सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल के पूर्व सीएम की मौत की सीबीआई जांच की मांग ख़ारिज की

ग़ैर सरकारी संगठन ‘सोशल विजिलेंस टीम’ द्वारा अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कालिखो पुल की कथित आत्महत्या की सीबीआई जांच की मांग को ख़ारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का मृतक से कोई संबंध नहीं है.

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अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कालिखो पुल. (फाइल फोटो: पीटीआई)

ग़ैर सरकारी संगठन ‘सोशल विजिलेंस टीम’ द्वारा अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कालिखो पुल की कथित आत्महत्या की सीबीआई जांच की मांग को ख़ारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का मृतक से कोई संबंध नहीं है.

अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कालिखो पुल. (फाइल फोटो: पीटीआई)
अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कालिखो पुल. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कालिखो पुल की कथित आत्महत्या की सीबीआई जांच की मांग की गई थी.

जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) को याचिका वापस लेने और कानून में उपलब्ध अन्य उपायों को देखने की छूट दे दी. पीठ में जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस केएम जोसेफ भी शामिल हैं.

शीर्ष अदालत ने कहा कि गैर सरकारी संगठन ‘सोशल विजिलेंस टीम’ का मृतक से कोई संबंध नहीं है.

लाइव लॉ के अनुसार, मामले की सुनवाई की शुरुआत में जस्टिस ललित ने याचिकाकर्ता के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे को बताया कि पुल की पत्नी ने 2017 में  शीर्ष अदालत में इस बारे में याचिका दायर की थी, जिसे बाद में राष्ट्रपति से संपर्क करने की स्वतंत्रता के साथ वापस ले लिया गया था.

उन्होंने कहा, ‘इससे पहले व्यक्ति की पत्नी ने हमसे संपर्क किया था. मैं याद दिला दूं कि मैं उस पीठ का हिस्सा था जिसकी जस्टिस गोयल अध्यक्षता कर रहे थे. यह मामला इस समझ के साथ वापस ले लिया गया था कि राष्ट्रपति से संपर्क किया जाएगा क्योंकि पुल द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट कई नामों का उल्लेख किया गया था.’

जस्टिस ललित ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि क्या वे जानते हैं उस याचिका का क्या हुआ, इस पर दवे ने कोई जवाब नहीं दिया.

फिर पीठ ने कहा, ‘आप दावा नहीं कर रहे कि आपका उनके साथ कोई संबंध या रिश्ता था. आप पूरी तरह अजनबी हैं. हम अनुच्छेद 32 के तहत इस जनहित याचिका को कैसे स्वीकार कर सकते हैं? या तो आप इसे वापस ले लीजिए नहीं तो हम इसे खारिज कर देंगे.’

इसके बाद एनजीओ ने याचिका वापस ले ली. उल्लेखनीय है कि इससे पहले 2017 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने कालिखो पुल के सुसाइड नोट में लगाए गए आरोपों पर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली वकीलों के एक समूह की याचिका ख़ारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं पर 2.75 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.

बता दें कि नौ अगस्त 2016 को ईटानगर में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कालिखो पुल के फांसी लगाकर आत्महत्या करने की ख़बर आई थी.

खुदकुशी करने के एक दिन पहले कालिखो पुल ने 60 पेज का एक सुसाइड नोट लिखा था, जिसमें उन्होंने संवैधानिक पदों पर बैठे विभिन्न लोगों पर गंभीर आरोप लगाए थे. जिन जजों पर पुल ने आरोप लगाए हैं उनमें कुछ सेवानिवृत्त जज भी थे.

पुल ने सुसाइड नोट में एक जज पर आरोप लगाते हुए यह कहा गया है कि उस जज के रिश्तेदार ने किसी व्यक्ति के ज़रिये राष्ट्रपति शासन मामले में फैसला पुल के पक्ष में देने के लिए 86 करोड़ रुपये की रकम की मांग की थी.

नोट में अरुणाचल प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री पेमा खांडू, उपमुख्यमंत्री चोवना मेन समेत प्रदेश के प्रमुख नेता भी शामिल हैं. उनके कथित सुसाइड नोट को सबसे पहले द वायर  द्वारा प्रकाशित किया गया था.

पुल की पहली पत्नी दांगविम्साई ने कलिखो पुल की मौत की सीबीआई जांच की मांग की थी, साथ ही उनके सुसाइड नोट में लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट भी पहुंची थीं. बाद में इस याचिका को वापस ले लिया गया था.

इसके बाद भाजपा द्वारा कलिखो की तीसरी पत्नी दसांगलू पुल को पुल के विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव में उतरा गया था, जहां उन्होंने जीत दर्ज की थी.

साल 2020 में दांगविम्साई और पुल के 20 वर्षीय बेटे शुबांसो पुल का शव ब्रिटेन के ससेक्स के ब्राइटन के एक अपार्टमेंट में संदिग्ध परिस्थितियों में मिला था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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