अभिनेता रणदीप हुड्डा का नौ साल पुराना एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वे बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती को लेकर अपमानजनक टिप्पणी करते नज़र आते हैं. इसे लेकर हुई आलोचना के बाद उन्हें संयुक्त राष्ट्र की जंगली जानवरों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण संबंधी संधि के एंबेसडर पद से हटा दिया गया है.
मुंबई: अभिनेता रणदीप हुड्डा को बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में संयुक्त राष्ट्र की जंगली जानवरों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण संबंधी संधि (सीएमएस) के राजदूत (एंबेसडर) के पद से हटा दिया गया है.
अभिनेता की सोशल मीडिया पर नौ वर्ष पुराने एक वीडियो के लिए आलोचना की जा रही है, जिसमें वह मायावती के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां करते नजर आते हैं.
एक मीडिया घराने द्वारा 2012 में आयोजित एक कार्यक्रम का यह 43 सेकेंड का वीडियो है जिसे ट्विटर पर एक यूजर ने साझा किया था.
https://twitter.com/SrishtyRanjan/status/1397147896152166404
इस वीडियो में हुड्डा ने एक चुटकुला सुनाया, जिसे जातिवादी और सेक्सिस्ट [sexist] बताया जा रहा है और वे दर्शकों के साथ हंसते भी नजर आ रहे हैं. सोशल पर पर इसे लेकर हुड्डा की खासी आलोचना हुई.
इसके बाद सीएमएस की वेबसाइट पर एक बयान में कहा गया, ‘सीएमएस सचिवालय को वीडियो में की गई टिप्पणी आपत्तिजनक लगी और वह सीएमएस सचिवालय या संयुक्त राष्ट्र के मूल्यों को नहीं दर्शाती.’ बयान में कहा गया, ‘हुड्डा अब सीएमएस के राजदूत नहीं हैं.’
अभिनेता को फरवरी 2020 में तीन साल के लिए जंगली जानवरों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण संबंधी संधि (सीएमएस) का राजदूत नियुक्त किया गया था.
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ टिप्पणी के लिए 44 वर्षीय हुड्डा की खूब आलोचना हो रही है. कुछ आलोचकों ने तो उनसे माफी की मांग भी की है.
वीडियो साझा करने वाले व्यक्ति ने कहा, ‘क्या इससे यह पता नहीं चलता है कि यह समाज कितना जातिवादी एवं लैंगिकवादी है खासकर एक दलित महिला के खिलाफ.’
अभिनेत्री ऋचा चड्ढा ने भी इस टिप्पणी की आलोचना की है. उन्होंने रणदीप के ‘मज़ाक’ को जातिवादी, घटिया और सेक्सिट बताया है. ऋचा को एक यूजर द्वारा टैग करके पूछ गया था कि वे इस बारे में क्या कहेंगी.
इस पर उन्होंने सवाल भी किया की ऐसा क्यों है कि पुरुष सहकर्मी की गलती पर सिर्फ महिलाओं से माफ़ी मांगने के लिए कहा जाया है जबकि बात लैंगिकता के आधार पर होने वाले भेदभाव की हो रही है.
https://twitter.com/RichaChadha/status/1398223322383413256
माकपा पोलितब्यूरो की नेता कविता कृष्णन ने भी वीडियो पर टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि हुड्डा की टिप्पणी ‘जातिवादी, नारी विरोधी’ है. एक महिला ने इस वीडियो पर कमेंट किया था कि अगर हुड्डा ने ऐसी टिप्पणी प्रियंका गांधी के खिलाफ की होती तब भी वह ऐसी ही होती और वे बिना कोई नतीजा भुगते साफ़ निकल जाते.
इसके जवाब में कृष्णन ने लिखा, ‘पर वे प्रियंका गांधी के बारे में ऐसा कुछ नहीं कहते. जाति संबंधी कट्टरता के चलते हुड्डा और उनके जैसे कई दलित महिला को अनाकर्षक मानते हैं. उनका यह ‘मजाक’ उनके जैसे और लोगों को पसंद आता है जिनकी तालियां दिखा रही हैं कि दलित महिला की ‘कुरूपता’ ‘सार्वभौमिक तौर पर स्वीकार्य’ है.’
That's how caste based sexual violence has always worked, by simultaneously projecting Dalit, Adivasi women as "ugly, dirty, repulsive", and ALSO as overly sexualised, & sexually "available" to all. Think Surpanakha, as an example of how this dual strategy works.
— Kavita Krishnan (@kavita_krishnan) May 28, 2021
उन्होंने आगे कहा, ‘इसी तरह जाति आधारित यौन हिंसा काम करती है, जहां दलित, आदिवासी महिलाओं को एक तरफ ‘बदसूरत, गंदा, घृणा उपजाने वाला’ बताया जाता है, साथ ही बहुत अधिक सेक्सुअलाइज़्ड और सेक्सुअली ‘उपलब्ध’ बताया जाता है. इस तरह की सोच का एक और उदाहरण कुख्यात भंवरी देवी बलात्कार मामले का है, जहां आरोपियों को इस आधार पर बरी किया गया था कि वे प्रभावशाली जाति के पुरुष हैं और वे पिछड़ी जाति की महिला को छूना ही गलत मानते हैं, बलात्कार तो दूर की बात है.’
एक अन्य यूजर ने कहा कि वह इस वीडियो को देखकर ‘हैरान’ है. शुक्रवार को ट्विटर पर हैशटैग अरेस्टरणवीरहुड्डा ट्रेंड हुआ तथा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग भी की गई.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)