हार्वर्ड की स्टडी में नहीं हुई यूपी सरकार के प्रवासी संकट प्रबंधन की तारीफ़, मीडिया का दावा ग़लत

फैक्ट चेक: अप्रैल के पहले हफ़्ते में मीडिया द्वारा एक अध्ययन के हवाले से दावा किया गया कि हार्वर्ड स्टडी ने अन्य राज्यों की तुलना में प्रवासी संकट को अधिक प्रभावी ढंग से संभालने के लिए यूपी सरकार की सराहना की है. पड़ताल बताती है कि हार्वर्ड ने ऐसा कोई अध्ययन नहीं किया.

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योगी आदित्यनाथ. (फोटो साभार: फेसबुक/@MYogiAdityanath)

फैक्ट चेक: अप्रैल के पहले हफ़्ते में मीडिया द्वारा एक अध्ययन के हवाले से दावा किया गया कि हार्वर्ड स्टडी ने अन्य राज्यों की तुलना में प्रवासी संकट को अधिक प्रभावी ढंग से संभालने के लिए यूपी सरकार की सराहना की है. पड़ताल बताती है कि हार्वर्ड ने ऐसा कोई अध्ययन नहीं किया.

योगी आदित्यनाथ. (फोटो साभार: फेसबुक/MYogiAdityanath)
योगी आदित्यनाथ. (फोटो साभार: फेसबुक/MYogiAdityanath)

नई दिल्ली: न्यूज नेशन के सलाहकार संपादक दीपक चौरसिया ने 9 अप्रैल को ट्विटर पर लिखा, ‘हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का कोविड प्रबंधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सलाम, योगी आदित्यनाथ से विश्व को सीखने की सलाह.’

ऑल्ट न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, टाइम्स नाउ, हिंदुस्तान टाइम्स, एशियानेट न्यूज, आईएएनएस, जागरण, वन इंडिया, द फ्री प्रेस जर्नल, मेंसएक्सपी, तत्वा, न्यूजरूम पोस्ट, माई नेशन, स्वराज्य और शॉर्टपीडिया उन मीडिया संस्थानों में शामिल रहे जिन्होंने इस पर खबर की.

टीवी9 भारतवर्ष और द न्यूज ने अपने यूट्यूब चैनल पर वीडियो रिपोर्ट्स अपलोड की. दक्षिणपंथी प्रोपगेंडा वेबसाइट ऑपइंडिया ने भी हार्वर्ड स्टडी पर एक लेख प्रकाशित किया.

फैक्ट चेक

सवालों के घेरे में आए इस अध्ययन का शीर्षक ‘कोविड-19 एंड द माइग्रेंट क्राइसिस रिजॉल्यूशन: अ रिपोर्ट ऑन उत्तर प्रदेश’ है.

यह रिपोर्ट इंस्टिट्यूट फॉर कॉम्पिटीटीवनेस (आईएफसी) द्वारा प्रकाशित की गई, न की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा. इसके अलावा मीडिया रिपोर्ट्स में अध्ययन की गलत तरीके से व्याख्या की गई.

हार्वर्ड ने नहीं तैयार किया अध्ययन

सवालों के घेरे में आई रिपोर्ट इंस्टिट्यूट फॉर कॉम्पिटीटीवनेस (आईएफसी) द्वारा प्रकाशित की गई.

रिपोर्ट के कवर पेज पर दो लोगो- आईएफसी और माइक्रोइकॉनमिक्स ऑफ कॉम्पिटीटीवनेस (एमओसी) है जो कि हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से जुड़ी एक संस्था है.

एमओसी प्रतिस्पर्धा और आर्थिक विकास पर एक आवश्यक हार्वर्ड पाठ्यक्रम है. यह प्रोफेसर माइकल पोर्टर और इंस्टिट्यूट फॉर स्ट्रेटेजी एंड कॉम्पिटिटिवनेस (आईएससी) के कर्मचारियों और सहयोगियों द्वारा विकसित किया गया था.

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आईएससी, मैसाचुसेट्स के बोस्टन में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में स्थित एक गैर-लाभकारी अनुसंधान, शिक्षा और नीति संगठन है.

2021 के प्रॉस्पेक्टस के अनुसार, एमओसी एफिलिएट नेटवर्क का उद्देश्य एक उच्च मानकों वाली संरचना के माध्यम से प्रतिस्पर्धा को समझने, सिखाने और उन्नयन करने के लिए स्थानीय क्षमता बनाने का था. हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (एचबीएस) में इंस्टिट्यूट फॉर स्ट्रेटजी एंड कॉम्पिटिटिवनेस (आईएससी) ने दुनियाभर में इन सामग्रियों के प्रसार के लिए पाठ्यक्रम, शिक्षण सामग्री और एक मंच विकसित किया. नेटवर्क एफिलिएट (संबद्ध) विश्वविद्यालयों में फैकल्टी को एमओसी कोर्स जल्दी और बिना महंगे कोर्स के खुद के विकास के प्रयासों को सिखाने में सक्षम बनाता है.

प्रॉस्पेक्टस सूची में आईएफसी (लाल रंग से उभरा) को एमओसी एफिलिएट संस्थान के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. दुनियाभर में लगभग 120 एफिलिएट संस्थान हैं जिनमें से चार (हरे रंग में हाइलाइट किए गए) भारत के हैं.

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आईएफसी की वेबसाइट के अनुसार, यह हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में इंस्टिट्यूट फॉर स्ट्रैटेजी एंड कॉम्पिटिटिवनेस (आईएससी) के वैश्विक नेटवर्क में भारतीय संगठन है.

पाठकों को ध्यान देना चाहिए कि आईएफसी ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के हिस्से के रूप में खुद को संदर्भित नहीं किया है. इसके अतिरिक्त विचाराधीन रिपोर्ट न तो आईएससी की वेबसाइट पर उपलब्ध है और न ही एचबीएस वेबसाइट पर.

हार्वर्ड केनेडी स्कूल की पूर्व छात्रा स्मृति अय्यर ने ऑल्ट न्यूज से कहा, ‘मेरी जानकारी के अनुसार हार्वर्ड स्टडी जैसी कोई चीज नहीं है. हार्वर्ड में इससे जुड़े या रखे गए संस्थानों/प्रोफेसरों/केंद्रों द्वारा अध्ययन किया जाता है. ज्यादातर मामलों में यह स्पष्ट है कि अध्ययन लेखकों से जुड़ा है, न कि विश्वविद्यालय से. वैधता बनाने के लिए उन्हें अक्सर हार्वर्ड स्टडी कहा जाता है, जो भ्रामक है.’

आईएससी में कॉम्पिटिटिवनेस एंड इकॉनमिक डेवलपमेंट प्रोग्राम मैनेजर कैटलिन बी. अहर्न ईमेल के माध्यम से दिए गए जवाब में कहा, एमओसी से एफिलिएट एक अध्ययन को एक हार्वर्ड अध्ययन के रूप में संदर्भित करना सही नहीं है.

वहीं, एमओसी लोगो के इस्तेमाल पर अहर्न ने कहा कि एफिलिएट को आंतरिक कामों के लिए लोगो के इस्तेमाल की छूट है. हालांकि, बाहर इसके इस्तेमाल के लिए हार्वर्ड से लिखित अनुमति की आवश्यकता होती है.

रिपोर्ट के अनुसार, एमओसी, आईएससी का एक कोर्स है इसलिए इस पर भी यह नियम लागू होगा.

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हालांकि, अहर्न ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि आईएफसी ने हार्वर्ड ट्रेडमार्क प्रोग्राम का उल्लंघन किया या नहीं.

वहीं, आईएफसी के मानद अध्यक्ष अमित कपूर ने ईमेल से दिए जवाब में कहा, ‘एमओसी से संबद्ध एक अध्ययन को एक हार्वर्ड अध्ययन के रूप में संदर्भित करना सही नहीं है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मीडिया रिपोर्टों के विपरीत हमारे अध्ययन से यह निष्कर्ष नहीं निकलता है कि यूपी सरकार ने अन्य राज्यों की तुलना में प्रवासी संकट को अधिक प्रभावी ढंग से संभाला है. दस्तावेज विभिन्न राज्यों द्वारा संकट से निपटने पर एक तुलनात्मक बयान नहीं है. यह उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयास और उसी से नतीजा निकालने से संबंधित दस्तावेज है.’

कपूर ने कहा कि आईएफसी ने हार्वर्ड के ट्रेडमार्क प्रोग्राम का उल्लंंघन नहीं किया. उन्होंने कहा, ‘दस्तावेज आंतरिक इस्तेमाल के लिए था और इसे सार्वजनिक करने का इरादा नहीं था. इसके अलावा जैसा कि आप ध्यान दें, अध्ययन/दस्तावेज को कहीं भी दस्तावेज में हार्वर्ड अध्ययन के रूप में पेश नहीं किया गया था, बल्कि प्रतिस्पर्धा के लिए संस्थान के एक कार्य के रूप में पेश किया गया था. व्याख्या अप्रत्याशित थी, रिपोर्ट से लोगो को हटा दिया जाएगा ताकि उसकी सही व्याख्या की जा सके और गलत मतलब न निकाला जाए.’

रिपोर्ट के पेज 70 पर मौजूद निष्कर्ष में कहा गया, यद्यपि उत्तर प्रदेश सरकार ने मौजूदा योजनाओं का उपयोग करके घर के करीब आर्थिक अवसरों के निर्माण के लिए कदम उठाए हैं, साथ ही नए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करके, एक दीर्घकालिक रोजगार सृजन योजना विकसित करना महत्वपूर्ण है.

यूपी सरकार के अधिकारियों ने समाचार रिपोर्ट बताते हुए फॉरवर्ड किए वॉट्सऐप मैसेज

उत्तर प्रदेश के एक पत्रकार ने ऑल्ट न्यूज को बताया कि मीडियाकर्मियों के एक ग्रुप में एक वॉट्सऐप मैसेज सर्कुलेट किया गया. सरकारी अधिकारियों ने प्रेस नोट के रूप में मैसेज को शेयर किया और उसके साथ स्टडी का लिंक भी भेजा.

मैसेज का शीर्षक था, ‘कठिन समय में प्रवासियों के लिए पृथ्वी पर एक स्वर्ग’ और ठीक इसी हेडलाइन को न्यूजरूम पोस्ट ने इस्तेमाल किया.

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इस तरह से आईएफसी द्वारा किए गए अध्ययन को उत्तर प्रदेश सरकार और मीडिया द्वारा गलत तरीके से हार्वर्ड स्टडी बताया गया.

इससे पहले ऑल्ट न्यूज अपनी एक अन्य रिपोर्ट में इसी तरह एक गलत रिपोर्ट को सर्कुलेट किए जाने के बारे में बताया था. अप्रैल के शुरुआती सप्ताह में कई मीडिया संस्थानों द्वारा एक खबर चलाई गई, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने उत्तर प्रदेश (यूपी) के कोरोना महामारी से निपटने के प्रबंधन की सराहना की थी.

ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में यह दावा झूठा पाया गया था और जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. डेविड पीटर्स ने इसका खंडन किया था.

अधिकारियों व भाजपा सदस्यों ने गलत रिपोर्ट को शेयर किया

सूचना और जनसंपर्क विभाग, यूपी सरकार के निदेशक शिशिर सिंह ने हिंदुस्तान टाइम्स प्रिंट की एक रिपोर्ट साझा की जिसमें दावा किया गया कि हार्वर्ड ने योगी आदित्यनाथ सरकार की सराहना की है.

भाजपा दिल्ली के प्रवक्ता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने तत्वा डॉट इन की एक रिपोर्ट का एक स्क्रीनशॉट साझा किया, ‘दुनिया को यह सीखने की जरूरत है कि सीएम योगी से महामारी और प्रवासी संकट का प्रबंधन कैसे किया जाए: हार्वर्ड ने यूपी सरकार की सराहना की.’

उनके इस ट्वीट को 13,000 से अधिक लाइक्स मिले.

इसी तरह भाजपा सदस्य मेजर सुरेंद्र पूनिया (सेवानिवृत्त) ने भी उपर्युक्त स्क्रीनशॉट साझा किया. उनके पोस्ट को 2,500 से अधिक लाइक्स मिले.

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भाजपा सदस्य विनीत गोयनका ने एचटी के लेख का ऑनलाइन संस्करण पोस्ट किया. उन्होंने लिखा, ‘जबकि आम आदमी पार्टी सरकार की उदासीनता के कारण दिल्ली में कई प्रवासियों को पलायन के लिए छोड़ दिया गया. उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ जी ने प्रवासी संकट की देखभाल के लिए एक शानदार काम किया. सीएम अरविंद केजरीवाल को इससे सीख लेनी चाहिए.’

सोशल मीडिया पर प्रभावी ट्विटर यूजर @nehaltyagi08 ने दावा किया और लिखा, ‘ईस्ट ऑर वेस्ट, महाराज जी इज बेस्ट.’ इस ट्वीट को 2,000 से अधिक रीट्वीट प्राप्त हुए.

इसके अलावा कई भाजपा समर्थक फेसबुक ग्रुप्स और पेजों ने इस दावे को आगे बढ़ाया जिसमें नेशन विद नमो, पोस्टकार्ड और पीएमओ इंडिया: रिपोर्ट कार्ड शामिल हैं.

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