एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि ‘बेलगाम’ सोशल मीडिया को नियंत्रित करने के नाम पर सरकार मीडिया को मिली संवैधानिक सुरक्षा को छीन नहीं सकती है. गिल्ड ने इस बात को लेकर भी चिंता ज़ाहिर की है कि इन नियमों के तहत सरकार को असीमित शक्तियां दे दी गई हैं.
नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा लाए गए विवादित डिजिटल मीडिया नियमों को लेकर बीते शनिवार को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने कहा कि इसके चलते डिजिटल मीडिया पर ‘अनुचित प्रतिबंध’ लगेगा.
उन्होंने मांग की कि सरकार को इन नियमों को वापस लेना चाहिए. गिल्ड ने कहा कि ‘बेलगाम सोशल मीडिया’ को कंट्रोल करने के नाम पर सरकार ‘मीडिया को मिली संवैधानिक सुरक्षा’ को छीन नहीं सकती है.
उन्होंने कहा कि नए नियम पूरी तरह से उस प्रक्रिया को बदल देते हैं, जिस तरह प्रकाशक इंटरनेट पर खबरें प्रसारित करते हैं. एडिटर्स गिल्ड ने कहा, ‘इसके चलते भारत में मीडिया की स्वतंत्रता को गहरा धक्का लगेगा.’
गिल्ड ने इस बात को लेकर भी चिंता जाहिर की कि इन नियमों के तहत सरकार को असीमित शक्तियां दे दी गई हैं. उन्होंने कहा, ‘इसने केंद्र सरकार को देश में कहीं भी प्रकाशित समाचारों को ब्लॉक करने, हटाने या संशोधित करने का अधिकार दिया है और यह सभी प्रकाशकों को एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने के लिए बाध्य करते हैं.’
संस्था ने कहा कि इस तरह का ‘रिफॉर्म्स’ बनाते वक्त सरकार ने इससे जुड़े हितधारकों से कोई विचार नहीं किया, इसलिए इन नियमों को लागू नहीं किया जाना चाहिए और सभी संबंधित लोगों से बात की जाए.
The Editors Guild of India is concerned about the notification of Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules 2021. pic.twitter.com/7J2fFnZ5De
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) March 6, 2021
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने बीते 25 फरवरी को सोशल मीडिया मंचों के दुरूपयोग रोकने के लिए नए दिशा-निर्देशों की घोषणा की, जिनके तहत संबंधित कंपनियों के लिए एक पूरा शिकायत निवारण तंत्र बनाना होगा. साथ ही ख़बर प्रकाशकों, ओटीटी मंचों और डिजिटल मीडिया के लिए ‘आचार संहिता’ और त्रिस्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली लागू होगी.
इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2021 के नाम से लाए गए ये दिशानिर्देश देश के टेक्नोलॉजी नियामक क्षेत्र में करीब एक दशक में हुआ सबसे बड़ा बदलाव हैं. ये इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2011 के कुछ हिस्सों की जगह भी लेंगे.
इन नए बदलावों में ‘कोड ऑफ एथिक्स एंड प्रोसीजर एंड सेफगार्ड्स इन रिलेशन टू डिजिटल/ऑनलाइन मीडिया’ भी शामिल हैं. ये नियम ऑनलाइन न्यूज़ और डिजिटल मीडिया इकाइयों से लेकर नेटफ्लिक्स और अमेज़ॉन प्राइम पर भी लागू होंगे.
मंत्रालय ने एक बयान में बताया है कि डिजिटल मीडिया पर खबरों के प्रकाशकों को भारतीय प्रेस परिषद की पत्रकारीय नियमावली तथा केबल टेलीविजन नेटवर्क नियामकीय अधिनियम की कार्यक्रम संहिता का पालन करना होगा, जिससे ऑफलाइन (प्रिंट, टीवी) और डिजिटल मीडिया के बीच समान अवसर उपलब्ध हो.
नियमों के तहत स्वनियमन के अलग-अलग स्तरों के साथ त्रिस्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली भी स्थापित की गई है. इसमें पहले स्तर पर प्रकाशकों के लिए स्वनियमन होगा, दूसरा स्तर प्रकाशकों के स्वनियामक निकायों का स्वनियिमन होगा और तीसरा स्तर निगरानी प्रणाली का होगा.
नियम आने के बाद ऑनलाइन प्रकाशकों के संगठन डिजिपब ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर अपना विरोध भी जताया है.
ऑनलाइन प्रकाशनों ने नए नियमों को अनुचित, इनके नियमन की प्रक्रिया को अलोकतांत्रिक और इनके क्रियान्वयन के तरीके को अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन बताया है.
केंद्र की यह घोषणा ऐसे समय पर आई है जब अमेजन प्राइम के ‘तांडव’ सीरीज को लेकर विवाद चल रहा है और हिंदू देवताओं को अपमानित करने के आरोप में इसे बैन करने की मांग हो रही है.