गोवा की एक अदालत ने पत्रकार तरुण तेजपाल को यौन उत्पीड़न मामले में बरी किया

‘तहलका’ पत्रिका के पूर्व प्रधान संपादक पर 2013 में गोवा के एक होटल की लिफ्ट में महिला सहयोगी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप था. अदालत के फैसले के बाद अभियोजन पक्ष ने कहा कि वह फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे. बरी किए जाने के बाद तेजपाल ने कहा कि पिछले साढ़े सात साल उनके परिवार के लिए घाव देने वाले रहे हैं, क्योंकि उन्हें उन पर लगाए गए झूठे आरोपों के कारण विनाशकारी नतीजों का सामना करना पड़ा.

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तरुण तेजपाल. (फोटो: रॉयटर्स)

‘तहलका’ पत्रिका के पूर्व प्रधान संपादक पर 2013 में गोवा के एक होटल की लिफ्ट में महिला सहयोगी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप था. अदालत के फैसले के बाद अभियोजन पक्ष ने कहा कि वह फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे. बरी किए जाने के बाद तेजपाल ने कहा कि पिछले साढ़े सात साल उनके परिवार के लिए घाव देने वाले रहे हैं, क्योंकि उन्हें उन पर लगाए गए झूठे आरोपों के कारण विनाशकारी नतीजों का सामना करना पड़ा.

तरुण तेजपाल. (फोटो: रॉयटर्स)
तरुण तेजपाल. (फोटो: रॉयटर्स)

पणजी: गोवा की एक सत्र अदालत ने पत्रकार तरुण तेजपाल को यौन उत्पीड़न के मामले में शुक्रवार को बरी कर दिया.

‘तहलका’ पत्रिका के पूर्व प्रधान संपादक पर 2013 में गोवा के एक ‘लग्जरी होटल’ की लिफ्ट में महिला सहयोगी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप था.

उत्तर गोवा के मापुसा स्थित जिला एवं सत्र अदालत की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश क्षमा जोशी ने तेजपाल को मामले में बरी कर दिया. फैसला सुबह 11:45 बजे सुनाया गया. उस समय तेजपाल अपने परिवार के साथ अदालत में मौजूद थे.

तेजपाल के अधिवक्ता राजीव गोम्स के कनिष्ठ एवं वकील सुहास वलिप ने कहा, ‘अदालत ने तेजपाल को आज सभी आरोपों से बरी कर दिया. इस संबंध में विस्तृत आदेश आज दोपहर बाद जारी किया जाएगा.’

तेजपाल के वकील गोम्स का पिछले सप्ताह कोविड-19 के कारण निधन हो गया था.

अदालत के फैसले के बाद अभियोजन पक्ष ने कहा कि वह फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे.

अदालत पहले तीन बार कई कारणों का हवाला देते हुए फैसले को स्थगित कर चुकी है.

इससे पहले अदालत 27 अप्रैल को फैसला सुनाने वाली थी, लेकिन न्यायाधीश ने फैसला 12 मई तक स्थगित कर दिया था. 12 मई को फैसला एक बार फिर 19 मई के लिए टाल दिया गया था और फिर 19 मई को इसे 21 मई तक के लिए स्थगित कर दिया गया था.

गोवा पुलिस ने नवंबर 2013 में तेजपाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसके बाद उन्हें 30 नवंबर 2013 को गिरफ्तार कर लिया गया था.

तेजपाल मई 2014 से जमानत पर हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 71 गवाहों का परीक्षण किया और बचाव पक्ष के पांच गवाहों से भी पूछताछ की. अभियोजन पक्ष का मामला मुख्य रूप से पीड़िता के बयान, उसके कुछ सहयोगियों के बयान और ईमेल तथा वॉट्सऐप संदेशों सहित इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पर टिका था.

फरवरी 2014 में गोवा पुलिस की अपराध शाखा ने तेजपाल के खिलाफ 2,846 पन्नों का आरोप पत्र दायर किया था, जिसे 12 खंडों में विभाजित किया गया था और इसमें 152 गवाहों के बयान शामिल थे.

उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 342 (गलत तरीके से रोकना), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 354 (गरिमा भंग करने की मंशा से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना), 354-ए (यौन उत्पीड़न), धारा 376 की उपधारा दो (फ) (पद का दुरुपयोग कर अधीनस्थ महिला से बलात्कार) और 376 (2) (क) (नियंत्रण कर सकने की स्थिति वाले व्यक्ति द्वारा बलात्कार) के तहत मुकदमा चला.

तेजपाल द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में खुद के खिलाफ लगे आरोपों को खारिज करने के लिए दायर अपील खारिज होने के बाद इस मामले की सुनवाई अक्टूबर 2019 में फिर से शुरू हुई थी.

मेरे परिवार को झूठे आरोपों के विनाशकारी नतीजों का सामना करना पड़ा : तेजपाल

गोवा की एक अदालत द्वारा शुक्रवार को बरी किए जाने के बाद पत्रकार तरुण तेजपाल ने कहा कि पिछले साढ़े सात साल उनके परिवार के लिए घाव देने वाले रहे हैं, क्योंकि उन्हें उन पर लगाए गए ‘झूठे आरोपों के कारण विनाशकारी नतीजों का सामना करना पड़ा.’

तहलका पत्रिका के पूर्व प्रधान संपादक ने अदालत को मामले में कठोर एवं निष्पक्ष मुकदमा चलाने के लिए भी धन्यवाद दिया.

फैसला सुनाए जाने के दौरान अदालत में मौजूद रहे तेजपाल ने बाद में एक बयान जारी किया, जिसे पणजी के पास मापुसा नगर में अदालत भवन के बाहर उनकी बेटी तारा ने मीडिया के सामने पढ़ा.

बयान में उन्होंने कहा, ‘पिछले साढ़े सात साल मेरे परिवार के लिए बहुत दर्दनाक रहे, क्योंकि हमें इन झूठे आरोपों का हमारे निजी, पेशेवर एवं सार्वजनिक जीवन के हर पहलू पर विनाशकारी परिणाम झेलने पड़े.’

तेजपाल ने कहा, ‘हमें बहुत कष्ट सहने पड़े, लेकिन इसके बावजूद हमने सैकड़ों अदालती कार्यवाहियों के जरिए गोवा पुलिस और कानूनी तंत्र के साथ पूरा सहयोग किया.’

उन्होंने कहा कि उन्हें और उनके परिवार ने नियत प्रक्रिया के हर आदेश का पूरा पालन किया और संविधान सम्मत सिद्धांतों से बंधे रहे.

उन्होंने कहा, ‘हमने इस तरह के मामले में अपेक्षित शालीनता के हर मानदंड को बनाए रखने का भी प्रयास किया.’

अदालत में तेजपाल का बचाव करने वाले उनके वकील राजीव गोमेज की पिछले हफ्ते कोविड-19 से मौत हो गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)