उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज से भाजपा सांसद कौशल किशोर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे गए एक पत्र में किंग जॉर्ज अस्पताल मेडिकल यूनिवर्सिटी के कई विभागाध्यक्षों ने वार्डों में कभी ड्यूटी ही नहीं की और मीडिया में अपनी छवि चमकाने में व्यस्त रहे. इससे पहले कानून मंत्री बृजेश पाठक ने ख़राब होती स्वास्थ्य व्यवस्था की ओर ध्यान दिलाया था.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज से भाजपा सांसद कौशल किशोर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे गए एक पत्र में आरोप लगाया गया है कि जीवन बचाने के लिए आवश्यक वेंटिलेटर अस्पतालों में पड़े-पड़े धूल खा रहे हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इसके साथ ही पत्र में किशोर ने दावा किया कि बलरामपुर अस्पताल प्रशासन कर्मचारियों की कमी के कारण मरीजों को भर्ती नहीं कर रहा है और लोगों की जान बचाने के लिए वेंटिलेटरों का इस्तेमाल न करके मुख्यमंत्री का नाम खराब कर रहा है.
उन्होंने आगे लिखा, ‘इस्तेमाल किए बिना पड़े रहने के बजाय इन वेंटिलेटरों का इस्तेमाल इस जरूरत के समय लोगों की जान बचाने के लिए किया जाना चाहिए.’
हालांकि, इस मुद्दे पर राजधानी लखनऊ स्थित बलरामपुर अस्पताल का कोई भी अधिकारी रिकॉर्ड पर आने के लिए तैयार नहीं हुआ.
लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजय भटनागर ने कहा, ‘मामले को बलरामपुर अस्पताल प्रशासन द्वारा देखा जा रहा है जिसने संसाधनों का इस्तेमाल करने का फैसला किया है.’
पत्र में सांसद ने राजधानी लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज अस्पताल मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में इलाज की खराब व्यवस्था का भी उल्लेख किया.
सांसद ने अपने पत्र में यह भी कहा कि कई विभागाध्यक्षों ने वार्डों में कभी ड्यूटी ही नहीं की और मीडिया में अपनी छवि चमकाने में व्यस्त रहते थे.
उन्होंने कहा, ‘इन विभागों में कई बेड खाली पड़े हैं, इसलिए कम से कम 20 दिनों की बेड के इस्तेमाल की ऑडिट की आवश्यकता है.’
उन्होंने यह भी कहा कि केजीएमयू के सिविल अस्पताल के चौथे तल पर कई बेड खाली पड़े हैं जहां मरीजों के लिए ऑक्सीजन आपूर्ति की व्यवस्था किए जाने के बाद उन्हें भर्ती किया जा सकता है.
इस बीच अस्पताल के अंदरूनी लोगों और मरीजों के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि बलरामपुर अस्पताल में 28 में से केवल सात वेंटिलेटर काम कर रहे हैं.
बलरामपुर अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती गोलागंज निवासी एक महिला के बेटे ने कहा, ‘मुझे आश्चर्य है कि कई वेंटिलेटर होने के बावजूद अस्पताल उनमें से सिर्फ सात का संचालन कर रहा है. जिन रोगियों को वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है, उन्हें भगवान की दया पर छोड़ दिया जाता है. ऐसा लगता है कि मानव जीवन का कोई मूल्य नहीं है.’
अस्पताल के एक कर्मचारी ने कहा, ‘हां, कोविड-19 के हमले के बाद पिछले साल अस्पताल में 28 वेंटिलेटर पहुंचे, लेकिन वे बिना इस्तेमाल पड़े हुए हैं, क्योंकि उन्हें संचालित करने के लिए किसी को प्रशिक्षित नहीं किया गया था और कोई भी ऐसे परीक्षण समय के दौरान इन वेंटिलेटर के संचालन की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता था.’
वहीं, मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि राजधानी लखनऊ स्थित लोकबंधु अस्पताल में 18 वेंटिलेटर थे, लेकिन उनमें से केवल चार ही चालू थे, क्योंकि अस्पताल के पास इन हाई-टेक वेंटिलेटर का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं थे जो कई लोगों की जान बचा सकते थे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इससे दो दिन पहले किशोर ने अपील की थी कि होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने की मंजूरी दी जाए.
बता दें कि हाल ही में कौशल किशोर के बड़े भाई का कोविड-19 के कारण निधन हो गया था.
मालूम हो कि पंचायत चुनाव शुरू होने से पहले कोविड-19 की दूसरी लहर के साथ ही उत्तर प्रदेश में बिगड़ते हालात को देखते हुए सांसद कौशल किशोर ने अपील की थी कि लखनऊ में पंचायत चुनाव को एक महीने के लिए आगे बढ़ा दिया जाए.
उन्होंने ट्वीट कर लिखा था, ‘निर्वाचन आयोग से मेरी अपील है लखनऊ में कोविड नियंत्रण से बाहर है, लखनऊ में कई हजार परिवार करोना की चपेट में बुरी तरह बर्बाद हो रहे हैं, श्मशान घाटों पर लाशों के ढेर लगे हुए हैं. चुनाव जरूरी नहीं है लेकिन लोगों की जान बचाना जरूरी है, इसलिए निर्वाचन आयोग को तत्काल संज्ञान में लेकर पंचायत के चुनाव को लखनऊ में निर्धारित मतदान की तिथि से एक महीना आगे बढ़ा देना चाहिए, जान बचाना जरूरी है चुनाव कराना जरूरी नहीं है.’
वहीं, इससे पहले कानून मंत्री बृजेश पाठक ने प्रदेश के शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारियों को पत्र लिखकर राजधानी में खराब होती स्वास्थ्य व्यवस्था की ओर ध्यान दिलाया था.