कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर की वजह से गुजरात में मरने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. शवों की संख्या बढ़ने से लगातार इस्तेमाल के कारण गुजरात के सूरत शहर में कुछ शवदाह गृह में धातु की भट्ठियां पिघल रही हैं या उनमें दरार आ गई है. राज्य के अन्य शहरों में स्थित अंतिम संस्कार स्थल भी शवों की बढ़ती संख्या के कारण दबाव महसूस कर रहे हैं.
सूरत: गुजरात में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच शवों की संख्या लगातार बढ़ने से शवदाह गृहों में लोगों के अंतिम संस्कार के लिए उनके परिजनों को इंतजार करना पड़ रहा है. सूरत शहर में तो पिछले कुछ दिनों में इतने शवों का अंतिम संस्कार किया गया है, वहां के शवदाह गृहों में धातु की भट्ठियां पिघल रही हैं या फिर उनमें दरार आ गई हैं.
सूरत में अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि पिछले एक सप्ताह से शवों को जलाने के लिए कुरुक्षेत्र शवदाह गृह और अश्विनी कुमार शवदाह गृह में गैस आधारित भट्ठियां लगातार चालू हैं, जिससे रखरखाव के काम में दिक्कतें आ रही हैं.
पिछले दो दिनों में कोविड-19 से सूरत शहर में हर दिन 18-19 लोगों की मौत हुई हैं.
मंगलवार को शवदाह गृह का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट के अध्यक्ष कमलेश सेलर ने बताया, ‘पिछले साल कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत होने के पहले कुरुक्षेत्र शवदाह गृह में हर दिन करीब 20 शवों का अंतिम संस्कार होता था. अब यह संख्या बढ़ गई है. फिलहाल रोज करीब 100 शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है.’
सेलर ने कहा कि शवदाह गृह में छह गैस भट्ठी 24 घंटे जल रही हैं और तापमान 600 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है.
उन्होंने कहा कि इस कारण से लोहे की भट्ठी और चिमनी पिघलने लगी हैं और गर्मी के कारण इसमें दरार आ रही है. मशीन के इन हिस्सों को बदलना पड़ेगा.
सूरत में सबसे पुराने अश्विनी कुमार शवदाह गृह में भी इसी तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं और इसके प्रबंधन ने गैस भट्ठियों के रखरखाव संबंधी मुद्दों के कारण शवों को जलाने के लिए लकड़ी की चिताओं की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है.
शवदाह गृह के प्रबंधक प्रशांत कबरावाला ने कहा, ‘हम 10 गैस भट्ठियों का संचालन करते हैं. इसके अलावा तीन स्थानों पर लकड़ियों से शवों का अंतिम संस्कार होता है. इससे पहले हर दिन 30 शवों का दाह-संस्कार होता था. अब 90-95 शवों का दाह संस्कार हो रहा है.’
उन्होंने कहा कि भट्ठियों के लगातार जलते रहने से उनमें कुछ की संरचना पिघल गई. अत्यधिक तापमान के कारण कुछ पाइप और चिमनी भी टूट गईं.
कबरावाला ने कहा, ‘हाल में चार में से दो भट्ठियों में ताप रोधी ईंट लगाई गई थी, जो कि कुछ समय से बंद हैं. रखरखाव का काम करने वाले हमारे इंजीनियर हर दिन शवदाह गृह आकर दिक्कतें दूर करते हैं.’
उन्होंने कहा कि रखरखाव से जुड़े कार्य में लगातार दिक्कतें होने के कारण दो जगह और लकड़ियों की चिता की व्यवस्था करने का फैसला किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अश्वनी कुमार शवदाह गृह के एक कर्मचारी ने बताया, ‘एक मार्च से 31 मार्च के बीच 1,339 शवों का अंतिम संस्कार किया गया, जबकि पिछले साल कोविड-19 की पहली लहर के दौरान 20 से 31 मार्च तक यहां 330 शवों का अंतिम संस्कार किया गया था. पिछले साल एक से 10 अप्रैल तक कुल 222 शवों का अंतिम संस्कार किया गया था, जिसमें कोविड-19 मरीज और अन्य लोग शामिल थे.’
अश्वनी कुमार शवदाह गृह में बीते 11 अप्रैल को 11 शवों के परिजन उनके अंतिम संस्कार का इंतजार कर रहे थे.
कर्मचारी ने बताया, ‘केवल कोविड-19 से मरने वालों का गैस भट्टियों में अंतिम संस्कार किया जा रहा है. हमारे पास 20 लोगों का स्टाफ है, जिसमें पुजारी और अन्य सहायकों के अलावा इनमें चार कर्मचारी मृतकों के परिजनों के लिए बुकिंग और उन्हें टोकन नंबर जारी करने का काम करते हैं. हमारा ट्रस्ट अगले सप्ताह तक दो और गैस-आधारित भट्टियों को बनाने की योजना बना रहा है.’
रिपोर्ट के अनुसार, अहमदाबाद के वदज शवदाह गृह में पीपीई किट पहने चिराग पटेल अपने 55 वर्षीय भाई के अंतिम संस्कार का इंतजार कर रहे थे, जिनकी मौत कोराना वायरस के संक्रमण का पता चलने के तीन दिन बाद ही हो गई.
उनके अनुसार, चांदखेड़ा शवदाह गृह में उन्हें 12 घंटे का इंतजार करने के लिए कहा गया था, जहां पहले से ही आठ से 10 शव अंतिम संस्कार के लिए कतार में थे. इसलिए वह वहां से सात किलोमीटर दूर वदज गए. वहां भी उन्हें दो घंटे से अधिक समय तक अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ा था.
वदज शवदाहगृह में एक कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि वहां रोजाना आने वाले 25-30 शवों में से लगभग पांच शव कोविड-19 मरीजों के हैं.
उन्होंने कहा, ‘हम 24 घंटे श्मशान गृह का संचालन कर रहे हैं. यहां किसी का अंतिम संस्कार से इनकार नहीं किया जा रहा है. 6-7 किमी के दायरे के निवासी यहां आते हैं. शवों की संख्या में थोड़ी बहुत बढ़ोतरी हुई है. एक चिमनी की मरम्मत की जा रही है, उसके ठीक हो जाने के बाद लोगों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा.’
राजकोट में भी कोविड-19 से मरने वालों की संख्या की संख्या एक अप्रैल को 10 से बढ़कर सात अप्रैल को 24 हो गई ही. यहां के चार शवदाह गृह- रामनाथपुरा, मावड़ी, मोटा मावा और बापूनगर अंतिम संस्कार के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जिससे मृतक के परिजनों का इंतजार बढ़ गया है.
बीते शनिवार को राजकोट के मेयर प्रदीप डाव ने लकड़ी से चलने वाले तीन और शवदाह गृहों को कोविड-19 पीड़ितों के शवों का अंतिम संस्कार करने का निर्देश दिया. राज्य सरकार द्वारा संचालित पंडित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल ने शहर के नजदीक नवगाम गांव के एक शवदाह गृह से अंतिम संस्कार से समझौता किया है.
राजकोट नगर निगम के कंट्रोज रूम के एक अधिकारी ने बताया, शनिवार को 53 शवों का अंतिम संस्कार किया गया था. रविवार को शाम छह बजे तक 45 अन्य लोगों का भी अंतिम संस्कार किया गया था, जो कि शहर में कोविड से मरने वालों की सर्वाधिक संख्या थी.
वडोदरा के खसवाड़ी शवदाह गृह एक कर्मचारी ने बताया, ‘आठ घंटे की शिफ्ट में पिछले एक हफ्ते में कम से कम 15 से 20 शव लाए गए हैं. यह संख्या बहुत ज्यादा है.’
यहां अंतिम संस्कार के काम में सहयोग कर रहे स्वामी ज्योतिर्नाथ ने बताया कि पिछले दो हफ्ते में वडोदरा में रोजाना करीब 120 लोगों की मौत हुई है. सामान्य समय में एक दिन में 42 लोगों की मौत होती है और मौसम बदलने के दौरान औसतन 70 लोगों की मौत होती है.
शवदाह गृहों पर दबाव कम करने के लिए वडोदरा नगर निगम ने निर्णय लिया है कि छोटे शवदाह गृहों में 15 लकड़ी आधारित चिताए बढ़ाई जाएंगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)