटक राज्य में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों सहित मीडिया चैनलों ने राज्य मंत्री रमेश जारकिहोली के सेक्स स्कैंडल के रूप में प्रसारित और प्रकाशित समाचारों में आरोप लगाया है कि उक्त मंत्री ने एक महिला को नौकरी दिलाने का वादा किया था.

उन्होंने आरोप लगाया था कि समाचार के स्रोतों और प्रामाणिकता की पुष्टि करने से पहले ही टेलीकास्ट किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप रमेश जारकिहोली ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.

इसी के साथ यह आरोप लगाया जा रहा है कि कुछ मीडिया हाउस ऐसी खबरें प्रसारित या प्रकाशित कर रहे हैं कि ऐसी अन्य सीडियां हैं- जिनमें विधायकों, मंत्रियों से संबंधित कई सेक्स स्कैंडल हैं और ऐसी लगभग 19 सीडियां हैं. इसमें ओल्ड मैसूर क्षेत्र के एक प्रभावशाली राजनेता सहित विभिन्न विधायक और मंत्री शामिल हैं.

उनका आरोप है कि इस तरह की झूठी खबरों को टेलीकास्ट किए जाने के आधार पर वादी के संबंधित क्षेत्र के सदस्यों ने उन्हें फोन करना शुरू कर दिया और इस तरह के सेक्स स्कैंडल्स में उनकी संलिप्तता मान ली है. इससे वादियों के परिवार को शर्मनाक स्थिति में डाला जा रहा है.

याचिका में कहा गया था, हाल ही में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करके डीप फेक की एक प्रक्रिया द्वारा दुनियाभर के राजनेताओं जैसे बराक ओबामा, क्वीन एलिजाबेथ के वीडियो से छेड़छाड़ की गई थी और वह वायरल हुआ है. इसी तरह के वीडियो भारतीय राजनेताओं के बनाए गए हैं. ऐसी प्रक्रियाओं से अनजान आम लोग वीडियो पर विश्वास कर लेते हैं और कंटेंट को सच मान लेते हैं. इसलिए वादियों को आशंका है कि फर्जी सीडी का इस्तेमाल कर उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया जा सकता है.

मंत्रियों ने अदालत में ‘बी न्यूज’ चैनल और ‘बी टीवी’ न्यूज चैनल में प्रसारण का एक स्क्रीनशॉट भी पेश किया.

इसका संज्ञान में लेते हुए अदालत ने कहा, ‘उपरोक्त सामग्रियों के आधार पर प्रथमदृष्टया यह देखा गया कि यद्यपि कोई सीडी जारी नहीं हुई है फिर भी जैसा कि समाचार सामग्रियों में दावा किया जा रहा है और यह सनसनीखेज करके बताया जा रहा है कि 19 प्रभावशाली व्यक्तियों की 19 और सीडी हैं और उन्हें किसी भी समय जारी किया जा सकता है और वे सेक्स स्कैंडल से जुड़ी हैं और उनमें कुछ मंत्रियों का भी उल्लेख है. उक्त प्रिंटआउट से प्रथमदृष्टया यह देखा गया है कि मीडिया हाउसों को अभी भी कोई सीडी प्राप्त नहीं हुई है, लेकिन समाचारों का प्रसारण किया जा रहा है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘वादी कर्नाटक सरकार में उच्च पदों पर आसीन हैं और अगर कोई असत्यापित समाचार सामग्री प्रसारित या प्रकाशित होती है तो इससे उनकी छवि को अपूरणीय नुकसान पहुंचेगा और साथ ही समाज और उनके परिवार में उनके सम्मान में कमी होगी.’

जज डीएस विजया ने कहा, ‘बिल्कुल, नागरिकों को अपने नेताओं के बारे में जानने का अधिकार है. उन्हें जानने का अधिकार है कि उनके चुने हुए प्रतिनिधि कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी तरह मीडिया को अभिव्यक्ति की आजादी है और ऐसे मामलों को रिपोर्ट करने का कर्तव्य भी है ताकि लोगों को उनके चुने हुए प्रतिनिधि के बारे में पता चले. मीडिया को लोकतंत्र का चौथा खंभा माना जाता है. हालांकि इसी के साथ वादियों को भी असत्यापित सामग्री के आधार पर चरित्रहनन से सुरक्षा का अधिकार है.’

इससे पहले अदालत जाने के मंत्रियों के कदम की पुष्टि करते हुए परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री के. सुधाकर ने ट्वीट कर कहा था कि कुछ ‘ईमानदार’ मंत्रियों की छवि खराब करने, उनका अपमान करने के इरादे से राजनीतिक साजिश की आशंका के बीच मंत्रियों ने अदालत का रुख किया है.

स्वास्थ्य मंत्री ने दावा किया था कि ऐसा जान पड़ता है कि मीडिया का दुरुपयोग करके उन्हें बदनाम करने की बहुत बड़ी साजिश रची जा रही है, इसलिए उन्होंने बदनाम करने के अभियान को रोकने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है.

उन्होंने कहा था कि व्यक्तियों की छवि खराब करने और सालों की मेहनत से उनके प्रति बने सद्भाव को बिगाड़ने की साजिश है, ऐसे में उस पर विराम लगाना जरूरी है तथा सरकार भी इस प्रकार की शरारत को रोकने के लिए कानून लाने पर गौर कर रही है.

उनके अनुसार, मुख्यधारा की मीडिया एवं सोशल मीडिया दोनों का ही मिथ्या प्रचार एवं फर्जी खबरों के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है.

सहकारिता मंत्री एसटी सोमशेखर ने कहा कि उन्हें विधानसभा में अपने पुराने मित्रों से पता चला है कि उन्हें बदनाम करने और इस्तीफा दिलवाने की मंशा से साजिश रची जा रही है.

उन्होंने कहा, ‘हमें बदनाम करने की मंशा से विधानसभा सत्र में हमें निशाना बनाए जाने की साजिश है, इसलिए हम अदालत गए हैं. छह लोग अदालत का रुख कर चुके हैं तथा छह और लोग ऐसा कर सकते हैं. हम मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष को भी सारी बात की जानकारी देंगे.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)