फिल्म बरेली की बर्फी प्रेम त्रिकोण पर आधारित एक रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है, जिसमें कृति सेनॉन, राजकुमार राव और आयुष्मान खुराना मुख्य भूमिकाओं में हैं.
कुछ कमियों को छोड़कर अधिकांश समीक्षकों ने फिल्म को ठीकठाक और देखने लायक बताया है. फिल्म की स्टारकास्ट और उनके अभिनय की सराहना लगभग सभी समीक्षकों ने की है.
इंडियन एक्सप्रेस ने फिल्म के कलाकार राजकुमार राव के बारे में लिखा है कि राव छोटे शहरी और फिर एक भड़कीले रंगबाज के अपने मुकम्मल अभिनय से फिल्म की कमज़ोरियों को दूर भगा देते हैं.
यह एक गुस्ताख़ और घमंडी लड़की की कहानी है जिसके सपने बड़े होते हैं. दो योग्य हीरो हैं और बेहतरीन वन लाइनर्स हैं.
इस समीक्षा में सहयोगी कलाकारों की भी तारीफ की गई है. जैसे- बिट्टी (कृति सेनॉन) के पिता के रोल में पंकज त्रिपाठी काफी नौजवान लगते हुए भी अच्छे लगते हैं. फिल्म में उन्होंने पिता कम बिट्टी के दोस्त के रूप में दिखे हैं. बिट्टी की मां बनीं सीमा पहवा फिल्म आंखों देखी के बाद एक बार फिर शानदार अभिनय किया है.
इस फिल्म की तुलना संजय दत्त, माधुरी दीक्षित और सलमान ख़ान की फिल्म साजन से की गई है. इसे फिल्म साजन का आधुनिक वर्ज़न बताया है. फिल्म की हीरोइन बरेली की बर्फी नॉवेल पढ़कर ख़ुद को उसके मुख्य किरदार जैसा मानने लगती है और उसके लेखक की खोज में लग जाती है.
ट्विटर पर फिल्मफेयर मैगज़ीन की ओर से एक वीडियो पोस्ट किया गया हैं जिसमें इस फिल्म को देखने के चार कारण बताए गए हैं. पहला- आयुष्मान खुराना, राजकुमार राव और कृति सेनॉन के लिए. दूसरा- पूरी तरह से पारिवारिक मनोरंजक फिल्म होने के लिए. तीसरा- निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी और नीतेश तिवारी (दंगल फेम और अश्विनी के पति) की रचनात्मक साझेदारी के लिए और चौथा- फिल्म के संगीत के लिए.
अमर उजाला अख़बार के मुताबिक, फिल्म कहीं-कहीं रोचक है. कुछ संवाद आकर्षक और गुदगुदाते हैं. रोमांस और कॉमडी का संतुलन अच्छा है. फिल्म की मुश्किल यह है कि कस्बाई नायक-नायिका ज़रूरत से ज़्यादा फिल्मी हैं. कहानी की रफ्तार धीमी है. फिल्म जब तक संभलती है क्लाइमेक्स आ जाता है, जो निराश करता है.
अख़बार लिखता है कि अगर आपने अश्विनी अय्यर तिवारी की फिल्म निल बटे सन्नाटा देखी है तो आपकी निराशा बढ़ जाएगी क्योंकि बरेली की बर्फी ज़ुबान पर ख़ास मिठास नहीं छोड़ती.
अश्विनी फिल्म को लगातार नाटकीय बनाए रखने की कोशिश करती हैं और इससे कहानी कमज़ोर पड़ती है. कृति सेनॉन किरदार में फिट हैं. संवाद अदायगी और हाव-भाव से वह भरोसा दिलाती हैं.
एनडीटीवी ने अपनी समीक्षा में लिखा है कि बरेली की बर्फी मिठास से भरी और स्वादिष्ट है हालांकि कहानी थोड़ी कमज़ोर है लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि यह फिल्म की आलोचना है.
यह अच्छी है और कस्बाई रोमांस की कहानी बखूबी पेश करती है. रिपोर्ट में फिल्म के तेज़ और जीवंत स्क्रीनप्ले की तारीफ की गई है. साथ ही फिल्म के संवाद और कलाकारों के सहज अभिनय को सराहा गया है.
वेबसाइट के अनुसार, अगर ये बहुत शानदार फिल्म नहीं है तो निश्चित रूप से इतनी मनोरंजक तो है कि आप इसे देख सकते हैं.
फिल्म वेबसाइट कोईमोई डॉट कॉम ने फिल्म के पहले दिन के प्रदर्शन को ख़राब बताया है. वेबसाइट के अनुसार, फिल्म को पहले शो में 15 से 20 प्रतिशत दर्शक ही मिल सके. इसका ज़िम्मेदार टॉयलेट: एक प्रेम कथा और हॉलीवुड की हॉरर फिल्म एनाबेले: क्रियेशन को ठहराया गया है.
फेसबुक पर एक दर्शक देशबंधु शर्मा लिखते हैं कि बरेली की बर्फी… काफी मिठास है इसमें… ऐसा कुछ भी नहीं है जो कुछ नया हो लेकिन नीतेश तिवारी का लेखन इसे विशिष्ट बनाता है और उनका लेखन ही इस फिल्म का सबसे मज़बूत पक्ष है… सटीक अभिनय से राजकुमार राव, आयुष्मान खुराना और कृति सेनॉन एक सीधी सादी कहानी को रोचक बना देते हैं. निल बटे सन्नाटा के बाद निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी ने जो उम्मीद जगाई थी वो उसे कायम रखती हैं.
टाइम्स आॅफ इंडिया ने फिल्म को हिंदी सिनेमा का ‘हुर्रे’ क्षण बताया है. अख़बार लिखता है कि तनु वेड्स मनु और उसके सीक्वेल की तरह यह फिल्म भी दर्शकों को बांधे रहेगी.
समाचार वेबसाइट स्क्रॉल ने इसे निकोलस बैरेयू की 2010 में आए उपन्यास द इंग्रीडिएंट्स आॅफ लव का रूपांतरण बताया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि डेज़र्ट तो परोस दिया गया है लेकिन उसके आने में समय लगेगा. (Dessert is served, but it takes its time to arrive.)
स्क्रॉल ने बताया है कि मिठाई की तरह प्यार को बताने के विचार वाली इस कहानी को बेवजह के दृश्यों और गानों से विस्तार दिया गया है. नीतेश तिवारी और श्रेयश जैन की कहानी तब आकार लेती है जब फिल्म में राजकुमार राव की एंट्री होती है.
ट्विटर पर फिल्म समीक्षक उमैर संधु ने इसे स्वीटेस्ट फिल्म आॅफ द ईयर बताया है. उन्होंने कलाकारों के अभिनय, संगीत और निर्देशन की भी तारीफ की है.