एडिटर्स गिल्ड ने प्रधानमंत्री से नए डिजिटल मीडिया नियमों को स्थगित करने की अपील की

सोशल मीडिया मंचों के दुरुपयोग रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए नियमों को लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि ये नियम दमनकारी और प्रेस की आज़ादी के प्रतिकूल हैं.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

सोशल मीडिया मंचों के दुरुपयोग रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए नियमों को लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि ये नियम दमनकारी और प्रेस की आज़ादी के प्रतिकूल हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नए डिजिटल मीडिया नियमों का क्रियान्वयन स्थगित करने की अपील की और आचार संहिता को लागू करने की तीन चरणीय व्यवस्था की निंदा करते हुए कहा कि यह दमनकारी और प्रेस की आजादी के प्रतिकूल है.

सरकार ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून, 2000 के तहत सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्थानों के लिए दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 की बीते 25 फरवरी को घोषणा की थी.

एडिटर्स गिल्ड ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में नियमों को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि इससे प्रेस की आजादी छिनने की आशंका है. उसने इन नियमों का क्रियान्वयन स्थगित करने और सभी पक्षकारों के साथ अर्थपूर्ण विचार-विमर्श किए जाने की अपील की.

इस पत्र में केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को भी संबोधित किया गया है.

स्क्रॉल की रिपोर्ट के अनुसार, एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि उसने 6 मार्च को मोदी और केंद्रीय मंत्रियों को पत्र लिखकर दिशानिर्देशों के बारे में चिंता व्यक्त की थी. हालांकि सरकार की ओर से उन्हें अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्र में गिल्ड ने कहा, ‘नियम मौलिक रूप से बदलेंगे और डिजिटल मीडिया पर अनुचित प्रतिबंध लगाएंगे. इन नियमों को हितधारकों के साथ उचित परामर्श के बिना लाया गया है. इस बात की चिंता गहरी हो गई है कि भारत में प्रेस की स्वतंत्रता के साथ गंभीरता से समझौता किया जा रहा है.’

एडिटर्स गिल्ड ने कहा, ‘भारत में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के प्रति आपकी सार्वजनिक प्रतिबद्धता को देखते हुए हम इन नियमों को रद्द करने और रचनात्मक दृष्टिकोण के लिए सभी हितधारकों के साथ सार्थक परामर्श की सुविधा के लिए आपके तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह करते हैं, जो कि बोलने और अभिव्यक्ति की संवैधानिक गारंटी वाली स्वतंत्रता के अनुरूप है.’

जावड़ेकर और प्रसाद को लिखे गए अपने पत्र में गिल्ड ने डिजिटल युग में उत्पन्न चुनौतियों और नियमन की आवश्यकता को स्वीकार किया, लेकिन इसने सरकार के नए दिशानिर्देशों पर गंभीर चिंता जताई.

गिल्ड ने कहा, ‘हमारी चिंता यह है कि सरकार ने डिजिटल समाचार मीडिया के कामकाज को विनियमित करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया है जो संसद की स्वीकृति के बिना भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रभावित करता है.’

गिल्ड ने डिजिटल मीडिया को विनियमित करने के लिए नए नियमों के कार्यान्वयन को रोकने की मांग की और सरकार से मामले में सभी हितधारकों से परामर्श करने का आग्रह किया.

मालूम हो कि बीते छह मार्च को एडिटर्स गिल्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की थी कि सरकार को इन नियमों को वापस लेना चाहिए. गिल्ड ने कहा कि ‘बेलगाम सोशल मीडिया’ को नियंत्रित करने के नाम पर सरकार ‘मीडिया को मिली संवैधानिक सुरक्षा’ को छीन नहीं सकती है.

उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने बीते 25 फरवरी को सोशल मीडिया मंचों के दुरुपयोग रोकने के लिए नए दिशा-निर्देशों की घोषणा की, जिनके तहत संबंधित कंपनियों के लिए एक पूरा शिकायत निवारण तंत्र बनाना होगा. साथ ही खबर प्रकाशकों, ओटीटी मंचों और डिजिटल मीडिया के लिए ‘आचार संहिता’ और त्रिस्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली लागू होगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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