हत्यारोपी के पकड़े न जाने पर सुप्रीम कोर्ट की मध्य प्रदेश सरकार को फटकार, कहा- ये जंगलराज है

सुप्रीम कोर्ट ने दमोह पुलिस अधीक्षक द्वारा एक न्यायिक अधिकारी के कथित उत्पीड़न और उन्हें धमकी देने के मामले का संज्ञान लिया है. दो साल पहले हुए कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या के मामले में आरोपी बसपा विधायक रमाबाई के पति गोविंद सिंह ठाकुर को अब तक कोर्ट में पेश नहीं किया जा सका है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर. (साभार: Joe Gratz/Flickr CC0 1.0)

सुप्रीम कोर्ट ने दमोह पुलिस अधीक्षक द्वारा एक न्यायिक अधिकारी के कथित उत्पीड़न और उन्हें धमकी देने के मामले का संज्ञान लिया है. दो साल पहले हुए कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या के मामले में आरोपी बसपा विधायक रमाबाई के पति गोविंद सिंह ठाकुर को अब तक कोर्ट में पेश नहीं किया जा सका है.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दो साल पहले हुई कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या के मामले में मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा आरोपी बसपा विधायक के पति को गिरफ्तार करने में नाकाम रहने को लेकर नाराजगी जताई और राज्य के पुलिस महानिदेशक को आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी के निर्देश दिए.

शीर्ष अदालत ने दमोह पुलिस अधीक्षक द्वारा एक न्यायिक अधिकारी के कथित उत्पीड़न का भी संज्ञान लिया और राज्य के पुलिस प्रमुख को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने के निर्देश दिए.

मामले की सुनवाई कर रहे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने बसपा विधायक रामबाई सिंह के पति गोविंद सिंह ठाकुर को हत्या आरोपी के तौर पर शामिल किया था.

न्यायाधीश ने आठ फरवरी के अपने आदेश में उल्लेख किया था कि उन पर दमोह के पुलिस अधीक्षक और उनके अधीनस्थों द्वारा दबाव डाला जा रहा है.

इस साल फरवरी में दमोह के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आरपी सोनकर ने विधायक के पति के खिलाफ वारंट जारी किया था. बाद में उन्होंने जिला जज को चिट्ठी लिख कर बताया कि वारंट जारी करने के बाद से जिले के एसपी और दूसरे पुलिस अधिकारी उन्हें धमका रहे हैं.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने पाया कि गैर जमानती वारंट के बावजूद गोविंद सिंह ठाकुर गिरफ्तारी से बचता रहा.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, पीठ ने कहा, ‘गिरफ्तारी वारंट जारी करने पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश को एसपी द्वारा डराया जा रहा है? क्या राज्य में कानून का कोई शासन है?’

पीठ ने कहा कि न्यायिक अधिकारी ने दावा किया है कि आरोपी ने उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए, जो कि बेहद प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्ति है.

साथ ही न्यायिक अधिकारी ने इस लंबित मामले की सुनवाई दूसरे न्यायाधीश के समक्ष स्थानांतरित करने का निवदेन किया, जिसे जिला न्यायाधीश ने खारिज कर दिया.

जस्टिस शाह ने कहा, ‘यदि आप गिरफ्तारी नहीं कर सकते हैं, तो स्वीकार करें कि आप संविधान के अनुसार प्रशासन का संचालन करने में विफल रहे हैं.’

इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘यह जंगलराज है.’

पीठ ने कहा, ‘हम मामले के मुताबिक मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को दूसरे प्रतिवादी गोविंद सिंह की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने और इस अदालत में व्यक्तिगत हलफनामा दायर कर रिपोर्ट सौंपें.’

पीठ देवेंद्र चौरसिया के पुत्र सोमेश और राज्य सरकार द्वारा सिंह को अन्य मामले में दी गई जमानत रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए दमोह के कद्दावर नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या उन्हीं के क्रशर प्लांट में 15 मार्च 2019 को कर दी गई थी. चौरसिया के परिजनों ने हत्या का आरोप बसपा विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह ठाकुर, देवर चंदू समेत कुछ और लोगों पर लगाया था. मामले का मुख्य आरोपी गोविंद सिंह ठाकुर बीते दो साल से कोर्ट में पेश नहीं किया जा सका है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)