राष्ट्रव्यापी एनआरसी पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया: केंद्र

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने सदन में बताया कि अब तक सरकार ने एनआरसी को राष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने का कोई निर्णय नहीं लिया है. एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि नागरिकता अधिनियम और भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर के तहत डिटेंशन केंद्रों का कोई प्रावधान नहीं है.

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केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय. (फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने सदन में बताया कि अब तक सरकार ने एनआरसी को राष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने का कोई निर्णय नहीं लिया है. एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि नागरिकता अधिनियम और भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर के तहत डिटेंशन केंद्रों का कोई प्रावधान नहीं है.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय. (फोटो: पीटीआई)
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि उसने राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) को देशव्यापी स्तर पर शुरू करने का कोई फैसला नहीं किया है.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी. सवाल में पूछा गया था कि क्या केंद्र सरकार की एनआरसी को पूरे देश में लागू करने की कोई योजना है.

राय ने अपने लिखित जवाब में कहा, ‘अब तक सरकार ने भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर को राष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने का कोई निर्णय नहीं लिया है.’

उच्चतम न्यायालय की निगरानी में एनआरसी को असम में अपडेट किया गया था. जब 31 अगस्त, 2019 को अंतिम एनआरसी प्रकाशित किया गया था, तो कुल 3,30,27,661 आवेदकों में से 19.06 लाख लोगों को बाहर कर दिया गया था, जिससे पूरे भारत में एक विवाद सी स्थिति बन गई थी.

एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए, राय ने कहा कि नागरिकता अधिनियम, 1955 और भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय पंजी के तहत डिटेंशन केंद्रों का कोई प्रावधान नहीं है.

उन्होंने कहा कि 28 फरवरी, 2012 को उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया था कि अपनी सजा पूरी करने वाले विदेशी नागरिकों को तुरंत जेल से रिहा कर दिया जाएगा और उनका निर्वासन या प्रत्यर्पण होने तक उन्हें सीमित आवाजाही के साथ उचित स्थान पर रखा जाएगा.

राय ने कहा कि उस निर्देश के बाद, गृह मंत्रालय ने सात मार्च, 2012 को राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन को उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन करने के लिए निर्देश जारी किए.

मंत्री ने कहा कि अवैध प्रवासियों और विदेशियों को हिरासत में लेने के लिए उनकी स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा डिटेंशन केंद्र स्थापित किए जाते हैं. वे अवैध प्रवासी या विदेशी होते हैं जिनकी सजा पूरी हो चुकी हो और जिनका निर्वासन या प्रत्यपर्ण समुचित यात्रा दस्तावेजों के अभाव में लंबित हो.

बता दें कि इससे पहले बीते तीन फरवरी को गृह मंत्रालय ने एक संसदीय समिति से कहा था कि पूरे देश में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने के बारे में केंद्र ने कोई फैसला नहीं किया है.

मंत्रालय ने कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मामलों संबंधी स्थायी समिति को बताया था, ‘सरकार में विभिन्न स्तरों से समय-समय पर यह स्पष्ट किया गया है कि भारतीय नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर बनाने के बारे में फिलहाल कोई फैसला नहीं किया गया है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)