मंगलवार को प्रदेश में एक दिन में रिकॉर्ड 15,121 नए संक्रमित मिले हैं, जिसमें सर्वाधिक रायपुर में हैं. अधिकारियों के अनुसार बीते दो दिनों से रायपुर में प्रति दिन 100 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है. इस बीच राजधानी के बीआर आंबेडकर अस्पताल के जूनियर डॉक्टर्स पीपीई किट, दस्तानों, मास्क आदि सुविधाओं को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं.
रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी और मृतकों की बढ़ती संख्या के बाद अब डराने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं.
राज्य के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल डॉक्टर भीमराव आंबेडकर अस्पताल के मुर्दाघर में बड़ी संख्या में शव रखे हुए हैं. वहीं रायपुर शहर में अब श्मशान घाटों की संख्या बढ़ाई जा रही है.
दैनिक भास्कर के मुताबिक, मंगलवार को प्रदेश में एक दिन में रिकॉर्ड 15,121 नए संक्रमित मिले हैं. इनमें सबसे ज्यादा रायपुर के 4,168 के शामिल हैं.
इस बीच राजधानी में 58 और पूरे प्रदेश में कुल 156 मौतें हुई हैं. इसमें 47 पुरानी मौतों को शामिल किया गया है. यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है.
छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों के मद्देनजर बस्तर जिले में भी 15 अप्रैल की शाम 6 बजे से 22 अप्रैल की रात 12 बजे तक लॉकडाउन की घोषणा की गई है.
कलेक्टर रजत बंसल ने बताया कि बस्तर को मिलाकर अब प्रदेश के 28 में से 18 जिलों में लॉकडाउन लग चुका है.
छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों के लगातार बढ़ोतरी के बीच सोशल मीडिया पर भयावह तस्वीरें और वीडियो सामने आये हैं, जहां रायपुर में सबसे बड़े सरकारी अस्पताल आंबेडकर अस्पताल के मुर्दाघर के सामने में बड़ी संख्या में शव रखे दिख रहे हैं जिनका अंतिम संस्कार किया जाना है. इनमें कुछ शव स्ट्रेचर पर रखे दिख रहे है, वहीं कुछ शव जमीन पर हैं.
Dr Bhim Rao Ambedkar Memorial Hospital in Raipur, Chhattisgarh has run out of space to store bodies.
Bodies are piled up outside the hospital premises.#StaySafe #MaskUpIndia pic.twitter.com/9NJVEGPffg
— Vikash Kedia (@VickyKedia) April 12, 2021
यही हाल पड़ोसी दुर्ग जिले का भी है. वहां बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु होने की जानकारी मिली है.
हिंदू धर्म में आमतौर पर सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार न करने की परंपरा है लेकिन अब जिला प्रशासन और नगर निगम के कर्मचारियों के सहयोग से रात में भी अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जा रही है.
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव राज्य में कोरोना वायरस महामारी को लेकर कहते हैं कि स्थिति चिंताजनक है, राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है लेकिन मामले बढ़ते जा रहे हैं. मंत्री कहते हैं कि मौतों में वृद्धि भी चुनौती के रूप में सामने आयी है.
सिंहदेव ने बताया कि जिला प्रशासन और नगर निगमों को कहा गया है कि वे जल्द से जल्द शवों का अंतिम संस्कार करने की प्रक्रिया पूरी करें.
छत्तीसगढ़ में इस महीने की एक तारीख से सोमवार तक 861 लोगों की मौत हुई है. इनमें रायपुर जिले में 305 और दुर्ग जिले में 213 मौतें शामिल हैं.
मंत्री सिंहदेव ने कहा कि राज्य में संक्रमण के मामले बढ़े हैं इसलिए मृतकों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है.
उन्होंने कहा कि आमतौर पर कोविड-19 के मरीज जो रायपुर के हैं उनके अंतिम संस्कार में देरी नहीं होती है. लेकिन रायपुर से बाहर अन्य जिलों के मरीज जिनकी मृत्यु राजधानी के अस्पताल में हुई है उनका शव गृह जिलों में भेजने और इस दौरान होने वाली प्रक्रिया के कारण देरी हो सकती है.
उन्होंने कहा कि रायपुर के आंबेडकर अस्पताल में बड़ी संख्या में शवों के रखे होने का एक कारण यह भी है. मंत्री ने बताया कि अधिकारियों से कहा गया है कि शवों को जल्द से जल्द उनके गृह जिले में भेजने की व्यवस्था करें.
दो दिनों से रायपुर में प्रतिदिन 100 शवों का अंतिम संस्कार
आंबेडकर अस्पताल में बड़ी संख्या में शवों के रखे होने को लेकर रायपुर नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि कोविड-19 मरीजों की मृत्यु में अचानक बढ़ोतरी के कारण मुर्दाघर में शव रखे गए हैं. उन्होंने बताया कि शवों का जल्द से जल्द अंतिम संस्कार की व्यवस्था की जा रही है.
रायपुर नगर निगम के अपर आयुक्त पुलक भट्टाचार्य ने बताया कि रायपुर के डॉक्टर भीमराव आंबेडकर अस्पताल में कोरोना वायरस संक्रमित तथा अन्य बीमारी के मरीजों का इलाज किया जाता है.
उन्होंने बताया कि यहां के मुर्दाघर में अन्य बीमारी से मृत, मेडिको लीगल केस से संबंधित तथा अन्य जिलों से भेजे गए मरीजों के शवों को भी रखा जाता है.
उन्होंने बताया कि हाल के दिनों में कोरोना वायरस संक्रमितों की मौत में वृद्धि के कारण भी वहां बड़ी संख्या में शव रखे हुए हैं. शवों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था की जा रही है.
भट्टाचार्य ने बताया कि यहां पहले दो श्मशान घाट में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के शवों का अंतिम संस्कार किया जाता था लेकिन अब जिला प्रशासन ने नगर निगम क्षेत्र के 18 श्मशान घाट और कब्रिस्तान में शवों के अंतिम संस्कार की अनुमति दी है.
अधिकारी ने बताया कि पिछले वर्ष संक्रमण की पहली लहर के दौरान 10 श्मशान घाट और कब्रिस्तान का इस्तेमाल किया गया था.
उन्होंने बताया कि पिछले दो दिनों से रायपुर में प्रतिदिन 100 शवों का अंतिम संस्कार किया गया. उन्होंने बताया कि शहर में शव वाहनों की संख्या भी बढ़ाई गई है जिससे बगैर देरी किए शवों को श्मशान ले जाया जा सके.
भट्टाचार्य ने बताया कि सोमवार को आंबेडकर अस्पताल के मुर्दाघर में 40 शव थे. ये शव कोविड-19 और अन्य बीमारी से जान गंवाने वाले लोगों के थे.
उन्होंने कहा कि हालांकि ये संख्या क्षमता से अधिक है और शवों का जल्द से जल्द अंतिम संस्कार करने की व्यवस्था की जा रही है.
राज्य के अधिकारियों ने बताया कि राज्य में कोरोना वायरस संक्रमितों की मृत्यु में बढ़ोतरी को देखते हुए रायपुर और अन्य जिलों में विद्युत शवदाह गृह बनाए जा रहे हैं.
न्यूज़ 18 के मुताबिक दुर्ग समेत कुछ अन्य जिलों में संक्रमण के बाद मृतकों के अंतिम संस्कार लिए श्मशान घाटों में जगह व लकड़ियां कम पड़ रही हैं. बीते मंगलवार को रायपुर में श्मशान घांटों के लिए धमतरी से लकड़ियों की खेप मंगानी पड़ी.
वहीं, छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने भी माना है कि राज्य में कोरोना की वजह से स्थिति खराब है. संक्रमण का दर भी बढ़ रहा है. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने खराब वेंटिलेटर भेजे थे.
Health department's responsibility is to look after the patients, we can't make other arrangements. I spoke with the district administration about it. More arrangements have been made to keep dead bodies: Chhattisgarh Health Minister TS Singh Deo on lack of space for COVID bodies pic.twitter.com/KygaocJkxG
— ANI (@ANI) April 13, 2021
उन्होंने कहा, ‘मैं यह नहीं कह सकता कि केंद्र की तरफ से जानबूझकर खराब वेंटिलेटर भेजे गए थे, लेकिन कुछ वेंटिलेटर अभी भी काम नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी मरीजों की देखभाल करना है, हम अन्य व्यवस्था नहीं कर सकते. मैंने इसके बारे में जिला प्रशासन से बात की है. शवों को रखने के लिए और इंतजाम किए गए हैं.
राज्य के कोरोना सेल के मीडिया प्रभारी समेत 156 लोगों की मौत
छत्तीसगढ़ कोरोना सेल के मीडिया प्रभारी डॉ. सुभाष पांडे की कोरोना से मौत हो गई है. दूसरी बार पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें रायपुर एम्स में भर्ती किया गया था, जहां बुधवार सुबह उन्होंने दम तोड़ दिया।
डॉ. पांडे को तीन दिन पहले एम्स में भर्ती कराया गया था. वह स्वास्थ्य विभाग में उपसंचालक के पद पर कार्यरत थे. इसके अलावा राज्य के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ और छत्तीसगढ़ शासन स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता भी थे.
बताया जा रहा है कि वह दूसरी बार कोरोना से संक्रमित हुए थे. उन्होंने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज भी ली थी. कोरोना से जुड़े आंकड़े को मीडिया के समक्ष रखने की जिम्मेदारी डॉ. पांडे के पास ही थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी रायपुर में बिगड़ते हालातों की वजह से हर ब्लॉक में 100 ऑक्सीजन बेड वाले कोविड सेंटर शुरू करने के मिशन पर प्रशासन काम करेगा.
मंगलवार को रायपुर के कलेक्टर डॉ. एस भारतीदासन ने अफसरों से कहा कि वे जिले के ब्लॉक मुख्यालय में ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर की मदद लेकर 7 दिनों में 100 बेड और ऑक्सीजन सुविधा वाले कोविड केयर सेंटर बनवाएं.
पीपीई किट, ग्लव्स, फेस मास्क जैसी सुविधाओं को लेकर डॉक्टर हड़ताल पर
बढ़ते कोरोना मामलों के बीच कोविड अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. डॉक्टरों ने आरोप लगाया है कि कोविड मरीज का इलाज कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को पीपीई किट, दस्ताने, फेस मास्क जैसी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं.
नवभारत टाइम्स के मुताबिक राजधानी रायपुर के सबसे बड़े अंबेडकर अस्पताल के जूनियर डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. डॉक्टरों ने इसकी लिखित सूचना सीएमएचओ को दे दी है.
डॉक्टर्स मंगलवार से हड़ताल पर चले गए हैं, उनकी हड़ताल बुधवार को भी जारी है. जूनियर डॉक्टरों का आरोप है कि अस्पताल में कोई सुविधा नहीं है. खासकर कोरोना मरीजों के इलाज के लिए बुनियादी सुविधाओं का आरोप है.
डॉक्टरों ने कहा कि अस्पताल में फेस मास्क, पीपीई किट और ग्लव्स जैसी सुविधाओं की समस्याा है. अस्पताल प्रबंधन की तरफ व्यवस्था नहीं की गई थी.
पत्रिका के मुताबिक, हड़ताल दूसरे दिन भी जारी है. हड़ताल के दौरान मरीजों को कोई समस्या न हो इसके लिए डॉक्टरों की दो टीम बनाई गई है. इसमें से आधे धरने पर बैठे हैं और आधे इमरजेंसी सेवा दे रहे हैं.
जूनियर डॉक्टरों ने चिकित्सा शिक्षा संचालक डॉ. आरके सिंह को ज्ञापन सौंपकर उनकी मांगे पूरी नहीं होने पर 15 अप्रैल से गैर कोविड इमरजेंसी बंद करने और 18 अप्रैल से कोविड ड्यूटी न करने की चेतावनी दी है.
डॉक्टरों ने आरोप लगाया है कि ड्यूटी के दौरान कई सहकर्मी संक्रमित हो चुके हैं, जिन्हें अवैतनिक अवकाश के लिए मजबूर किया जा रहा है.
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. इंद्रेश ने बताया कि डॉक्टरों की पिछले एक साल से कोविड और गैर कोविड में ड्यूटी लगाई जा रही है. कोरोना ड्यूटी के बाद क्वारंटीन भी नहीं किया जा रहा है, जिससे कई डॉक्टर संक्रमित हो चुके हैं.
वहीं अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि जूनियर डॉक्टरों के बहिष्कार का प्रभाव ओपीडी पर नहीं पड़ा है.
डीएमई डॉ. आरके सिंह ने कहा कि जूनियर डॉक्टरों की मांगों को शासन स्तर पर भेजा जाएगा. अस्पताल में जो असुविधाएं हैं, उसे जल्द दूर किया जाएगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)