जम्मू कश्मीर के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद यह देखा कि कुपवाड़ा के सरकारी स्कूल के शिक्षक इदरीस जान की गतिविधियां राज्य की सुरक्षा के हित में सेवा से उनकी बर्ख़ास्तगी की मांग करती हैं और इस मामले में जांच करना उचित नहीं है.
कश्मीर: जम्मू कश्मीर सरकार ने उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में एक शिक्षक को राज्य की सुरक्षा के हित में बर्खास्त कर दिया है. यह राज्य में इस तरह का पहला मामला है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सामान्य प्रशासन विभाग ने शुक्रवार को एक आदेश जारी किया जिसमें कहा गया कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद यह देखा कि कुपवाड़ा के सरकारी मीडिल स्कूल के शिक्षक इदरीस जान की गतिविधियां सेवा से उनकी बर्खास्तगी की मांग करती हैं.
आदेश में कहा गया, ‘उपराज्यपाल भारत के संविधान के अनुच्छेद 311 के खंड (2) के उप-खंड (सी) के तहत संतुष्ट हैं कि राज्य की सुरक्षा के हित में कुपवाड़ा के क्रालपोरा स्थित सरकारी मीडिल स्कूल के शिक्षक इदरीस जान के मामले में जांच करना उचित नहीं है.’
आदेश में आगे कहा गया, ‘इस तरह उपराज्यपाल इदरीश जान को तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त करते हैं.’
21 अप्रैल को सरकार द्वारा देश की सुरक्षा या राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए खतरा पैदा करने से संबंधित किसी भी मामले में शामिल कर्मचारियों के मामलों की पहचान करने और उनकी जांच करने के लिए एक विशेष कार्य बल गठित करने के बाद बर्खास्तगी का यह मामला सामने आया है.
हालांकि, यह आदेश कर्मचारियों और संगठन के नेताओं को पसंद नहीं आया. पूर्व कर्मचारी संघ के नेता और जम्मू-कश्मीर सिविल सोसाइटी फोरम (जेकेसीएसएफ) के अध्यक्ष अब्दुल कयूम वानी ने बर्खास्तगी पर नाराजगी जताई और इसे कर्मचारियों की अखंडता पर हमला बताया.
वानी ने कहा, ‘अनुच्छेद 311 के तहत कुपवाड़ा स्कूल के शिक्षक इदरीस जान और अन्य दो कर्मचारियों की बर्खास्तगी और अन्य सभी अनुशासनात्मक सेवा नियमों की उपेक्षा करना जो कर्मचारियों के प्रदर्शन और उनके सेवा करिअर के संचालन को नियंत्रित करते हैं, पूरे कश्मीर समाज के लिए सिहरन पैदा करने वाली है.’
उन्होने कहा, ‘सरकारी सेवा से इस प्रकार की बर्खास्तगी अस्पष्ट है, जब तक तथ्यों को सार्वजनिक नहीं किया जाता है और/या कानूनी कार्यवाही के लिए न्यायिक प्रणाली के अधीन नहीं किया जाता है.’
जेकेसीएसएफ ने मांग की है कि निर्णय को रद्द कर दिया जाना चाहिए और सेवा मानदंडों के तहत विवेकपूर्ण तरीके से समीक्षा की जानी चाहिए ताकि न्याय हो सके.
महबूबा मुफ्ती ने बर्खास्तगी की आलोचना की
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कथित राज्य विरोधी गतिविधियों को लेकर जम्मू कश्मीर में कुपवाड़ा जिले के सरकारी शिक्षक इदरीस जान की बर्खास्तगी की सोमवार को आलोचना की और कहा कि सरकार ने इस महामारी के दौरान अपनी प्राथमिकता गलत जगह पर लगा दी है.
उन्होंने जम्मू कश्मीर सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के तीन दिन पुराने पत्र को भी पोस्ट किया.
In the middle of a pandemic GOI should focus on saving lives instead of firing govt employees on flimsy grounds in Kashmir. No wonder its misplaced priorities have converted India into shamshanghats & kabristans.The living continue to suffer & the dead are deprived of dignity pic.twitter.com/VenrxxptN8
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) May 3, 2021
महबूबा ने ट्वीट किया, ‘महामारी के बीच में भारत सरकार को कश्मीर में मामूली आधारों पर सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त करने के बजाय लोगों की जान बचाने पर ध्यान देना चाहिए. इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि उनकी गलत प्राथमिकताओं ने भारत को श्मशान घाट एवं कब्रिस्तान में बदल दिया है. जीवित व्यक्ति परेशान होता जा रहा है और मृत व्यक्ति को गरिमा से वंचित रखा जाता है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)