कोविड-19

मध्य प्रदेशः शहडोल में 12 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत, ऑक्सीजन की कमी का आरोप

मध्य प्रदेश के शहडोल मेडिकल कॉलेज की घटना. कॉलेज के डीन का कहना है कि कोरोना मरीज़ों की मौत ऑक्सीजन सप्लाई की कमी की वजह से हुई है या नहीं, अभी इसका पता नहीं लगाया जा सका है. मेडिकल शिक्षा मंत्री और शहडोल के ज़िलाधिकारी ने ऑक्सीजन की कमी से मौत की बात से इनकार किया है.

A medical worker stands next to an oxygen cylinder at the Yatharth Hospital in Noida, on the outskirts of New Delhi, India, September 15, 2020. Photo: Reuters/Adnan Abidi

(प्रतीकात्मक फोटोः रॉयटर्स)

भोपालः मध्य प्रदेश के शहडोल मेडिकल कॉलेज के आईसीयू वॉर्ड में कथित तौर पर ऑक्सीजन सप्लाई की कमी की वजह से 12 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत का मामला सामने आया है.

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना शनिवार रात बारह बजे की है. सभी मरीज अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे.

कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से 12 मरीजों की मौत से पहले मेडिकल कॉलेज में ही कोरोना के 10 और मरीजों की मौत हो गई थी. इस तरह शनिवार को कुल 22 मरीजों की जान गई.

हालांकि, पहले मेडिकल कॉलेज के डीन मिलिंद शिरालकर ने छह मौतों की पुष्टि की थी, लेकिन इसके थोड़ी देर बाद अपर कलेक्टर अर्पित वर्मा ने 12 कोरोना मरीजों की मौत की जानकारी दी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शहडोल मेडिकल कॉलेज में अस्पताल के आईसीयू यूनिट में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का दबाव गिरने से रात लगभग दस बजे अलार्म बजने लगे. आईसीयू यूनिट में लगभग 62 मरीज भर्ती हैं.

शहडोल मेडिकल कॉलेज के डीन मिलिंद शिरालकर ने मौतों की पुष्टि करते हुए शनिवार को बताया कि टैंक में ऑक्सीजन का स्तर कम था और इसे रिफिल किया जाना था. टैंक को रिफिल करने के लिए ऑक्सीजन लेकर आ रहा ट्रक रास्ते में था, लेकिन उसे दमोह में रोक लिया गया, क्योंकि ट्रक ड्राइवर रात 12 बजे के बाद ड्राइव नहीं कर सकते.

शिरालकर ने कहा, ‘यह नया मेडिकल कॉलेज दोहरे ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम पर काम करता है, जिसमें पहला अस्पताल में लगाए गए ऑक्सीजन टैंक तक पाइपों के जरिये अस्पताल के विभिन्न यूनिट तक ऑक्सीजन की सप्लाई की जाती है. वहीं, बैंकअप के तौर पर 245 जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर भी इस्तेमाल में लाए जाते हैं.’

शिरालकर ने कहा, ‘शनिवार देर रात कोरोना मरीजों की मौत हो गई, लेकिन यह ऑक्सीजन सप्लाई की कमी की वजह से हुई है, अभी इसका पता नहीं लगाया जा सका है, क्योंकि अस्पताल के पास जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर थे, जिन्हें लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की कमी पड़ने पर इस्तेमाल में लाया जाता है.’

उन्होंने बताया कि रविवार सुबह 11 बजे तक अस्पताल का लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन टैंक रिफिल नहीं हुआ था.

उन्होंने कहा, ‘अगर मौतों का कारण ऑक्सीजन की कमी है तो मौतें बड़े पैमाने पर होती, क्योंकि मौजूदा समय में अस्पताल के आईसीयू में ही 62 मरीज हैं और अस्पताल में कुल 255 कोरोना मरीजों का इलाज चल रहा है.’

समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में मध्य प्रदेश के मेडिकल शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, ‘मेडिकल कॉलेज के डीन से बात की है और पता चला है कि उनकी मृत्यु ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई है. वे गंभीर स्थिति में थे. अगर यह सब ऑक्सीजन की कमी से होता तो वेटिंलेटर पर रखे गए अन्य मरीज भी इससे प्रभावित होते. हालांकि हम मामले की जांच करेंगे.’

शहडोल के डीएम सतेंद्र सिंह ने कहा, ‘ऑक्सीजन की कमी से किसी की भी मौत नहीं हुई. सुबह आठ बजे तक सिर्फ छह मौतें हुई थीं. एक साथ कई बीमारियों के चलते उनकी हालत नाजुक थी. हमारे पास ऑक्सीजन की पर्याप्त सप्लाई है.’

वहीं, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अस्पताल में हुई मौतों को लेकर ट्वीट कर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा हैं.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘अब शहडोल में ऑक्सीजन की कमी से मौतों की बेहद दुखी खबर. भोपाल, इंदौर, उज्जैन, सागर, जबलपुर, खंडवा, खरगोन में ऑक्सीजन की कमी से मौतें होने के बाद भी सरकार नहीं जागी. आखिर कब तक प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से यूं ही मौतें होती रहेंगी.’

बता दें कि शहडोल से लेकर पड़ोसी जिलों अनूपपुर, उमरिया, मंडला और डिंडोरी में कोरोना मरीजों की बढ़ रही संख्या से अस्पताल पर भारी दबाव पड़ा है. अस्पतालों में स्टाफ और डॉक्टरों की कमी है.

मालूम हो कि कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन की खपत में तेज वृद्धि हुई है. 22 मार्च को 64 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत हुई, जो सात अप्रैल को बढ़कर 179 मीट्रिक टन हो गई जो अगले दिन आठ अप्रैल को बढ़कर 234 मीट्रिक टन हो गई. 63,889 सक्रिय मामलों के साथ मध्य प्रदेश में शनिवार को 330 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग थी और 20 अप्रैल तक इसके 440 मीट्रिक टन होने की उम्मीद है.