दिल्ली महिला आयोग ने मीडिया में आई ख़बरों के आधार पर राष्ट्रीय राजधानी के 178 थानों में से एक भी जगह महिला प्रभारी न होने की बात पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. आयोग ने कहा कि पुलिस बल में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के नियम हैं, इसके बावजूद उनकी भागीदारी कम है.
नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग ने पुलिस को नोटिस जारी कर पूछा है कि किसी भी पुलिस स्टेशन में महिला प्रभारी न होने के क्या कारण हैं.
आयोग ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली पुलिस को 19 मार्च तक आयोग को जवाब देना होगा.
आयोग ने एक बयान जारी कर कहा कि खबरों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में 178 पुलिस स्टेशन में से एक भी थाने पर महिला प्रभारी नहीं है.
बयान में कहा गया कि पुलिस बल में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए नियम बनाए गए हैं इसके बावजूद बल में महिलाओं की भागीदारी कम है.
बयान के अनुसार, प्रभारी की भूमिका में महिला अधिकारियों की योग्यता चिह्नित करने के लिए आयोग ने निरीक्षक रैंक के महिला और पुरुष अधिकारियों का विवरण मांगा है.
हिदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा, ‘हमें सूचित किया गया है कि दिल्ली के 178 पुलिस थानों में से किसी में भी महिला एसएचओ नहीं हैं. यह बहुत चौंकाने वाला और निराशाजनक है. बलों में लैंगिक समानता सुनिश्चित करना बहुत महत्वपूर्ण है.’
उन्होंने कहा, ‘हमने मामले में पुलिस को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है. हम इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं और बदलाव लाने की कोशिश करेंगे.’
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता चिन्मय बिस्वाल ने कहा, ‘हम पत्र की जांच कर रहे हैं और आवश्यक जानकारी उचित समय पर साझा की जाएगी.’
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर कहा कि सभी प्रक्रियाओं का पालन करने, पात्रता और योग्यता के आधार पर स्थापना बोर्ड द्वारा पोस्टिंग की जाती है.
उन्होंने कहा, ‘पोस्टिंग के मामलों में पुरुष और महिला अधिकारी होने का कोई मापदंड नहीं है. वर्तमान में दो महिला आईपीएस अधिकारी अपराध और पीसीआर में दो महिला डीसीपी के अलावा, दो अलग-अलग पुलिस जिलों का नेतृत्व कर रही हैं. कई महिला इंस्पेक्टर हैं, जिन्होंने दिल्ली के पुलिस स्टेशनों में एसएचओ के रूप में काम किया है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)