यूपी: स्मृति ईरानी के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक पोस्ट के आरोपी प्रोफ़ेसर की ज़मानत याचिका ख़ारिज

उत्तर प्रदेश के फ़िराज़ाबाद के एक कॉलेज में इतिहास विभाग के प्रमुख प्रोफ़ेसर शहरयार अली पर केंद्रीय कपड़ा और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट लिखने का आरोप लगा है. उनके वकील का ​कहना है कि प्रोफ़ेसर को शिकायतकर्ता ने ग़लत तरीके से फंसाया है, जो भाजपा का ज़िला मंत्री है.

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New Delhi: Union Textiles Minister Smriti Irani addresses a press conference at BJP Headquarters in New Delhi, Tuesday, Sept 11, 2018. (PTI Photo) (PTI9_11_2018_000085B)
स्मृति ईरानी (फाइल फोटो: पीटीआई)

उत्तर प्रदेश के फ़िराज़ाबाद के एक कॉलेज में इतिहास विभाग के प्रमुख प्रोफ़ेसर शहरयार अली पर केंद्रीय कपड़ा और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट लिखने का आरोप लगा है.  उनके वकील का कहना है कि प्रोफ़ेसर को शिकायतकर्ता ने ग़लत तरीके से फंसाया है, जो भाजपा का ज़िला मंत्री है.

New Delhi: Union Textiles Minister Smriti Irani addresses a press conference at BJP Headquarters in New Delhi, Tuesday, Sept 11, 2018. (PTI Photo) (PTI9_11_2018_000085B)
स्मृति ईरानी (फाइल फोटो: पीटीआई)

इलाहाबाद: उत्तर प्रदेश स्थित इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय कपड़ा और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट लिखने वाले प्रोफेसर डॉ. शहरयार अली की अग्रिम जमानत याचिका बीते 25 मई को खारिज कर दी.

जस्टिस जेजे मुनीर ने डॉ. शहरयार की ओर से दायर अग्रिम जमानत की अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया. अली एक डिग्री कालेज में प्रोफेसर हैं और इतिहास विभाग के अध्यक्ष हैं.

अदालत ने कहा, ‘यहां ऐसा कोई तथ्य दिखाने को नहीं है, जिससे पता चलता हो कि याचिकाकर्ता का फेसबुक एकाउंट हैक कर लिया गया था. वास्तव में उसने अपने फेसबुक एकाउंट पर माफी मांगी, जिससे पता चलता है कि प्रथम दृष्टया वह एकाउंट अब भी उसके द्वारा ही चलाया जा रहा है.’

अदालत ने कहा, ‘इस बात का भी अंदेशा है कि इस पोस्ट को सह-आरोपी हुमा नकवी द्वारा साझा किया गया और इस पोस्ट का कंटेट वास्तव में ऐसा है, जिससे विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा हो सकता है.’

अदालत ने कहा, ‘याचिकाकर्ता आत्मसमर्पण करने और नियमित जमानत की मांग करने का पात्र है, जिस पर कानून के मुताबिक विचार किया जाएगा. इस पूरी परिस्थिति में यह अदालत अग्रिम जमानत देने का सही मामला नहीं मानती. इस प्रकार से अग्रिम जमानत की याचिका खारिज की जाती है.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने यह भी कहा कि इस तथ्य पर विचार करते हुए कि आवेदक एक वरिष्ठ शिक्षक और विभागाध्यक्ष है, इस तरह का आचरण प्रथमदृष्टया उसे अग्रिम जमानत का हकदार नहीं बनाता है.

जज ने यह भी कहा कि अदालत द्वारा की गईं टिप्पणियां मामले की योग्यता पर राय की अभिव्यक्ति नहीं थीं.

बता दें कि बीते 7 मार्च को अली के खिलाफ फिरोजाबाद जिले के रामगढ़ पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 505 (2) (वर्गों के बीच दुश्मनी, घृणा या द्वेष पैदा करने वाले बयान) और आईटी अधिनियम की धारा 67 ए के तहत मामला दर्ज किया गया था.

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी थी कि उसके मुवक्किल को इस मामले में शिकायतकर्ता के इशारे पर झूठा फंसाया जा रहा है. शिकायतकर्ता भाजपा का जिला मंत्री है. स्मृति ईरानी के संबंध में आपत्तिजनक पोस्ट, उसके मुवक्किल की फेसबुक आईडी हैक कर डाली गई है.

जमानत की गुहार लगाते हुए वकील ने कहा कि अली एक सम्मानित नागरिक हैं और उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है.

अतिरिक्त महाधिवक्ता शशि शेखर तिवारी ने राज्य की ओर से बहस करते हुए जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि पोस्ट में एक केंद्रीय मंत्री और एक राजनीतिक दल के वरिष्ठ नेता को निशाना बनाया गया है.

तिवारी ने कहा कि सोशल मीडिया पर प्रसारित और अफवाह वाले बयान से विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच घृणा या द्वेष को बढ़ावा देने की संभावना है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)