कोविड-19 लॉकडाउन में 1.14 करोड़ प्रवासी कामगार अपने गृह राज्यों को लौटे: सरकार

इससे पहले केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया था कि पिछले साल कोविड-19 पर काबू पाने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों की मौत के बारे में सरकार को कोई जानकारी नहीं है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

इससे पहले केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया था कि पिछले साल कोविड-19 पर काबू पाने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों की मौत के बारे में सरकार को कोई जानकारी नहीं है.

पलायन कर रहे प्रवासी मजदूर (फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को बताया कि पिछले साल कोविड-19 महामारी पर काबू पाने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान कुल 1,14,30,968 प्रवासी कामगार अपने गृह राज्यों को लौट गए थे.

श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों से प्राप्त सूचना के अनुसार कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान कुल 1,14,30,968 प्रवासी कामगार अपने गृह राज्यों को लौट गए थे. उनमें से अधिकतर कामगार अपने मूल या अन्य कार्यस्थलों पर वापस चले गए हैं.

उन्होंने इस संबंध में बताया कि उत्तर प्रदेश लौटने वाले प्रवासी कामगारों की संख्या 32,49,638 थी जबकि बिहार में 15,00,612, पश्चिम बंगाल में 13,84,693 कामगार लौटे.

इसके अलावा राजस्थान में 13,08,130, ओडिशा में 8,53,777 और मध्य प्रदेश में 7,53,581 कामगार अन्य राज्यों से वापस लौटे.

इससे पहले बीते 10 फरवरी को राज्यसभा में श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने बताया था कि लद्दाख, लक्षद्वीप और हरियाणा में बहुत कम श्रमिकों की वापसी हुई थी और गुजरात ने कोई डेटा नहीं दिया है.

उन्होंने ये भी बताया था कि कि सरकार को प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों की मौत के बारे में कोई जानकारी नहीं है जो लॉकडाउन के दौरान मारे गए थे.

गंगवार ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी कामगारों की शिकायतों का समाधान करने के मकसद से श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने पूरे देश में 20 नियंत्रण कक्षों की स्थापना की.  इन नियंत्रण कक्षों के माध्यम से कामगारों की 15000 से अधिक शिकायतों का समाधान किया गया और मंत्रालय के हस्तक्षेप के कारण दो लाख से अधिक कामगारों को उनके देय वेतन का भुगतान किया गया था जो लगभग 295 करोड़ रुपये था.

लॉकडाउन के दौरान कारखाने बंद होने से असंगठित क्षेत्र के कितने मजदूरों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी, इस सवाल पर गंगवार ने कहा था कि संगठित क्षेत्र में 10 करोड़ मजदूर हैं और असंगठित में 40 करोड़ हैं. सरकार असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को संगठित क्षेत्र में स्थानांतरित करने के लिए कार्यक्रम चला रही है.

उन्होंने कहा था कि देश में रोजगार उत्पन्न करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की एक सूची है. इन उपायों में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, पं. दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और प्रधानमंत्री मुद्रा योजना जैसी विभिन्न परियोजनाओं और योजनाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)