कोविड-19: कई राज्यों में कमी के बीच गुजरात भाजपा अध्यक्ष ने बांटे रेमडेसिविर के इंजेक्शन

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 में इस्तेमाल के लिए जून 2020 में रेमडेसिविर को मंज़ूरी दी थी. इसे केवल प्रिस्क्रिप्शन पर अस्पतालों और फार्मेसी द्वारा एक इंजेक्शन के रूप में बेचा जा सकता है. गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल ने इसे बिना किसी दाम के दो अस्पतालों और पार्टी कार्यालय में वितरित कराया.

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गुजरात के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल. (फोटो: फेसबुक)

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 में इस्तेमाल के लिए जून 2020 में रेमडेसिविर को मंज़ूरी दी थी. इसे केवल प्रिस्क्रिप्शन पर अस्पतालों और फार्मेसी द्वारा एक इंजेक्शन के रूप में बेचा जा सकता है. गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल ने इसे बिना किसी दाम के दो अस्पतालों और पार्टी कार्यालय में वितरित कराया.

गुजरात के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल. (फोटो: फेसबुक)
गुजरात के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल. (फोटो: फेसबुक)

बेंगलुरु: गुजरात में भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल द्वारा सूरत में मुफ्त में एंटीवायरल ड्रग रेमडेसिविर वितरित करने के बाद विवाद खड़ा हो गया है, जहां वर्तमान में कोविड-19 के 5,792 सक्रिय मामले हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 को प्रबंधित करने में मदद के लिए जून 2020 में प्रतिबंधित उपयोग के लिए रेमडेसिविर को मंजूरी दी थी. जैसे कि इसे केवल प्रिस्क्रिप्शन पर एक इंजेक्शन के रूप में बेचा जा सकता है और केवल अस्पतालों और फार्मेसियों को इसे रखने की अनुमति है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पाटिल ने बिना किसी कीमत के सूरत के दो जाइडस अस्पतालों के साथ नवसारी स्थित भाजपा दफ्तर में भी ड्रग उपलब्ध कराया.

हालांकि, राज्य सरकार पाटिल से कोई सवाल नहीं कर सकी. जब मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से पूछा गया कि इतनी महंगी दवाएं पाटिल को कब और कैसी मिलीं तब उन्होंने कहा कि पाटिल ने खुद से उसकी व्यवस्था की और राज्य के लिए निर्धारित भंडार पर कोई असर नहीं पड़ा है.

पाटिल ने बताया, ‘उन्होंने जाइडस से 5,000 रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने की व्यवस्था की थी और हमें सूरत शहर के लिए कंपनी से प्रतिदिन 500 से 1,000 इंजेक्शनों की आपूर्ति होगी.’

उन्होंने कहा कि दक्षिण गुजरात और सूरत के जिलों के मरीज इलाज की फाइल, डॉक्टर के नंबर और अन्य आवश्यक विवरणों के साथ भाजपा कार्यालय जा सकते हैं. पार्टी के पदाधिकारी तब दस्तावेजों को सत्यापित करेंगे और इंजेक्शन प्रदान करेंगे.

अखबार ने यह भी बताया कि गांधीनगर के कांग्रेस विधायक सीजे चावड़ा ने तब से राज्य के खाद्य एवं औषधि आयुक्त को पत्र लिखकर अपने निर्वाचन क्षेत्र में वितरण के लिए 2,500 इंजेक्शन रेमडेसिविर के बैच की मांग की है.

रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने पूछा, ‘मैंने पत्र इसलिए लिखा क्योंकि अगर सूरत में वितरण के लिए भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल रेमडेसिविर इंजेक्शन हासिल कर सकते हैं, तो मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए ऐसा क्यों नहीं कर सकता?’

यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की मेडलाइनप्लस सेवा के अनुसार, रेमडेसिविर प्राप्तकर्ताओं को अपने डॉक्टरों को बताना चाहिए कि क्या उन्हें रेमडेसिविर से एलर्जी है या उन्हें कभी लीवर या किडनी की बीमारी है या नहीं और यदि वे गर्भवती होने की योजना बना रहे हैं या नहीं.

इसमें कुछ संभावित दुष्प्रभावों को भी शामिल किया गया है, जिसमें मतली, त्वचा पर चोट, पीली आंखें या त्वचा और पेट की परेशानी शामिल है जिसमें आखिरी दो लक्षणों को गंभीर माना जाता है.

बता दें कि रेमडेसिविर एक अमेरिकी कंपनी गिलीड साइंसेज इंक द्वारा बनाई गई एक एंटीवायरल दवा है. जाइडस ने अगस्त 2020 में रेमडेसिविर के अपने संस्करण रेमडैक की शुरुआत की जिसकी कीमत प्रति इंजेक्शन 2,800 रुपये रखी. मार्च 2021 के अंत में इसने कीमत में 899 रुपये प्रति डोज तक की कटौती कर दी.

पिछले साल जून में सिप्ला ने कहा था कि वह अपने रिवेसिविर के सामान्य संस्करण को 5,000 रुपये प्रति खुराक से कम पर बेचेगी.

राज्य में संक्रमण के मामलों को बढ़ते हुए देखकर महाराष्ट्र ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि वह रेमडेसिविर की लागत को 1,400 रुपये प्रति खुराक पर तय करने के लिए मजबूर करेगा.

कोविड-19 के खिलाफ एंटीवायरल ड्रग की प्रभावकारिता साबित नहीं हुई है, लेकिन संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण हो रही बेचैनी ने इसकी मांग को बढ़ा रखा है. उदाहरण के लिए 9 अप्रैल को मुंबई पुलिस ने दो लोगों को 8,000 रुपये प्रति शीशी में रेमडेसिविर बेचने के लिए गिरफ्तार किया.

 

एक अनाम शीर्ष सरकारी अधिकारी के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने कहा कि व्यक्तिगत संस्थाएं आमतौर पर इस दवा का उपयोग करने के लिए अधिकृत नहीं होती हैं और साथ ही साथ राजनीतिक दल रेमडेसिविर की खरीद नहीं कर सकते हैं क्योंकि उनके पास दवाओं को खरीदने और स्टॉक करने के लिए थोक लाइसेंस नहीं है.

प्रभाव के लिए रेमडेसिविर को सीधे रक्तप्रवाह में संचारित किया जाना होता है और एक कोर्स के दौरान ऐसा कई बार किया जाता है. यही कारण है कि इसे केवल अस्पतालों में नियंत्रित परिस्थितियों में और मरीज की सहमति से दिया जा सकता है.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

हालांकि, केवल गंभीर रूप से प्रभावित कोविड-19 मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती किया जाता है और ऐसा माना जा रहा है कि अब तक बीमारी रेमडेसिविर के काम करने से कहीं आगे बढ़ चुकी है.

रेमडेसिविर के अलावा भारत ने कोविड-19 रोगियों के लिए प्रतिबंधित, नियंत्रित और सहमति से उपयोग के लिए फ़ेविपिरविर, इटोलिज़ुमाब और टोसीलिज़ुमाब को भी मंजूरी दी है.

उल्लेखनीय है कि बीते दिनों संक्रमण के लगातार बढ़ रहे मामलों के चलते इसकी मांग भी बढ़ी है. मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में लगातार इसे क़ीमत से अधिक दाम पर बेचे जाने की ख़बर आ रही है.

पिछले शुक्रवार को मध्य प्रदेश के इंदौर में रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं मिलने से आक्रोशित लोगों ने बंद दवा दुकान के सामने मुख्य सड़क पर चक्काजाम कर दिया. इसके बाद दवा दुकान के बाहर पर्याप्त तादाद में पुलिस तैनात की गई थी.

उस समय स्थानीय दैनिक नई दुनिया ने बताया था कि इस दवा की किल्लत के कारण इंजेक्शन की जमकर कालाबाजारी हो रही है. देश में रेमडेसिविर का इंजेक्शन 800-900 रुपये में मिल रहा है तो बाकी कंपनियां यही इंजेक्शन चार हजार से लेकर 5,400 रुपये तक बेच रही हैं.

बीते छह अप्रैल को जिला कलेक्टर ने इस इंजेक्शन की कालाबाजारी रोकने के लिए दिशा निर्देश जारी किए थे लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हो रहा है.

महाराष्ट्र में भी कोविड-19 के मामले बेतहाशा बढ़ने के साथ ही रेमडेसिविर इंजेक्शनों की मांग बढ़ गई थी. दवा की भारी कमी की वजह से वहां मेडिकल स्टोर्स के बाहर इस दवा के लिए लोगों की लंबी कतारें लगी थीं.

मुख्यमंत्री ने कहा- पाटिल से पूछें, अखबार ने पाटिल के मोबाइल नंबर को बना दिया हेडलाइन

न्यूजलॉन्ड्री की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को अस्पताल में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल ने रेमडेसिविर इंजेक्शनों को लेकर मीडिया के किसी सवाल का जवाब नहीं दिया. उनसे पूछा गया था कि उन्होंने इतनी मात्रा में दवा का इंतजाम कैसे कर लिया जबकि सरकार ने डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना छह से अधिक डोज बेचने पर रोक लगा रखी है और क्या उन्होंने लाइसेंस लिया है?

वहीं, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब मुख्यमंत्री से यही सवाल किया गया तब उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता, पाटिल से पूछिए.

इस पर गुजरात के दैनिक अखबार दिव्य भास्कर ने रविवार को पाटिल के मोबाइल नंबर को अपने पहले पेज की हेडलाइन बना दिया.

अखबार ने लिखा, ‘9824127694. यह नंबर इंजेक्शन के ‘सरकार’ सीआर पाटिल से जुड़ा हुआ है. जरूरतमंद लोग पाटिल को फोन करके इंजेक्शन के बारे में पूछ लें क्योंकि रूपाणी ने कहा कि सीआर पाटिल को इंजेक्शन कैसे मिले यह सवाल केवल उन्हीं से पूछा जाना चाहिए.’

दिव्य भास्कर ने एक अन्य रिपोर्ट में पाटिल के हवाले से लिखा कि उन्हें ये इंजेक्शन उनके एक दोस्त से मिला. अखबार ने सवाल उठाया है कि क्या उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज होगा.

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