डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक ने चेताया, कहा- भयावह होंगे पूर्ण लॉकडाउन के नतीजे

विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने पूर्ण लॉकडाउन के खतरनाक परिणामों को लेकर चेताया है. देश में दोबारा बढ़ रहे कोरोना संक्रमण मामलों के बीच विभिन्न राज्यों में पाबंदियों और आंशिक लॉकडाउन को फिर से लागू किया जा रहा है.

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विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या विश्वनाथन. (फोटो: यूट्यूब)

विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने पूर्ण लॉकडाउन के खतरनाक परिणामों को लेकर चेताया है. देश में दोबारा बढ़ रहे कोरोना संक्रमण मामलों के बीच विभिन्न राज्यों में पाबंदियों और आंशिक लॉकडाउन को फिर से लागू किया जा रहा है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या विश्वनाथन. (फोटो: यूट्यूब)
विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या विश्वनाथन. (फोटो: यूट्यूब)

नई दिल्लीः देश में कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों के बाद बढ़ती पाबंदियों के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने पूर्ण लॉकडाउन को लेकर चेताते हुए कहा है कि इसके परिणाम भयावह होंगे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, स्वामीनाथन ने नागरिकों से कोरोना की दूसरी लहर का सही तरीके से सामना करने की अपील की.

स्वामीनाथन ने कहा, ‘हमें तीसरी लहर के बारे में सोचने और पर्याप्त लोगों को टीका लगाए जाने तक कोरोना की दूसरी लहर का सामना करना पड़ेगा.’

वहीं, डब्ल्यूएचओ ने कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराक के बीच आठ से 12 हफ्ते के बीच का अंतर रखने की सलाह दी थी लेकिन स्वामीनाथन ने कहा कि इस अंतर को बढ़ाया जा सकता है.

हालांकि, उन्होंने बच्चों को कोरोना का टीका नहीं लगाए जाने की सलाह दी. डॉ. स्वामीनाथन ने कहा, ‘अभी तक बच्चों के लिए टीकाकरण की सिफारिश नहीं की गई है लेकिन कोरोना की दोनों डोज के बीच अंतर आठ से बारह हफ्ते तक बढ़ाया जा सकता है.’

डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह का कहना है कि कोरोना का संक्रमण पूरे क्षेत्र में तेजी से फैल रहा है. उन्होंने वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया को तेज करने की सलाह दी.

उन्होंने कहा कि भारत में रोजाना औसतन 26 लाख वैक्सीन दी जा रही है, अमेरिका के बाद इसमें भारत दूसरे स्थान पर है. अमेरिका में रोजाना औसतन 30 लाख से अधिक डोज दी जा रही है.

पुणे के आईआईएसईआर और अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एलएस शशिधरा ने बताया, ‘पिछले साल लॉकडाउन के दौरान पुणे में कई हॉटस्पॉट थे. जैसे ही लॉकडाउन हटाया गया, कोरोना के मामले बढ़ने लगे. इसके बाद 10 दिनों का लॉकडाउन लगाया गया, जिससे कोई मदद नहीं मिली. इसके बाद भी मामले बढ़ते गए. लॉकडाउन के दौरान कम्युनिटी ट्रांसमिशन के चलते छोटे समूहों में फैलेगा लेकिन लॉकडाउन हटाने पर यह तेजी से फैलेगा. पिछले साल भी ऐसा ही देखने को मिला था, जब लॉकडाउन हटाया गया था तो कोरोना के आंकड़े फिर से बढ़ने शुरू हो गए थे. ‘