असम विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा पर नागरिकता संशोधन क़ानून पर बोलने से बचने का आरोप लग रहा है, जबकि सीएए विरोधी आंदोलनों से निकले राजनीतिक दलों के साथ विपक्षी पार्टियां इसे बड़ा मुद्दा बनाने में लगी हैं. उनका कहना है कि वे किसी भी कीमत पर सीएए लागू नहीं होने देंगी.
गुवाहाटी/नई दिल्ली: असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूची को त्रुटिपूर्ण बताते हुए लागू करने से इनकार कर चुके मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आगामी विधानसभा चुनाव से पहले कहा है कि इस चुनाव में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) कोई मुद्दा नहीं बनेगा.
बता दें कि असम की 126 सदस्यीय विधानसभा सीटों के लिए तीन चरणों में में 27 मार्च, एक अप्रैल और छह अप्रैल को तीन चरणों में मतदान होगा.
इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में सीएए विरोधी आंदोलन से निकले दो राजनीतिक दलों के भाजपा को नुकसान पहुंचाने की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर सोनावाल ने कहा, ‘ये वही लोग हैं जिन्होंने असम के लोगों को गुमराह किया है. क्या आपको याद है कि कैसे उन्होंने दावा किया था कि (सीएए के कारण) डेढ़ से दो करोड़ लोग (बांग्लादेश से) असम में आ जाएंगे?’
उन्होंने आगे कहा, ‘असम के लोग राजनीतिक तौर पर अच्छी तरह जागरूक हैं. उन्हें पता चल गया है कि इन नेताओं ने अपने निहित स्वार्थों के लिए झूठ कहा था. उन्होंने गलत सूचना और गलत धारणा फैलाई और लोगों की भावनाओं का फायदा उठाने की कोशिश की.’
सोनोवाल ने कहा, ‘वे लोगों के दिमाग में झूठ भरना चाहते थे, लेकिन बाद में जब हमने अपना रुख साफ किया कि हम यहां असम के लोगों के हितों की रक्षा के लिए हैं तब लोगों ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया और हमारी बातें मान लीं.’
उन्होंने कहा, ‘सीएए इस चुनाव में कोई मुद्दा नहीं होगा. असम के लोग हमें मानते हैं, न कि इन लोगों को. मैं असम के लोगों को अपना माता-पिता मानता हूं, हमने उन्हें कभी गुमराह नहीं किया.’
दरअसल, सीएए विरोधी आंदोलन से निकलीं दो पार्टियां- रायजोर दल (आरडी) और असम जातीय परिषद (एजीपी) हैं, जो गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं.
रायजोर दल का नेतृत्व किसान मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के नेता अखिल गोगोई कर रहे हैं, जिन्हें पिछले साल विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया था. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया है.
गौरतलब है कि सीएए का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए ऐसे हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है, जो उन देशों में धार्मिक प्रताड़ना के चलते 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ गए थे.
मालूम हो कि बीते साल 11 दिसंबर को संसद से नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के बाद से देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए थे. बीते 12 दिसंबर को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ ही ये विधेयक अब कानून बन गया है.
उसके बाद असम के साथ ही देशभर में भारी विरोध प्रदर्शन हुआ था और इसी सिलसिले में दिल्ली में दंगे भी भड़क गए थे.
असम में विरोध प्रदर्शन करने वालों में छात्रों, किसानों, नागरिक समाज सहित विभिन्न तबके के संगठन शामिल रहे हैं और यह विरोध प्रदर्शन इतना तेज था कि लोग रातों को मशालें लेकर निकलते थे और इस दौरान पुलिसिया कार्रवाई में कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई थी.
पश्चिम बंगाल में सीएए लागू करने की बात करने वाली भाजपा असम में इससे पर कुछ भी बोलने से बच रही है, जबकि विपक्षी पार्टियां इसे बड़ा मुद्दा बना रही हैं और सत्ता में आने पर सीएए लागू नहीं करने की बात कह रही हैं.
बीते दो मार्च को असम के तेजपुर में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने दावा किया कि भाजपा नेता देश भर में घूम-घूम कर सीएए लागू करने की बातें कर रहे हैं, लेकिन असम में आते ही वे इस पर चुप्पी साध लेते हैं.
वहीं, बीते 14 फरवरी को असम के शिवसागर की रैली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वादा किया था कि पार्टी असम समझौते का सम्मान करेगी और मार्च-अप्रैल में होने वाले (राज्य विधानसभा) चुनाव जीतने पर सीएए लागू नहीं करेगी.
#WATCH | "…..Hum ne yeh gamchha pehna hai.. ispe likha hai CAA.. ispe humne cross laga rakha hai, matlab chahe kuchh bhi ho jaye.. CAA nahi hoga.. 'hum do, hamare do' achhi tarah sun lo, (CAA) nahi hoga, kabhi nahi hoga," says Congress leader Rahul Gandhi in Sivasagar, Assam pic.twitter.com/ZYk7xAUdYx
— ANI (@ANI) February 14, 2021
राहुल गांधी के आह्वान के बाद कांग्रेस ने सीएए विरोधी संदेश लिखे ‘गामोशा’ (असम में सम्मान के रूप में दिया जाने वाला बुना हुआ पारंपरिक सफेद एवं लाल कपड़ा) एकत्र करने के लिए अभियान शुरू किया है.
कांग्रेस ने कहा है कि अगर वह राज्य में सत्ता में आती है तो वह सीएए विरोधी प्रदर्शनों में जान गंवाने वाले लोगों के सम्मान में ‘शहीद स्मारक’ स्थापित करेगी, जिस पर ये गामोशे प्रदर्शित किए जाएंगे.