केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों के 5,183 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 78.9 फ़ीसदी सर्जन, 69.7 फ़ीसदी प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, 78.2 फ़ीसदी फिजीशियन और 78.2 फ़ीसदी बच्चों के डॉक्टरों की कमी है.
नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के हालिया आंकड़ों के मुताबिक देश के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में 76.1 फीसदी विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है.
ऐसे केंद्रों को भारत के ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ माना जाता है. यह 30 बेड का अस्पताल होता है. इसमें चार मेडिकल स्पेशलिस्ट- सर्जन, फिजिशियन, स्त्री रोग विशेषज्ञ और एक बच्चों का डॉक्टर होता है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बीते बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे 5,183 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 76.1 फीसदी स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी है.
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जरूरत की तुलना में 78.9 फीसदी सर्जन, 69.7 फीसदी प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, 78.2 फीसदी फिजीशियन और 78.2 फीसदी बच्चों के डॉक्टरों की कमी है.’
मंत्रालय की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है ग्रामीण क्षेत्रों के सीएचसी में विशेषज्ञों की कुल स्वीकृत पद की तुलना में 63.3 फीसदी पद खाली पड़े हैं.
उन्होंने कहा, ‘सीएचसी में विशेषज्ञों की वर्तमान स्थिति बताती है कि 31 मार्च, 2020 तक स्वीकृत पदों में से 68.4 प्रतिशत सर्जन, 56.1 प्रतिशत प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, 66.8 प्रतिशत फिजिशियन और 63.1 प्रतिशत बाल रोग विशेषज्ञ के पद खाली हैं.’
ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे केंद्रों में 5,183 फिजिशियन की जरूरत है, लेकिन 3,331 पद खाली पड़े हैं. इसी तरह इन स्वास्थ्य केंदों में 5,183 सर्जन और 5,183 प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों की जरूरत है, लेकिन इन श्रेणियों में 4,087 और 3,611 पद खाली हैं.
रिपोर्ट से पता चलता है इनमें से ज्यादातर खाली पद उत्तर प्रदेश, राजस्था, गुजरात, मध्य प्रदेश, ओडिशा जैसे राज्यों में हैं.
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की भी यही स्थिति है. स्वास्थ्य मंत्रालय के रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में 24,918 पद में से डॉक्टरों के 8,638 पद खाली हैं.