सीबीआई ने डीएचएफएल प्रर्वतकों कपिल व धीरज वधावन तथा कंपनी के ख़िलाफ़ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. आरोप है कि उन्होंने बांद्रा में कंपनी की फ़र्ज़ी शाखा बनाई और 14,046 करोड़ रुपये के आवास ऋण खाते खोले. इनमें से कुछ खाते प्रधानमंत्री आवास योजना की ब्याज सब्सिडी लेने के लिए बनाए गए थे.
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने डीएचएफएल और उसके निदेशकों पर कथित रूप से 2.60 लाख जाली आवास ऋण खाते खोलने के लिए धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है.
अधिकारियों ने बीते बुधवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि इनमें से कुछ खाते प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत ब्याज सब्सिडी लेने के लिए बनाए गए थे.
घोटाले में फंसी डीएचएफएल के मौजूदा निदेशक मंडल द्वारा नियुक्त ऑडिटर ग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्ट में इन अनियमितताओं का खुलासा किया गया है.
डीएचएफएल के प्रर्वतकों कपिल और धीरज वधावन तथा कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है. इन लोगों ने कथित रूप से बांद्रा में डीएचएफएल की फर्जी शाखा बनाई और 14,046 करोड़ रुपये के आवास ऋण खाते बनाए.
इन ग्राहकों ने अपना आवास ऋण पहले ही चुका दिया था. इन खातों को डाटाबेस में डाला गया.
एनडीटीवी के मुताबिक कंपनी ने इस बीच भारत सरकार से 1,880 करोड़ रुपये की सब्सिडी भी प्राप्त कर ली. मोदी सरकार ने अक्टूबर 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना की घोषणा की थी.
प्राथमिकी में कहा गया है कि 2007 से 2019 के दौरान 14,046 करोड़ रुपये के 2.60 लाख जाली आवास ऋण खाते बनाए गए. ये खाते ऐसी शाखा में खोले गए, जो थी ही नहीं.
इनमें से 11,755.79 करोड़ रुपये कई फर्जी कंपनियों में स्थानांरित या जमा कराए गए. इनको बांद्रा बुक कंपनियों के नाम से जाना जाता था.
इनमें से कई बोगस खाते कथित रूप से पीएमएवाई में राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) से ब्याज सब्सिडी का दावा करने के लिए खोले गए.
इससे पहले सितंबर 2020 में ऑडिटर ग्रांट थॉर्नटन ने ही बताया था कि डीएचएफएल में वित्त वर्ष 2016-17 से 2018-19 के दौरान 12,705.53 करोड़ रुपये के गलत तरीके से लेन-देन किए गए.
ऑडिटर की रिपोर्ट के अनुसार, यह गड़बडी ‘स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी’ (एसआरए) की उन दो परियोजनाओं के लिए कर्ज वितरण से संबद्ध है, जिनका जिम्मा पूर्व में कंपनी ने लिया था.
दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के नियुक्त किए गए प्रशासक ने साल 2020 की शुरुआत में कंपनी के मामलों की जांच करने के लिए ग्रांट थॉर्नटन से सहायता ली थी.
भारतीय रिजर्व बैंक ने डीएचएफएल मामले को दिवाला कार्यवाही के लिए भेजा था.
जुलाई 2019 की स्थिति के अनुसार संकट में फंसी कंपनी के ऊपर बैंकों, राष्ट्रीय आवास बोर्ड, म्यूचुअल फंड और बॉन्ड धारकों के 83,873 करोड़ रुपये बकाये थे.
इसमें से 74,054 करोड़ रुपये सुरक्षित जबकि 9,818 करोड़ रुपये असुरक्षित कर्ज की श्रेणी में थे. ज्यादातर बैंकों ने डीएचएफएल के खातों को एनपीए घोषित कर दिया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)