उत्तर प्रदेश: आज़मगढ़ में फोटो पत्रकार का कार्यालय प्रशासन ने अतिक्रमण के नाम पर ढहाया

आज़मगढ़ शहर के वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार दत्ता का कहना है कि नगर पालिका परिषद ने वर्ष 2000 में उन्हें यह ज़मीन किराये पर आवंटित की थी, जहां उन्होंने कार्यालय बनाया था. उनका आरोप है कि कार्यालय ख़ाली करने के तय समय से पहले ही इसे प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया.

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सुनील कुमार दत्ता.

आज़मगढ़ शहर के वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार दत्ता का कहना है कि नगर पालिका परिषद ने वर्ष 2000 में उन्हें यह ज़मीन किराये पर आवंटित की थी, जहां उन्होंने कार्यालय बनाया था. उनका आरोप है कि कार्यालय ख़ाली करने के तय समय से पहले ही इसे प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया.

सुनील कुमार दत्ता.
सुनील कुमार दत्ता.

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ शहर के वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार दत्ता का कार्यालय जिला प्रशासन ने 24 मार्च की शाम को ढहा दिया.

प्रशासन का कहना था कि यह कार्यालय सड़क की जमीन पर अवैध अतिक्रमण था, इसकी वजह से जाम की समस्या हो रही थी, जबकि इस जमीन को दो दशक पहले नगर पालिका परिषद ने दत्ता को आवंटित कर उनसे किराया ले रही थी.

एसडीएम सदर गौरव कुमार ने दत्ता को अपना कार्यालय खाली करने के लिए नोटिस देकर 25 मार्च को अपना पक्ष रखने को कहा था, लेकिन एक दिन पूर्व ही बुलडोजर भेज कर इस कार्यालय को ध्वस्त करा दिया गया.

इस घटना से आजमगढ़ के पत्रकारों, लेखकों, साहित्यकारों में रोष है. पत्रकारों और लेखकों ने कमिश्नर से मुलाकात कर दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.

इस महीने के पहले सप्ताह में इलाहाबाद में प्रख्यात उर्दू साहित्यकार एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. अली अहमद फातमी के लूकरगंज स्थित घर इलाहाबाद विकास प्राधिकरण ने ढहा दिया था.

प्राधिकरण ने सिर्फ एक दिन पहले घर ध्वस्त करने का नोटिस दिया था. इसमें भी प्रो. फातमी को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया और आनन-फानन में उनका घर ध्वस्त करा दिया गया. प्रो. फातमी किसी तरह अपनी किताबें व सामान हटा पाए.

आजमगढ़ के पत्रकार सुनील कुमार दत्ता तो अपने कार्यालय से अपना सामान भी नहीं हटा पाए थे. यह सिविल लाइंस इलाके में स्टेट बैंक नलकूप के सामने नई बोरिंग के बगल में था. इसमें एक अखबार का ब्यूरो ऑफिस भी था.

दत्ता के अनुसार, ‘कार्यालय के साथ-साथ उसमें रखा कम्प्यूटर, इन्वर्टर, फर्नीचर, महत्वूपर्ण दस्तावेजों को भी नष्ट कर दिया गया. कुल तीन लाख की संपत्ति और 15 हजार नकद का नुकसान हुआ है. यह पैसे विज्ञापन मद में रखे गए थे.’

जानकारी के अनुसार, वहां मौजूद दत्ता की बेटियों ने कहा कि 25 मार्च तक नोटिस का जवाब देने का समय मुकर्रर किया गया है तो एक दिन पहले दफ्तर को ध्वस्त करने की कार्यवाही क्यों हो रही है, लेकिन पुलिस ने उनकी एक बात नहीं सुनी.

सुनील कुमार दत्ता आजमगढ़ के जाने-माने फोटो जर्नलिस्ट हैं. वह सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यों में भी बढ़-चढ कर हिस्सा लेते हैं. वह आजमगढ़ के लोगों के बीच कबीर नाम से लोकप्रिय हैं.

नगर पालिका परिषद आजमगढ़ ने वर्ष 2000 में 10×15 फीट की एक जमीन उनकी पत्नी इंदू दत्ता के नाम आवंटित की थी. इस जमीन पर निर्माण कराने की स्वतंत्रता देते हुए नगर पालिका ने इसका किराया 250 रुपये महीना तय किया था.

सुनील कुमार दत्ता का कार्यालय, जिसे ढहा दिया गया.
सुनील कुमार दत्ता का कार्यालय, जिसे ढहा दिया गया.

दत्ता ने यहां अपना ऑफिस बनाया. फिर इसी में एक अखबार का ब्यूरो कार्यालय भी स्थापित हुआ. नगर पालिका ने बाद में इसका किराया बढ़ा दिया और हर तीन वर्ष पर 10 फीसदी किराया वृद्धि तय कर दी. दत्ता नियमानुसार किराया जमा करते रहे जिसकी सभी रसीदें उनके पास हैं. इस वक्त वह 375 रुपये किराया दे रहे थे.

दत्ता के अनुसार, एक दिन एसडीएम सदर उनके दफ्तर पहुंचे. वह वहां नहीं थे तो एसडीएम सदर ने वहां मौजूद लोगों से कहा कि दफ्तर खाली करा दे, इस भवन को ध्वस्त किया जाएगा.

उनके अनुसार, इस घटना के कुछ दिन बाद 23 मार्च को एक सिपाही एक नोटिस लेकर आया. दत्ता उस दिन लखनऊ में अपना इलाज कराने गए. मोबाइल पर बातचीत में बताया गया कि उनके दफ्तर के ध्वस्तीकरण का नोटिस है, जिसका जवाब उन्हें 25 मार्च तक एसडीएम सदर के न्यायालय में दाखिल करना है.

दत्ता उसी रात आजमगढ़ पहुंचे और 24 मार्च को अपने अधिवक्ता से मुलाकात कर अपना पक्ष सभी दस्तावेज के साथ तैयार कराया. फाइल तैयार होते-होते शाम हो गई. तय हुआ कि 25 मार्च की सुबह वह अपना पक्ष एसडीएम सदर के न्यायालय में दाखिल कर देंगे. कचहरी से वह अपने घर पहुंचे थे कि पता चला कि पुलिस बुलडोजर लेकर उनके दफ्तर को ध्वस्त करा रही है.

वह यह सुन हैरान हो गए कि नोटिस का जवाब देने की मियाद पूरी होने के पहले कैसे दफ्तर गिराया जा रहा है. उनकी बेटी उनसे पहले भागते हुए मौके पर पहुंच कार्यवाही का विरोध किया तो पुलिस ने कथित तौर पर उनके साथ दुर्व्यवहार किया.

दत्ता के अनुसार, जब वह मौके पर पहुंचे तो पुलिस से पूछा कि किसके आदेश से ऑफिस गिराया जा रहा है. पुलिस ने बताया कि एसडीएम सदर के आदेश से कार्यवाही हो रही है. पुलिस के साथ कोई प्रशासनिक अधिकारी मौजूद नहीं था.

जिला प्रशासन द्वारा ढहाया गया कार्यालय.
जिला प्रशासन द्वारा ढहाया गया कार्यालय.

दत्ता ने बताया कि एसडीएम सदर द्वारा नोटिस 12 मार्च को जारी किया गया था, लेकिन उनके पास 23 मार्च को पहुंचाया गया. उनके पास जवाब देने के लिए सिर्फ 24 घंटे का समय दिया गया था. उन्होंने जवाब तैयार कर लिया था और समय सीमा में वे इसे दाखिल भी कर देते लेकिन प्रशासन ने 24 मार्च की शाम को कार्यालय गिरा दिया. प्रशासन की पूरी कार्यवाही बदनीयती से भरी हुई है.

एसडीएम सदर द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 133 के तहत जारी किया गया था. नोटिस नगर पालिका परिषद को भी भेजा गया था.

सुनील कुमार दत्ता का कहना है कि एसडीएम सदर ने अपने ही आदेश के प्राविधान और प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया है. दत्ता ने एसडीएम सदर को कानूनी नोटिस भेजा है, जिसमें कहा गया है कि वैध कार्यवाही को अवैध तरीके से करना संविधान का उल्लंघन और पद के दुरुपयोग की श्रेणी में आता है. दत्ता इस मामले को हाईकोर्ट भी ले जाने की तैयारी कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि जिस सड़क पर अतिक्रमण किए जाने का आरोप लगाकर यह कार्यवाही की गई है, उस सड़क या उसकी पटरी के बाद बने नाले तक पर अतिक्रमण नहीं है. जबकि सड़क के दोनों तरफ लोगों द्वारा अतिक्रमण हुआ है. उस पर कोई कार्रवाई नहीं करके लक्ष्य बनाकर कार्रवाई की गई, जो अन्यायपूर्ण है. इस भूखंड को लेकर न्यायालय सिविल कोर्ट में मुकदमा विचाराधीन है, जिसमें पक्षकार नगर पालिका, एसडीएम, डीएम हैं. इसके फैसले का इंतजार न करके ध्वस्तीकरण की कार्यवाही करना न्यायालय की भी अवमानना है.

दत्ता के समर्थन में पत्रकार और लेखक संगठन सामने आए हैं. जर्नलिस्ट क्लब ने आजमगढ़ के कमिश्नर से मिलकर कार्यालय ध्वस्त करने की कार्यवाही को विधि विरूद्ध, असंवैधानिक और असंवेदनशील बताते हुए इसकी जांच एक स्वतंत्र कमेटी द्वारा किए जाने की मांग की है. जनवादी लेखक संघ ने इस घटना की निंदा कर जांच की मांग की है.

गलत तरीके से भूमि आवंटित की गई थी, कार्रवाई होगी: एसडीएम सदर

जॉइंट मजिस्ट्रेट और एसडीएम सदर गौरव कुमार ने कहा, ‘पत्रकार सुनील कुमार दत्ता के कार्यालय को मैंने नहीं नगर पालिका परिषद ने ध्वस्त कराया है. मैंने नगर पालिका परिषद और सुनील दत्ता को नोटिस जारी किया था. नगर पालिका ने स्वीकार किया कि उसने पत्रकार की पत्नी को गलत तरीके से भूमि आवंटित की थी. नगर पालिका परिषद ने अपनी गलती मानते हुए मेरे नोटिस के क्रम में कार्यालय को ध्वस्त कराया.’

उन्होंने कहा कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के समय वह मौके पर नहीं थे. जिस जगह से पत्रकार का कार्यालय हटाया गया है वहां के आसपास भी अवैध निर्माण हटाया गया है. निशाना बनाकर की गई कार्यवाही का आरोप गलत है. नगर पालिका के उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही होगी, जिन्होंने नियम विरुद्ध तरीके से सड़क की भूमि को पत्रकार की पत्नी के नाम आवंटित की थी.

(लेखक गोरखपुर न्यूज़लाइन वेबसाइट के संपादक हैं.)