2016 विधानसभा चुनाव से पहले सामने आए नारदा स्टिंग टेप में तृणमूल कांग्रेस के कई नेता कथित तौर पर रिश्वत लेते नज़र आए थे. 2017 में हाईकोर्ट ने इसकी सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. अब सीबीआई के अनुरोध पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने टीएमसी के फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी और मदन मित्रा के ख़िलाफ़ मामला चलाने की मंज़ूरी दी है.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के एक अनुरोध पर फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और सोवन चटर्जी के खिलाफ मामला चलाने की मंजूरी दे दी है.
ये सभी उस समय मंत्री थे जब कथित नारदा स्टिंग टेप सामने आया था. यह जानकारी राज भवन के एक अधिकारी ने रविवार को दी.
विशेष कार्याधिकारी (संचार), राजभवन द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, ‘माननीय राज्यपाल कानून के संदर्भ में मंजूरी प्रदान करने के लिए सक्षम प्राधिकारी हैं क्योंकि वे संविधान के अनुच्छेद 164 के संदर्भ में ऐसे मंत्रियों की नियुक्ति प्राधिकारी हैं.’
ये चारों 2014 में तब ममता बनर्जी कैबिनेट में मंत्री थे जब टेप कथित तौर पर बनाए गए थे.
उल्लेखनीय है कि हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में हकीम, मुखर्जी और मित्रा तृणमूल कांग्रेस के फिर से विधायक चुने गए हैं, जबकि भाजपा में शामिल होने के लिए टीएमसी छोड़ चुके चटर्जी ने दोनों पार्टियों के साथ संबंध तोड़ लिए हैं.
हकीम और मुखर्जी को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी नई सरकार के कैबिनेट में भी जगह दी है.
बयान में कहा गया है कि चार नेताओं के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी धनखड़ द्वारा तब दी गई जब ‘सीबीआई ने एक अनुरोध किया और मामले से संबंधित सभी दस्तावेज मुहैया कराये और माननीय राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 163 और 164 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया, क्योंकि वह इस तरह की मंजूरी के लिए सक्षम प्राधिकारी हैं.’
नारदा स्टिंग टेप पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनावों से पहले सार्वजनिक किए गए थे, जहां तृणमूल कांग्रेस के 11 नेता कथित तौर पर रिश्वत लेते नजर आए थे.
मामले में तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय, सुवेंदु अधिकारी (अब भाजपा नेता), सुल्तान अहमद, अपरूपा पोद्दार, काकोली घोष दस्तीदार, प्रसून बनर्जी, सुब्रता मुखर्जी, फिरहाद हाकिम, मदन मित्रा, इकबाल अहमद और सीनियर आईपीएस अधिकारी एसएमएच मिर्जा जैसे नाम शामिल थे.
दावा किया गया था कि ये वीडियो 2014 में बनाए गए थे और इसमें टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक की तरह दिखने वाले व्यक्ति एक कंपनी को अनाधिकारिक लाभ पहुंचाने के बदले में कथित तौर पर घूस लेते कैद किए गए थे.
स्टिंग ऑपरेशन कथित तौर पर नारदा न्यूज पोर्टल के मैथ्यू सैमुअल द्वारा किया गया था. कलकत्ता हाईकोर्ट ने मार्च, 2017 में स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआई जांच का आदेश दिया था.
टीएमसी ने इसके बाद सर्वोच्च न्यायलय में अपील की थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)