एक बार में तीन तलाक़ को कोर्ट द्वारा असंवैधानिक क़रार देने के बाद उत्तर प्रदेश से चार और मध्य प्रदेश से एक मामला सामने आया है.
सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में ही तलाक, तलाक, तलाक बोलकर शादी तोड़ने को भले ही असंवैधानिक करार दिया हो, लेकिन झटके में तीन तलाक बोलने के मामले थमते नहीं दिख रहे.
मध्य प्रदेश के भोपाल में झटके में तीन तलाक बोलने से जुड़ा अजीबो-गरीब मामला सामने आया है. शौहर ने बीवी को इसलिए तीन बार तलाक कह दिया, क्योंकि बीवी ने उसके लिए काली चाय बनाई थी.
खबरों के मुताबिक, घर में दूध नहीं था. पत्नी ने पति से दूध लाने के लिए पैसे मांगे तो पति ने कहा मायके से दूध के पैसे लेकर आ. दोनों के बीच विवाद हुआ और पति ने पत्नी को तीन बार तलाक बोल दिया. महिला सीधे शिकायत लेकर थाने पहुंची तो पुलिस ने मामला एक संस्था को सौंप दिया है.
संस्था ने पति से बात की तो उसने कहा कि वह गुस्से में तीन बार तलाक बोल गया, उसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी नहीं थी. काजी का कहना है कि यदि पति अपनी पत्नी को घर में नहीं रखेगा तो उसके खिलाफ केस दर्ज कराया जाएगा.
25 रुपये की चोरी के आरोप में तीन तलाक
उत्तर प्रदेश के सीतापुर में तीन तलाक का एक केस सामने आया है जिसमें पति ने पत्नी पर 25 रुपये चोरी करने का आरोप लगाया और फिर उसे तलाक तलाक तलाक बोल दिया. न्यूज18 के मुताबिक, लहरपुर कोतवाली क्षेत्र में पीड़ित पत्नी ने थाने में तहरीर दी है. पुलिस का कहना है कि अभी हमें मामले की जानकारी नहीं है. शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी.
गौतम बुद्ध नगर में पहला मामला
उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में भी तीन तलाक के मामले में एक शिकायत दर्ज कराई गई है. पुलिस का कहना है कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जिले में यह पहला मामला दर्ज हुआ है. कोर्ट के फैसले के एक हफ्ते के अंदर ही एक महिला ने गौतम बुद्ध नगर पुलिस के पास शिकायत की. उसके पति ने 17 अगस्त को उसे तीन बार तलाक कहकर शादी तोड़ दी.
इंडियन एक्सप्रेस से एसएसपी लव कुमार ने कहा, ‘हमें शिकायत मिली है लेकिन यह तलाक सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले दिया गया है.’ पुलिस कानूनविदों से राय ले रही है कि इस मामले में क्या कार्रवाई हो सकती है.
कोर्ट के फैसले के अगले दिन ही दिया तलाक
एक साथ तीन बार तलाक बोलकर पत्नी को छोड़ने वाली प्रथा को सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक करार दिए जाने के अगले दिन ही उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के सरधना में एक व्यक्ति ने अपनी गर्भवती पत्नी को तलाक, तलाक, तलाक बोलकर रिश्ता तोड़ दिया.
शिकायत के आधार पर पुलिस ने बताया कि सरधना के कमरा नवाबान मोहल्ला निवासी साबरीन ने छह साल पहले अपनी बेटी अर्शिनदा का निकाह मोहल्ले के ही सिराज खान के साथ किया था.
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि महिला के पति ने दहेज के लिए उसकी पिटाई की और घर से बाहर निकाल दिया. मारपीट के कारण उसका गर्भपात हो गया. शख्स के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है.
जब लोगों ने महिला के पति को न्यायालय के फैसले का हवाला दिया तो उसने इसे मानने से साफ इनकार कर दिया.
मेरठ के इस मामले में वहां के थाना प्रभारी धर्मेंद्र सिंह राठौर का कहना है कि चूंकि अभी तीन तलाक को लेकर कानून की कोई धारा नहीं है. इसलिए इसे दहेज उत्पीड़न ही माना गया है. उन्होंने बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं.
‘न्यायालय सजा भी तय करे’
उक्त घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक के बावजूद एक साथ लगातार तीन बार तलाक बोलकर पत्नी के साथ रिश्ता खत्म करने का एक ताजा मामला सामने आने पर चिंता जाहिर करते हुए न्यायालय से अनुरोध किया है कि वह इसकी सजा तय भी तय करे. बोर्ड ने कहा है कि अपनी मांग को लेकर वह न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा.
बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर ने कहा, उच्चतम न्यायालय ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित करते हुए उसपर पर रोक लगाई, लेकिन अगले ही दिन मेरठ में एक गर्भवती महिला को उसके पति ने तलाक, तलाक, तलाक बोला और अपना रिश्ता खत्म कर लिया. अब सवाल यह है कि ऐसा करने वालों को कौन सी सजा दी जाएगी.
उन्होंने गुजारिश की कि उच्चतम न्यायालय अपने आदेश की अवहेलना करते हुए तीन तलाक देने वालों के खिलाफ सजा भी मुकर्रर करे, तभी इस पर रोक लगेगी और पीड़ितों को न्याय मिलेगा. बोर्ड इसके लिए याचिका दाखिल करके न्यायालय से अपील भी करेगा.
कानपुर में थाने पहुंचा एक साल पुराना मामला
तीन तलाक पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद पिछले साल तीन तलाक से पीड़ित एक महिला ने कानपुर जिले में अपने शौहर तथा ससुराल के अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि सोफिया अहमद नामक महिला का निकाह 12 जून, 2015 को शारिक अराफात नामक व्यक्ति से हुआ था. सोफिया ने बीते मंगलवार को दर्ज मुकदमे में आरोप लगाया कि उसकी शादी के फौरन बाद से उसका अपने पति तथा ससुराल के लोगों से दहेज को लेकर झगड़ा होता था. इस दौरान उसके साथ मारपीट भी की जाती थी.
सोफिया के मुताबिक जब उसने ससुराल के लोगों की मांग मानने से इनकार कर दिया तो उसके शौहर शारिक ने उसे 13 अगस्त, 2016 को तलाक दे दिया था. उसने पुलिस की शरण ली लेकिन उस वक्त उसका मुकदमा दर्ज नहीं किया गया.
बहरहाल, कोर्ट के फैसले के बाद सोफिया ने अपने पति, ननद, उसके बेटे तथा सास और ससुर पर दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज कराया है. अपर पुलिस अधीक्षक गौरव वंशलाल ने कहा कि सोफिया की शिकायत पर मुकदमा दर्ज करके जांच शुरू कर दी गई है.
इशरत जहां को मिल रही धमकियां
तीन तलाक मामले में पांच याचिकाकर्ताओं में एक इशरत जहां ने उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद ससुराल वालों एवं पड़ोसियों से कथित रूप से मिल रही धमकियों के मद्देनर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर अपने और अपने बच्चों के लिए सुरक्षा की गुहार लगाई है.
इशरत जहां की कानूनी सलाहकार नाजिया इलाही खान ने 25 अगस्त को कोलकाता में संवाददाताओं को बताया, उसके कुछ पड़ोसी और ससुराल वाले भी उस पर अपने समुदाय के हितों के विरुद्ध जाने का आरोप लगा रहे हैं.
खान ने कहा, इशरत और उसके बच्चों से पड़ोसी एवं उसके ससुराल के कुछ लोग गाली-गलौज कर रहे हैं एवं धमकियां दे रहे हैं. इशरत हावड़ा के पिलखाना में रहती है और उसके ससुराल वाले भी इसी इलाके में रहते हैं.
पति ने फोन पर कहा था तलाक, तलाक, तलाक
इशरत ने कहा, मैंने अपने और अपने बच्चों के लिए सुरक्षा की गुहार लगाते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा है. उसने कहा, पत्र की प्रतियां हावड़ा के पुलिस आयुक्त कार्यालय एवं स्थानीय गोलाबारी थाने को भी भेज दी गयी हैं.
उन्होंने कहा, जब से फैसला आया है तब से मुझे भला बुरा कहा जा रहा है. मुझे बुरा इंसान बताया जा रहा है. क्या अपने अधिकारों की बात करने से कोई इंसान बुरा बन जाता है.
इशरत के पति ने 2014 में दुबई से फोन पर तीन बार तलाक बोलकर उसे तलाक दे दिया था. इस प्रथा को 22 अगस्त को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया. इशरत की 13 साल की एक बेटी और सात साल का एक बेटा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)