सुप्रीम कोर्ट का पंजाब सरकार को निर्देश, मुख़्तार अंसारी की हिरासत यूपी पुलिस को सौंपें

उत्तर प्रदेश की मऊ सीट से विधायक मुख़्तार अंसारी जबरन वसूली के मामले में जनवरी 2019 से पंजाब की रूपनगर जेल में बंद है. उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में उनके ख़िलाफ़ दर्ज मामलों का निपटारा करने के लिए पंजाब सरकार से उनकी हिरासत मांग रही थी, जिससे पंजाब सरकार ने इनकार कर दिया था.

मुख़्तार अंसारी. (फोटो साभार: फेसबुक)

उत्तर प्रदेश की मऊ सीट से विधायक मुख़्तार अंसारी जबरन वसूली के मामले में जनवरी 2019 से पंजाब की रूपनगर जेल में बंद है. उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में उनके ख़िलाफ़ दर्ज मामलों का निपटारा करने के लिए पंजाब सरकार से उनकी हिरासत मांग रही थी, जिससे पंजाब सरकार ने इनकार कर दिया था.

मुख़्तार अंसारी. (फोटो साभार: फेसबुक)
मुख़्तार अंसारी. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पंजाब सरकार को निर्देश दिया कि वह अपराध की दुनिया से राजनीति में आए मुख्तार अंसारी की हिरासत उत्तर प्रदेश पुलिस को दो सप्ताह के भीतर सौंप दे.

जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस आरएस रेड्डी की पीठ ने रूपनगर जेल (रोपड़ जेल) में बंद अंसारी को उत्तर प्रदेश राज्य को सौंपने का आदेश दिया.

पीठ ने उत्तर प्रदेश की मऊ सीट से विधायक अंसारी द्वारा दायर उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें अनुरोध किया गया था कि उत्तर प्रदेश में उनके खिलाफ दर्ज मामलों को राज्य से बाहर किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश उत्तर प्रदेश सरकार की उस याचिका पर दिया, जिसमें अनुरोध किया गया था कि पंजाब सरकार और रूपनगर जेल के अधिकारियों को अंसारी को तुरंत जिला जेल, बांदा को सौंपने का निर्देश दिया जाए.

पंजाब सरकार ने बीते चार मार्च को न्यायालय में कहा था कि योगी आदित्यनाथ सरकार को यह अनुरोध करने को कोई मौलिक अधिकार नहीं है कि अंसारी को रूपनगर जेल से बांदा जिला जेल भेज दिया जाए.

जबरन वसूली के मामले में जनवरी 2019 से जिला जेल रूपनगर में बंद अंसारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश में कई गंभीर आरोप हैं.

उत्तर प्रदेश सरकार ने दलील दी थी कि अंसारी न्यायिक व्यवस्था को चकमा दे रहे हैं और आरोप लगाया था कि वह पंजाब में रूपनगर जिला जेल से अवैध गतिविधियां चला रहे हैं.

उत्तर प्रदेश ने उच्चतम न्यायालय में आरोप लगाया था कि अंसारी और पंजाब पुलिस के बीच साठगांठ है, लेकिन अमरिंदर सिंह सरकार ने उन दावों का खंडन किया और योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा दायर याचिका की स्वीकार्यता पर सवाल उठाए.

उत्तर प्रदेश सरकार की दलील थी कि अंसारी ने पीड़ित के अधिकारों तथा जेल नियमावली का उल्लंघन किया. सरकार ने कहा था कि अनुच्छेद 142 के तहत सर्वोच्च अदालत अंसारी को पंजाब की जेल से उत्तर प्रदेश की जेल स्थानांतरित करने का आदेश दे सकती है, क्योंकि लगभग 14-15 मामले अंतिम चरण में हैं.

अंसारी ने दलील दी थी कि वह राज्य में एक विपक्षी पार्टी से जुड़े हैं, इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.

वहीं, पंजाब सरकार ने कहा था कि अंसारी की तबियत ठीक नहीं है और केंद्र सरकार के नियंत्रण वाले पीजीआई चंडीगढ़ अस्पताल ने उन्हें समय-समय पर चिकित्सा प्रमाण पत्र दिए हैं.

बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार मुख्तार को वापस लाकर राज्य में उनके खिलाफ चल रहे मुकदमों का निपटारा कराना चाहती है. अंसारी को यूपी जेल ट्रांसफर करने को लेकर उत्तर प्रदेश और पंजाब सरकार के बीच सियासी और कानूनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद खत्म हो गई.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अंसारी उत्तर प्रदेश में कई गंभीर अपराधों के लिए मुकदमे का सामना कर रहे थे. इसके अलावा पंजाब के मोहाली में जबरन वसूली और आपराधिक धमकी के लिए मामला दर्ज किया गया था. उनकी हिरासत पंजाब पुलिस को सौंप दी गई. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया है कि जब भी उनकी हिरासत मांगी जाती है, तो उसे चिकित्सकीय आधार पर इनकार कर दिया जाता है.

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी दलील में कहा था कि अंसारी के खिलाफ 30 से अधिक एफआईआर के अलावा हत्या के जघन्य अपराधों सहित 14 से अधिक आपराधिक और गैंगस्टर अधिनियम के तहत मुकदमे लंबित हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)