ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस ने एक बयान में कहा कि कर्मचारी 23 दिन से हड़ताल पर हैं. आरोप है कि जेएनयू प्रशासन ने उन्हें समान वेतन और सुरक्षा उपकरण मुहैया कराने से इनकार कर दिया है.
नई दिल्लीः जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के केंद्रीय पुस्कालय के सफाई कर्मचारियों ने पिछले साल नवंबर से वेतन नहीं देने का विश्वविद्यालय पर आरोप लगाया है.
ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू) ने बयान में कहा कि कर्मचारी 23 दिन से हड़ताल पर हैं. आरोप है कि जेएनयू प्रशासन ने उन्हें समान वेतन और सुरक्षा उपकरण मुहैया कराने से इनकार कर दिया है.
बयान में कहा गया, ‘जून 2020 तक उन्हें प्रति माह 12,900 रुपये दिए जा रहे थे, जो न्यूनतम पारिश्रमिक से कम हैं.’
बयान में कहा गया, ‘जून 2020 तक कर्मचारियों को 26 दिनों के कामकाजी महीने के लिए 12,900 रुपये का भुगतान किया गया जो न्यूनतम वेतन से काफी कम है.’
एआईसीसीटीयू का आरोप है कि दो हफ्ते की हड़ताल के बाद कर्मचारियों को मासिक वेतन के नाम पर मात्र 9,000 रुपये का भुगतान किया गया था.
एआईसीसीटीयू की संबद्ध संस्था ऑल इंडिया जनरल कामगार यूनियन की अध्यक्ष उर्मिला चौहान ने कहा, ‘वे लोग जो कैंपस के हर कोने की सफाई करते हैं, उन्हें वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है.’
चौहान ने कहा, ‘ये तथाकथित कोरोना वॉरियर्स हैं, जिन्हें बिना सुरक्षात्मक उपकरणों के संक्रमण का सामना करना पड़ता हैं और उन्हें महीनों से वेतन नहीं दिया जा रहा. यह बंधुआ मजदूरी से कम कुछ भी नहीं है.’
यूनियन का आरोप है कि कर्मचारियों की शिकायतों में छंटनी, अधिकारियों के अत्याचार, बोनस का भुगतान नहीं करना, पीएफ अनियमितता और आईडी कार्ड और वेतन स्लिप जारी नहीं करना है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)