मुंबई में कोरोना के लगभग 87,000 सक्रिय मामले हैं जिनमें से 90 फीसदी से अधिक मामले गगनचुंबी इमारतों में हैं जबकि 10 फीसदी झुग्गी-झोपड़ियों से हैं. शहर में कोरोना की पहली लहर में झुग्गी-झोपड़ी सर्वाधिक प्रभावित रहे थे.
मुंबईः भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में गगनचुंबी और अन्य इमारतों से एक बार फिर से बड़े पैमाने पर कोरोना के मामले दर्ज हो रहे हैं. बीएमसी ने इसकी जानकारी दी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई में कोरोना के लगभग 87,000 सक्रिय मामले हैं, जिनमें से 90 फीसदी से अधिक मामले ऊंची-ऊंची गगनचुंबी इमारतों से हैं, जबकि 10 फीसदी झुग्गी-झोपड़ियों से हैं.
बीएमसी द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि गैर झुग्गी इलाकों में कोरोना के 79,032 सक्रिय मामले हैं, जिनमें से मुख्य तौर पर गगनचुंबी और स्टैंडअलोन इमारतों से हैं.
दूसरी तरफ 16 अप्रैल तक कोरोना के कुल 87,443 सक्रिय मामलों में से झुग्गी-झोपड़ियों में सिर्फ 8,411 मामले हैं.
कोरोना की दूसरी लहर में तेजी से बढ़ रहे मामलों के अपने विश्लेषण में क्रेडिट सुइस के नीलकंठ मिश्रा ने कहा, ‘मुंबई में कोविड-19 के भोगौलिक प्रसार का पता लगाने वाले विश्लेषकों का कहना है कि मुंबई में कोरोना का तीव्र प्रसार एक तेजी गिरावट के बाद भी संभव होगा. ऊंची-ऊंची इमारतों और स्टैंडअलोन इमारतों में कोरोना के बढ़ते मामले संक्रमण को तेजी से बढ़ाते हैं.’
जुलाई 2020 में पहले सीरोसर्वे के नतीजों से पता चला कि झुग्गी झोपड़ियों में सीरो प्रिविलेंस 57 फीसदी है जबकि गैर झुग्गी झोपड़ी इलाकों में यह 16 फीसदी है.
अगस्त में दूसरे सर्वे में पता चला कि सीरो प्रिवलेंस झुग्गी झोपड़ियों में 45 फीसदी है जबकि गैर झुग्गी झोपड़ी में यह 18 फीसदी से बढ़ी हैं.
कोरोना की पहली लहर में झुग्गी-झोपड़ी सर्वाधिक प्रभावित है. उदाहरण के लिए जून 2020 में मुंबई में कोरोना के कुल मामलों में लगभग दो-तिहाई झुग्गी-झोपड़ियों से सामने आए. झुग्गी झोपड़ी में रह रहे 42 लाख लोग कंटेनमेंट जोन में थे जबकि आठ लाख लोग इमारतों में रह रहे थे.
बीएमसी आंकड़ों से पता चला है कि के-वेस्ट वॉर्ड (अंधेरी-जोगेश्वरी) में सबसे अधिक 273 सील की गई इमारतें या माइक्रो कंटेनमेंट जोन के-वेस्ट वॉर्ड (अंधेरी-जोगेश्वरी) में हैं. इसके बाद डी-वॉर्ड (मालाबार हिल, ग्रांट रोड) में 247, एफ-साउथ वॉर्ड (परेल, सेवरी) में 147 इमारतों को सील किया गया है.
इन इलाकों में रहने वाली अधिकतम आबादी ऊंची-ऊंची इमारतों में रहती हैं जबकि 1,169 इमारतें मौजूदा समय में सील हैं. मुंबई में सील किए गए फ्लोर की संख्या भी बढ़ाकर 10,797 कर दी गई है. 20 लाख से अधिक लोग माइक्रो कंटेनमेंट जोन में हैं.
ऊंची-ऊंची इमारतों से कोरोना के अधिक मामले सामने आने के बाद बीएमसी को अपनी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में संशोधन करना पड़ा.
पांच अप्रैल को नगर आयुक्त आईएस चहल ने नई एसओपी जारी कर ऐसी हाउसिंग सोसाइटीज को माइक्रो कंटेनमेंट जोन घोषित किया, जहां कोरोना के पांच से अधिक सक्रिय मामले थे.
अब हाउसिंग सोसाइटी अधिकारियों की यह जिम्मेदारी है कि वे यह सुनिश्चित करें कि कोविड19 दिशानिर्देशों का पालन हो रहा है.
बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया, ‘इमारतों में कोरोना के अधिक मामले सामने आने के बाद बीएमसी अधिकारी नियमों के उल्लंघन की जांच कर रहे हैं. हाल ही में इमारतों में रहने वाले ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई, जो बिना कोरोना जांच कराए बाहर घूम रहे थे.’