नॉर्थ ईस्ट डायरी: ‘मिज़ोरम में डॉक्टरों की कमी, केंद्र द्वारा मेडिकल सीटों की कटौती अफसोसनाक’

इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, मिज़ोरम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख समाचार.

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इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, मिज़ोरम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख समाचार.

Mizoram Blocked for Docters Files
मिज़ोरम के कोलाशिब ज़िले में सरकारी अस्पताल में तैनात एकमात्र को सर्जन का तबादला होने के बाद लोगों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 54 पर नाकाबंदी कर दी थी, जो कि राज्य को देश से जोड़ने वाला एकमात्र रास्ता है. (फाइल फोटो साभार)

मिज़ोरम: केंद्र सरकार ने राज्य को सालाना आवंटित होने वाली एमबीबीएस (मेडिकल) सीटों में कटौती कर दी है. राज्य की कांग्रेस सरकार द्वारा चकमा समुदाय के विद्यार्थियों को एमबीबीएस में दाख़िला देने से इंकार करने के कुछ समय बाद ही केंद्र का यह फैसला आया है.

योग्यता पूरी करने के बावजूद कांग्रेस सरकार द्वारा मिज़ोरम के चकमा समुदाय के चार विद्यार्थियों को एमबीबीएस में दाख़िला देने से इनकार करने को लेकर जारी विवाद केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद और जटिल हो गया है. केंद्र सरकार ने बिना कोई कारण बताए राज्य को सत्र 2017-18 के लिए आवंटित होने वाली सीटों में कटौती कर दी है.

स्थानीय मीडिया ने सरकार के सूत्रों के हवाले से 22 अगस्त को बताया कि बीते 21 अगस्त को राज्य के उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एक अधिसूचना मिली थी. इसमें कहा गया है कि सत्र 2016-17 में आवंटित 25 मेडिकल सीटों की संख्या घटाकर सत्र 2017-18 में 17 करने का फैसला लिया गया है.

विभाग ने बताया कि केंद्रीय मंत्रालय ने अपने इस निर्णय के पीछे कोई कारण नहीं दिया है. केंद्रीय मंत्रालय का फैसला उस समय आया है जब विभाग ने 2017-18 सत्र के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंटरेंस टेस्ट (एनईईटी) के अंकों के आधार पर योग्य विद्यार्थियों को सीट आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

इस निर्णय के संबंध में राज्य के दो सांसद सीएल रुआला और आरएस त्लाउ ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से मिलने की कोशिश की लेकिन वे सफल नहीं हो सके. केंद्र के इस निर्णय को लोगों की तीखी प्रतिक्रिया मिली है. बहरहाल मिजोरम के शिक्षा मंत्री आर. रोमाविया भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मिलने के लिए दिल्ली के लिए रवाना हुए.

21 अगस्त को दिल्ली के लिए रवाना होने से पहले संवाददाताओं से बात करते हुए, रोमाविया ने कहा, मेडिकल सीट आवंटन में कटौती अफसोसजनक है क्योंकि मिज़ोरम में पहले ही डॉक्टरों की कमी है, हम केंद्रीय मंत्री से सीट आवंटन में वृद्धि की अपील करने जा रहें हैं.

पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में बच्चों को डॉक्टर का प्रशिक्षण देने के लिए एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं हैं. इस कारण से विभिन्न सरकारी अस्पतालों में खाली पदों को भरने के लिए हर साल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और उत्तर पूर्वी परिषद द्वारा देशभर के मेडिकल कॉलेजों में सीटों के केंद्रीय पूल से कुछ निश्चित सीटें इन राज्यों को आवंटित की जाती हैं.

एनईईटी में प्राप्त अंकों के आधार पर इन राज्यों द्वारा ये सीटें योग्य विद्यार्थियों को आवंटित कर दी जाती हैं.

इसी साल मई में राज्य के चंपई ज़िले में सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी पर एक सार्वजनिक आंदोलन किया गया था. इसके बाद जून में कोलाशिब ज़िले में एक और आंदोलन हुआ जब सरकारी अस्पताल में तैनात एकमात्र को सर्जन का तबादला सर्छिप ज़िले में कर दिया गया था.

इसके विरोध में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 54 को अवरुद्ध कर दिया था, जो कि मिज़ोरम को देश के बाक़ी हिस्सों से जोड़ने वाला एकमात्र माध्यम है. पांच दिन की नाकाबंदी ने राज्य में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को बुरी तरह से प्रभावित किया था.

इस बीच, शक्तिशाली छात्र संगठन मिज़ो ज़िरलई पॉल (एमज़ेडपी) और कुछ अन्य मिज़ो नागरिक संगठनों की मांग के आगे झुकते हुए राज्य के चकमा समुदाय के एकमात्र विधायक और कांग्रेस सरकार में रेशम उत्पादन और मत्स्य पालन मंत्री बुद्ध धन चकमा ने चकमा छात्रों को मेडिकल सीटों से इनकार करने के मुद्दे पर 22 अगस्त को मुख्यमंत्री लाल थनहवना को अपना इस्तीफा सौंप दिया. उन्होंने राज्य सरकार द्वारा अपने समुदाय के ख़िलाफ़ नस्लीय भेदभाव का आरोप लगाया है.

राज्य सरकार ने शुरू में चकमा समुदाय के चारों छात्रों को सीटें आवंटित कर दी थी, लेकिन बाद में मुख्य रूप से एमज़ेडपी के विरोध की वजह से चकमा छात्रों को सीटें देने से इंकार कर दिया गया.

एमज़ेडपी ने मांग की थी कि राज्य कोटा की मेडिकल सीटें सिर्फ ‘ज़ो’ और ‘मिज़ो’ समुदाय के लोगों को ही आवंटित होनी चाहिए. हालांकि चकमा समुदाय भी राज्य के निवासी है, लेकिन मिज़ो समुदाय के अधिकांश लोग इन्हें राज्य का मूल निवासी नहीं मानते.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, ज़िला अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी और चकमा समुदाय के छात्रों को दाख़िले देने से इंकार करने के तुरंत बाद केंद्र सरकार के निर्णय में मिज़ोरम को आवंटित मेडिकल सीटों की संख्या को कम करने का फैसला अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनकर उभर सकता है.

दिलचस्प है कि मेघालय में स्थानीय छात्रों के लिए आरक्षित सीटों के साथ एक मेडिकल कॉलेज है तब भी केंद्रीय मंत्रालय ने इस वर्ष केंद्रीय पूल से एमबीबीएस की सीटों के लिए इस राज्य का कोटा बढ़ा दिया है.

देशभर में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में मेघालय के छात्रों के लिए आरक्षित मौजूदा 26 सीटों की संख्या बढ़ाकर 42 कर दी गई है. मिज़ोरम की तरह ही मेघालय में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.

मिज़ोरम की तरह ही अरुणाचल प्रदेश के वार्षिक कोटे से भी मेडिकल सीटों की कटौती की गई है और केंद्र सरकार ने इसकी कोई वजह नहीं बताई है.

मणिपुर: शव दफनाने से मना करने पर निकाली रैली

Ukhrul Protest Manipur Facebook
उखरुल में शव दफनाने के लिए निकाली गई रैली. (फोटो साभार: फेसबुक)

राजधानी इम्फाल में 17 अगस्त को ऐसी रैली आयोजित की गई जो आमतौर पर इस संघर्ष-ग्रस्त राज्य में होने वाली रैलियों से बिल्कुल अलग थी. इस रैली का आयोजन 42 वर्षीय एक महिला की मौत के बाद उनके शव को उखरुल ज़िले में स्थित उनके पति के मूल गांव में दफनाने से नकारने के ख़िलाफ़ किया गया था.

नगा थांगकुल समुदाय की रीता हाओरेई का निधन सात अगस्त को हो गया था. उनके पति उनका शव को अपने मूल गांव लिनगैंगचिंग में दफनाना चाहते थे.

हालांकि अपने मुखिया की अगुवाई में इस गांव के लोगों ने उनके शव को दफनाने के लिए जगह देने से साफ इनकार कर दिया. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार वह महिला ईसाई धर्म के एक अलग संप्रदाय की थीं, जबकि गांव वाले बैप्टिस्ट चर्च से संबंधित हैं.

रीता का परिवार रोमन कैथोलिक संप्रदाय का है. सात साल पहले गांव के कुछ अन्य लोगों के साथ उनके परिवार ने कैथोलिक संप्रदाय में धर्म परिवर्तन कर लिया था. जिससे नाराज़ होकर गांव के मुखिया ने उनका बहिष्कार कर दिया था. उसके बाद रीता का परिवार इम्फाल से 40 किलोमीटर दूर ज़िले के लिटान गांव में रहने लगा था.

इस विवाद के बाद एक संयुक्त कार्रवाई समिति बनाई गई है जिसने इस बारे में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को एक ज्ञापन सौंपा है और मामले में उनसे हस्तक्षेप की मांग की है ताकि रीता के शव को उसके गांव में शांतिपूर्वक दफनाया जा सके.

समिति ने राज्य के कई हिस्सों और पूर्वोत्तर में प्रचलित अलिखित कानून के ख़िलाफ़ भी अपील की है क्योंकि ‘यह अमानवीय है और बुनियादी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.’

इससे पहले 16 अगस्त को भी उखरुल ज़िले में समिति द्वारा आयोजित रैली में कैथोलिक संप्रदाय के सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया था. लोगों ने रीता के शव को लिनगैंगचिंग में दफनाने की मांग की थी. इस बीच उनके शव को लिटान गांव के कैथोलिक चर्च में रखा गया है.

हाल ही में, मेघालय के पूर्वी खासी पहाड़ी ज़िले के माइलियम गांव में भी इसी तरह का एक विवाद सामने आया था. यहां नियाम खासी में आस्था रखने वाले एक व्यक्ति के शव को ईसाई वर्चस्व वाले गांव में अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं दी गई थी. स्थानीय पुलिस द्वारा हस्तक्षेप करने के बाद परिवार नियाम खासी रिवाजों के साथ गांव के भीतर उनका अंतिम संस्कार कर पाया.

जुलाई में असम के मरघेरिता कस्बे में भी एक और महिला के शव को दफनान के लिए जगह न देने का मामला सामने आया था. हिंदू समुदाय से संबंधित महिला के शव को एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी करने के कारण कस्बे के कब्रिस्तान में दफनाने की इजाज़त नहीं दी गई. कब्रिस्तान के अधिकारिक व्यक्तियों ने इसके शरीर को दफनाने से इनकार कर दिया क्योंकि वो हिंदू थी.

बाद में उनके शव को उसके माता-पिता द्वारा अपने मूल शहर तिनसुकिया ले गए और उनका अंतिम संस्कार किया.

मिज़ोरम: भूस्खलन से सड़क संपर्क टूटा, सात इमारतें ढहीं

आइजोल: मिज़ोरम में गुरुवार से भारी बारिश की वजह से हुए भूस्खलन के कारण राजधानी आइजोल और पास के गांव में एक गिरजाघर सहित कम से कम सात इमारतें ढह गई हैं.

अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि भूस्खलन की वजह से सड़क अवरूद्ध हो गई जिससे राज्य के कई स्थानों का संपर्क टूट गया.

अधिकारियों ने कहा कि गुरुवार रात को भारी भूस्खलन की चपेट में आने से आइजोल के पास लेंगपुई गांव में एक तीन मंज़िला इमारत और फुंचॉन्ग गांव में एक गिरजाघर सहित छह इमारतें ढह गईं.

म्यामांर की सरहद से लगने वाले चम्फाई ज़िले से संपर्क टूट गया है क्योंकि कई स्थानों पर भूस्खलन की वजह से आइजोल-चम्फाई सड़क अवरूद्ध हो गई है, जबकि कम से कम छह भूस्खलन की वजह से थेनजॉल होते हुए एजल का दक्षिण मिज़ोरम का लुंगलेई से संपर्क टूट गया है.

मणिपुर: भारी बारिश से इम्फाल-दीमापुर एनएच 39 पर भूस्खलन

इम्फाल: 25 अगस्त की रात से लगातार बारिश के कारण मणिपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर भूस्खलन होने से राज्य का संपर्क टूट गया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि सेनापति ज़िले के माखन इलाके में भूस्खलन होने से इम्फाल-दीमापुर एनएच 39 का 80 फुट हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया.

नगालैंड से आवश्यक सामान ले जा रहे और असम की ओर जा रहे 10 से ज़्यादा ट्रक भूस्खलन की वजह से फंस गए. इसके साथ ही लगातार बारिश के कारण इम्फाल शहर और कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अचानक बाढ़ आ गई. महत्वपूर्ण नदियों में जलस्तर बढ़ गया है. राज्य हाल में बाढ़ से प्रभावित हुआ था जिसकी वजह से खेती योग्य ज़मीन डूब गई और 30 हज़ार लोग बेघर हो गए.

असम: बाढ़ पीड़ितों के लिए धनराशि इकट्ठा करने चाहते हैं जॉन अब्राहम

John Abraham PTI
जॉन एब्राहम. फोटो: पीटीआई

गुवाहाटी: बॉलीवुड अभिनेता और इंडियन सुपर लीग आईएसएल फ्रेंचाइजी नॉर्थ-ईस्ट यूनाइटेड एफसी (एनईयूएफसी) के मालिक जॉन अब्राहम ने बीते 20 अगस्त को कहा है कि वह राज्य सरकार के सहयोग से असम के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए धनराशि इकट्ठा करने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित करने के इच्छुक हैं.

अब्राहम ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, हम बाढ़ पीड़ितों के लिए धनराशि इकट्ठा करने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित करना चाहते हैं. हम सरकार के साथ मिलकर इस कार्यक्रम को आयोजित करना चाहेंगे.

उन्होंने बताया कि असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल और वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा को इस बारे में सूचित कर दिया गया है.

उन्होंने कहा, हाल में आई बाढ़ बहुत विनाशकारी है. पचास से अधिक लोगों की मौत हो चुकी हैं. काज़ीरंगा राष्ट्रीय पार्क में 200 से अधिक जानवरों की मौत हुई है.

अब्राहम ने कहा, हमारा दिल और हमारी एकजुटता असम के बाढ़ पीड़ितों के साथ है. एनईयूएफसी जहां भी ज़रूरत हुई हमेशा बाढ़ पीड़ितों के साथ रहेगा. असम में आई विनाशकारी बाढ़ के तीसरे दौर में अब तक 67 लोगों की मौत हो चुकी हैं.

अरुणाचल प्रदेश: नाबालिग से बलात्कार के मामले में व्यक्ति गिरफ्तार

इटानगर: अरुणाचल प्रदेश के नामसई ज़िले में पुलिस ने एक नाबालिग लड़की को अगवा कर बलात्कार करने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है.

नामसई के पुलिस अधीक्षक सीके मेइन ने 25 अगस्त को बताया कि आरोपी को 22 अगस्त को गिरफ्तार किया गया. उसे आरएसएस का प्रचारक बताया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि उसे 23 अगस्त को अदालत में पेश किया गया और पांच दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.

पुलिस अधीक्षक ने कहा कि पीड़िता के माता-पिता की शिकायत के आधार पर व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. पीड़िता नौवीं कक्षा की छात्रा है.

अधिकारी ने कहा कि पीड़िता ने अपने बयान में दावा किया है कि 18 अगस्त को आरोपी की कार में उसके साथ बलात्कार किया गया और आरोपी ने 20 अगस्त को उसे फिर से बुलाया. उसे मामला उजागर नहीं करने की धमकी दी गई. उन्होंने कहा कि आरोपी ने आरोपों से इनकार किया है.

पुलिस अधीक्षक ने कहा कि 22 अगस्त को असम के सादिया थाने की पुलिस ने धोला सादिया पुल के पास से आरोपी और लड़की दोनों को हिरासत में लिया था और नामसई पुलिस के हवाले कर दिया था. उन्होंने कहा कि मामला दर्ज कर लिया गया है और तहकीकात जारी है.

इस बीच, अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने घटना की निंदा करते हुए कहा है कि आरएसएस के संबंध में यह राज्य के लोगों की आंख देने वाला मामला है.

पार्टी ने एक बयान में 25 अगस्त को कहा है कि एक नाबालिग लड़की को अगवा कर बलात्कार करना नि:संदेह जघन्य अपराध है. आरोपी को सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए ताकि ऐसे जघन्य अपराध फिर से नहीं हों.

मणिपुर: नृजातीय औषधीय अनुसंधान के पूर्वोत्तर केंद्र का उद्घाटन

इम्फाल: मणिपुर में कांगपोकपी ज़िले के हेंगबंग गांव में पूर्वोत्तर नृजातीय औधषीय अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन किया गया. उपमुख्यमंत्री यूमनाम जयकुमार सिंह ने बीते 19 अगस्त को हुए उद्घाटन समारोह में कहा कि इस तरह के केंद्र का उद्घाटन होना क्षेत्र, विशेषकर मणिपुर के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा क्योंकि राज्य में कई औषधीय पौधे पाए जाते हैं.

उन्होंने कहा, हमारे पास विभिन्न औषधीय पौधों का इस्तेमाल करके कई बीमारियों की चिकित्सा करने के पारंपरिक तरीके हैं, हालांकि औषधीय पौधों का इस्तेमाल करके बीमारियों का इलाज करने के लिए समुचित वर्गीकरण किया जाना अभी बाकी है.

उपमुख्यमंत्री के साथ मौजूद राज्य के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री टी. बिश्वजीत सिंह ने कहा कि नृजातीय औषधीय उपचार हमारे समाज में लंबे समय से एक परंपरा रही है.

(संगीता बरूआ पिशारोती के सहयोग और समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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